बड़ी खबरें

-पीएम मोदी महाराष्ट्र के दौरे पर आज, 9.4 करोड़ किसानों के खाते में आएंगे 20 हजार करोड़ रुपए, 32 हजार 800 करोड़ की मिलेगी सौगात 17 घंटे पहले छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी मुठभेड़, अब तक 31 नक्सलियों के शव बरामद, मिला हथियारों का जखीरा 17 घंटे पहले हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू, सुबह 9 बजे तक 9.53 फीसदी हुई वोटिंग, मतदान केंद्रों पर लगी लंबी कतारें 17 घंटे पहले यूपी में दिवाली पर 1.86 करोड़ परिवारों को मुफ्त सिलिंडर देने की तैयारी, 3-4 दिन के भीतर होगा भुगतान 16 घंटे पहले मुख्यमंत्री योगी का पुलिसकर्मियों को तोहफा, मिलेगा ई-पेंशन प्रणाली का लाभ 16 घंटे पहले लखनऊ में डेंगू मरीजों की संख्या पहुंची 600 के पार, महज 9 दिन में 310 केस रिपोर्ट हुए, पॉश इलाकों में सबसे ज्यादा केस 16 घंटे पहले लखनऊ में UPSSSC टेक्निकल भर्ती के अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन, दीपावली के बाद रिजल्ट जारी करने का मिला आश्वासन, 8 साल से लगा रहे चक्कर 16 घंटे पहले विमेंस टी20 वर्ल्डकप में न्यूजीलैंड ने भारत को 58 रन से हराया, कप्तान सोफी डिवाइन की फिफ्टी, मैयर ने 4 विकेट लिए 16 घंटे पहले PM इंटर्नशिप पोर्टल लॉन्‍च,1 करोड़ युवाओं को मिलेगी इंटर्नशिप, 5 हजार महीने स्‍टाइपेंड, 12 अक्‍टूबर से आवेदन शुरू 16 घंटे पहले झारखंड सचिवालय में 455 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की आखिरी तारीख आज, ग्रेजुएट्स तुरंत करें अप्लाई 16 घंटे पहले

खाने-पीने के व्यापारियों को नाम प्रदर्शित करना है जरूरी, यूपी का सरकार का नया निर्देश

Blog Image

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके अनुसार सभी खाने-पीने के स्थानों पर मालिक, प्रबंधक और अन्य संबंधित कर्मचारियों के नाम और पहचान को प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नए नियम का उद्देश्य ग्राहकों को यह जानकारी प्रदान करना है कि वे किसके द्वारा संचालित प्रतिष्ठान में भोजन कर रहे हैं।

क्या है इसकी कानूनी पृष्ठभूमि?

यह आदेश केवल उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है। हिमाचल प्रदेश के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी इसी प्रकार के नियम की बात की है, हालांकि उनकी सरकार ने इसे आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इसके पहले, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस द्वारा इस साल के कांवड़ यात्रा के दौरान जारी किए गए इसी प्रकार के आदेशों को रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि ऐसे निर्देश केवल Food Safety and Standards Act (FSSA) के तहत ही जारी किए जा सकते हैं, और पुलिस इसका अधिकार नहीं रखती।

FSSAI के अंतर्गत नियम और प्रावधान-

उत्तर प्रदेश सरकार का नया आदेश विभिन्न कानूनी प्रावधानों से संबंधित है:

  • Food Safety and Standards Act, 2006 (FSSA):
    यह कानून भारत में खाद्य व्यवसायों के लिए नियमों को नियंत्रित करता है। इस कानून के तहत सभी खाद्य व्यवसायों को FSSAI से पंजीकरण या लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है।

    • Section 31: इसके अनुसार, पंजीकरण या लाइसेंस प्राप्त करना और इसे प्रमुख स्थान पर प्रदर्शित करना आवश्यक है।
    • Section 63: बिना लाइसेंस खाना बेचने पर 6 महीने की जेल या 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
  • Food Safety and Standards (Licensing and Registration of Food Businesses) Rules, 2011:
    छोटे व्यवसायियों, जैसे रेहड़ी वालों और ढाबों के लिए पंजीकरण कराना जरूरी है और पंजीकरण प्रमाण पत्र को प्रमुखता से दिखाना अनिवार्य है।

  • Section 94, FSSA:
    यह प्रावधान राज्य सरकार को कुछ विशेष परिस्थितियों में नियम बनाने की अनुमति देता है, लेकिन इसे केंद्रीय सरकार और FSSAI की मंजूरी से ही किया जा सकता है।

  • Section 58, FSSA:
    इसमें ऐसे उल्लंघनों के लिए दंड का प्रावधान है, जिनके लिए कोई विशेष दंड नहीं है। इसमें 2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।

क्या यह आदेश उचित है?

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी यह नया आदेश FSSAI के अंतर्गत पहले से विद्यमान प्रावधानों का एक विस्तार है। यह सुनिश्चित करता है कि ग्राहक व्यवसाय के मालिक और प्रबंधक की जानकारी प्राप्त कर सकें। यदि कोई व्यवसाय इन नियमों का पालन नहीं करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, जैसे जुर्माना, लाइसेंस रद्द होना, और यहां तक कि जेल की सजा भी।

ग्राहकों की सुरक्षा और खाद्य सामग्री की गुणवत्ता

खाने-पीने के व्यवसायों के लिए FSSAI द्वारा बनाए गए ये नियम ग्राहकों की सुरक्षा और विश्वास को बनाए रखने के लिए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्देश ग्राहकों को सही जानकारी और व्यवसायों को जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में न हो समझौता-

सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि खाने-पीने की जगहें सुरक्षित हों और खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो। इसके साथ ही, संविधान के अनुच्छेद 15(1) और अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत कोई भी आदेश जो धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव करता हो, उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें