उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में 14 साल की राधिका अपने सपनों में खोई हुई थी। उसे स्कूल जाना, सहेलियों के साथ खेलना और बड़े होकर डॉक्टर बनना था। लेकिन उसकी मासूम दुनिया उस वक्त बदल गई जब उसके माता-पिता ने उसकी शादी की तैयारियाँ शुरू कर दीं। राधिका की यह कहानी सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि उन लाखों लड़कियों की है, जो आज भी बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई से जूझ रही हैं।
कितना बड़ा है बाल विवाह की समस्या का दायरा?
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अनुसार, भारत में 11.4 लाख से अधिक बच्चे बाल विवाह के खतरे में हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बाल विवाह के आंकड़ों में कमी आई है, फिर भी समस्या अब भी व्यापक है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में 500,000 से अधिक बच्चों ने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई है। ये बच्चे और उनके परिवार धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं और इस प्रथा के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) की 2019-21 की रिपोर्ट यह दर्शाती है कि 20 से 24 वर्ष की उम्र की 23 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की उम्र से पहले ही हो चुकी थी। इसमें शहरी इलाकों में यह आंकड़ा 14.7 प्रतिशत था, जबकि ग्रामीण इलाकों में 27 प्रतिशत मामलों में लड़कियों का कम उम्र में विवाह हो गया था। ये आंकड़े बताते हैं कि समस्या अभी भी गंभीर है, खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में, जहां शिक्षा और जागरूकता की कमी से यह प्रथा प्रचलित है।
बाल विवाह के कारण और प्रभाव-
बाल विवाह तब होता है जब किसी लड़के या लड़की की 18 या 21 साल की उम्र से पहले शादी कर दी जाती है। यह प्रथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों, खासतौर पर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में बहुतायत में देखी जाती है। इसके पीछे मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- पितृसत्तात्मक समाज और परंपराएं: समाज की पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं के चलते परिवार बालिकाओं की शादी जल्दी करने का दबाव महसूस करते हैं।
- गरीबी: कई गरीब परिवार अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए जल्दी शादी करवा देते हैं।
- शिक्षा की कमी: शिक्षा का अभाव भी बाल विवाह को बढ़ावा देता है। परिवारों को यह एहसास नहीं होता कि शिक्षा ही उनके बच्चों के बेहतर भविष्य का रास्ता है।
बाल विवाह के प्रभाव गंभीर होते हैं। कम उम्र में शादी के कारण लड़कियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शिक्षा पूरी नहीं हो पाती, जिससे उनके जीवन के अवसर सीमित हो जाते हैं। इसके अलावा, बाल विवाह घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव की समस्या को भी बढ़ावा देता है। इन सबके अलावा, कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों को अक्सर गर्भावस्था और प्रसव संबंधी जटिलताओं का भी सामना करना पड़ता है।
सरकार के प्रयास-
बाल विवाह को रोकने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसमें मुख्य रूप से निम्नलिखित कानून और नीतियां शामिल हैं:
- सारदा अधिनियम (1929): यह अधिनियम भारत में बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए लागू किया गया था।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006): इस अधिनियम के तहत बाल विवाह करने वालों पर कड़ी सजा का प्रावधान है।
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य अधिनियम (2006): इसके तहत विवाह का पंजीकरण अनिवार्य बनाया गया है, जिससे बाल विवाह के मामलों को रोका जा सके।
हालांकि, इन कानूनों के बावजूद बाल विवाह की समस्या अभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाई है। इसका मुख्य कारण कानूनों के क्रियान्वयन में कमी है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते यह समस्या अब भी बनी हुई है।
क्या-क्या हैं समाधान के उपाय?
बाल विवाह की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए जरूरी है कि हम समाज के हर हिस्से में जागरूकता फैलाएं। इसके लिए सरकार, सामाजिक संगठनों और मीडिया को मिलकर काम करना होगा। बाल विवाह को रोकने के लिए निम्नलिखित उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करना जरूरी है:
- कानून का सख्ती से पालन: बाल विवाह निषेध कानूनों का कड़ाई से पालन होना चाहिए और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
- शिक्षा का प्रसार: शिक्षा का प्रसार बाल विवाह को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। खासतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें।
- मीडिया और जागरूकता अभियान: बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए, ताकि समाज के हर हिस्से में इसके नुकसान और कानूनी पहलुओं की जानकारी पहुंच सके।
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य: हर विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि बाल विवाह की पहचान की जा सके और इसे रोका जा सके।
बाल विवाह से लाखों बच्चों का अंधकार में है भविष्य-
बाल विवाह सिर्फ एक सामाजिक बुराई नहीं है, यह लाखों बच्चों के भविष्य को अंधकार में डालता है। हमें इस समस्या के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। शिक्षा और जागरूकता बाल विवाह के खिलाफ सबसे मजबूत हथियार हैं, और इन्हीं के माध्यम से हम इस प्रथा को समाप्त कर सकते हैं। अगर हम आज से मिलकर इस दिशा में काम करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर और स्वतंत्र जीवन जीने का मौका मिलेगा।