बड़ी खबरें
देश के ऐसे बच्चे जो पैसों की कमी की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते थे अब वह नहीं रहेंगे क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है जिसमें,देश में उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्रों को दस लाख रुपए तक का सस्ता लोन मिलेगा।
इसमें हर साल एक लाख छात्रों को इसका लाभ मिलेगा। गरीब और कमजोर वर्ग के ऐसे छात्र, जो सरकार की किसी दूसरी स्कीम या नीति से लाभांवित नहीं है, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। इस कदम का उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ती लागत को कम करना और छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
ई-वाउचर से मिलेगी छूट-
छात्रों को वार्षिक ब्याज में 3 फीसदी की छूट का एक ई-वाउचर दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इस पहल से उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात ( जीईआर ) की रफ्तार बढ़ेगी। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में होने वाले पलायन की रफ्तार पर भी थमेगी। बजट में मंगलवार को सरकार ने देश में ही उच्च शिक्षा की पढ़ाई पर सस्ते शिक्षा ऋण मुहैया कराने को लेकर यह निर्णय लिया है।
अभी इतनी है ब्याज दर-
वर्तमान में उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण की व्यवस्था तो पहले से ही उपलब्ध है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी वार्षिक ब्याज दर लगभग 10% है। साथ ही 7 लाख रुपये से ऊपर के शिक्षा ऋण पर गारंटी देनी पड़ती है। इसके अतिरिक्त, इनमें कई तकनीकी समस्याएँ भी हैं। जैसे कि शिक्षा ऋण केवल उन्हीं संस्थानों में पढ़ाई करने पर दिया जाता है, जो नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडेशन काउंसिल) या एनआईआरएफ (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की रैंकिंग में शामिल होते हैं।
लोन चुकाने में दी गईं सहूलियतें-
इस लोन को चुकाने में भी छात्रों को काफी सहूलियतें दी गई हैं। यानी वे अपनी सुविधा के अनुसार इसे किश्तों में चुका सकेंगे। उच्च शिक्षा को लेकर सरकार का यह रुझान उस समय देखने को मिला है जब उच्च शिक्षा के जीईआर को वर्ष 2035 तक 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे लेकर सरकार तेजी से काम कर रही है।
28 फीसदी है देश में उच्च शिक्षा का GER-
वर्तमान समय में देश में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (GER) लगभग 28 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि उच्च शिक्षा हासिल करने वाले आयु वर्ग के सौ छात्रों में से केवल 28 ही उच्च शिक्षा तक पहुंच पा रहे हैं। इसे अगले दस वर्षों में लगभग दोगुना करने के लिए और भी प्रभावी उपायों की आवश्यकता होगी। वहीं, अगर उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की बात करें, तो 2023 में लगभग 12 लाख छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे। इनमें से एक बड़ी संख्या उन छात्रों की है जिन्हें देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला नहीं मिल पाता है।
जीईआर को 50 फीसदी तक पहुंचाने की कोशिश-
उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई देने और 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने की मोदी सरकार की कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। देश में उच्च शिक्षा को लेकर रुझान बढ़ा है।
Baten UP Ki Desk
Published : 24 July, 2024, 1:24 pm
Author Info : Baten UP Ki