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रेटिंग एजेंसी ICRA ने 2025-26 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर सकारात्मक अनुमान जताया है। एजेंसी के मुताबिक, नए वित्तीय वर्ष में देश की GDP ग्रोथ 6.5% से अधिक रह सकती है, जबकि सकल मूल्य वर्धन (GVA) 6.3% से ऊपर रहने की संभावना है। यह अनुमान ग्रामीण क्षेत्रों में मांग के मजबूत बने रहने और पूंजीगत निवेश में बढ़ोतरी को ध्यान में रखकर लगाया गया है।
आमदनी बढ़ने के संकेत
ICRA का कहना है कि घरेलू आय में वृद्धि के कई संकेत हैं। इनमें संभावित इनकम टैक्स में राहत, EMI पर ब्याज दरों में कमी, और खाद्य महंगाई में नरमी जैसे कारक शामिल हैं। इससे उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता में सुधार होने की संभावना है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था बनी सहारा
एजेंसी के अनुसार, रबी फसलों से अच्छी आय, और जलाशयों में सामान्य से अधिक जल स्तर ग्रामीण मांग को सहारा दे रहे हैं। इसका असर शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में भी देखने को मिल सकता है।
महंगाई और घाटे का अनुमान
खुदरा महंगाई: 4.2% से अधिक
थोक महंगाई: 2.7% से ऊपर
राजकोषीय घाटा: GDP का 4.4%
चालू खाता घाटा: GDP का -1%
ये आंकड़े सरकार की मौद्रिक और वित्तीय नीति की दिशा को लेकर भी संकेत देते हैं।
निर्यात कमजोर, सेवाएं मजबूत
ICRA ने स्पष्ट किया है कि माल निर्यात अभी कमजोर रह सकता है, लेकिन सेवा निर्यात की गति अपेक्षाकृत बेहतर बनी रहेगी। निजी निवेश में मामूली सुधार की उम्मीद है, लेकिन वैश्विक व्यापार नीति में अनिश्चितता आगे भी चुनौती बनी रह सकती है।
सरकारी निवेश बना इंजन
केंद्र सरकार का पूंजीगत व्यय 2025-26 में 10.1% बढ़ने का अनुमान है। इससे बुनियादी ढांचा, निर्माण और अन्य निवेश गतिविधियों को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
विशेष विश्लेषण
ICRA का यह पूर्वानुमान दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों के बावजूद स्थिरता और पुनरुद्धार के रास्ते पर है। यदि नीतिगत स्थिरता बनी रहती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार सहयोगी भूमिका निभाते हैं, तो भारत 2025-26 में भी दुनिया की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल रह सकता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 18 June, 2025, 5:52 pm
Author Info : Baten UP Ki