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उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा हर साल बढ़ता जा रहा है। राज्य के 43 जिलों में सड़क हादसे बड़ी समस्या बने हुए हैं, जहां तीन साल में 1,24,009 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 67,474 लोगों की जान चली गई। इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की सूची तैयार की गई है, जहां हर साल औसतन 800 से ज्यादा मौतें होती हैं। परिवहन विभाग ने इस चुनौती को कम करने के लिए कई कदम उठाने की योजना बनाई है।
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा प्रभावित जिले-
अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) चित्रलेखा सिंह द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में, पिछले तीन वर्षों में सड़क हादसों की संख्या चौंकाने वाली है। इसमें कानपुर नगर, प्रयागराज, लखनऊ, आगरा, बुलंदशहर और मथुरा जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, इन जिलों में हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल औसतन 41,336 दुर्घटनाएं हो रही हैं, जिनमें से लगभग 22,491 लोग अपनी जान गंवाते हैं।
43 जिलों में मौत का भयावह आंकड़ा-
रिपोर्ट में शामिल प्रमुख जिलों में कानपुर नगर, प्रयागराज, लखनऊ, मथुरा, बरेली, गोरखपुर, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन जिलों में सड़क हादसे मौत के प्रमुख कारण बने हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, कानपुर नगर और लखनऊ जैसे जिलों में प्रतिवर्ष औसतन 800 से अधिक लोगों की मौत हो रही है।
सड़क सुरक्षा पर विशेष फोकस-
परिवहन विभाग ने हादसों को रोकने के लिए कई नीतिगत कदम उठाए हैं। प्रदेश के 75 जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी की तैनाती की जा रही है, जिसमें पहले चरण में उन 43 जिलों को प्राथमिकता दी गई है, जहां सड़क हादसों की दर सबसे ज्यादा है। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के अनुसार, इन अधिकारियों की तैनाती से सड़क सुरक्षा को लेकर जन-जागरूकता बढ़ाई जाएगी और यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
वाहनों की जांच और निगरानी में तेजी-
सड़क हादसों की रोकथाम के लिए एआरटीओ रोड सेफ्टी के साथ-साथ मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआई) और असिस्टेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एएमवीआई) की तैनाती भी की जाएगी। इनकी जिम्मेदारी वाहनों की जांच, फिटनेस, और उनके मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगी, ताकि सड़क पर चलने वाले वाहन सुरक्षित हों। परिवहन विभाग ने इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया है और उम्मीद की जा रही है कि यह पहल सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में कारगर साबित होगी।
वित्तीय वर्ष तक सभी जिलों में तैनाती का लक्ष्य-
सरकार की योजना के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक सभी 75 जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी की तैनाती हो जाएगी। विशेषकर, उन 43 जिलों में यह प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है, ताकि हादसों पर जल्द से जल्द नियंत्रण पाया जा सके।
दुर्घटनाएं कम करने के लिए सख्त कदम-
सरकार सड़क हादसों को नियंत्रित करने के लिए न सिर्फ यातायात सुरक्षा में सुधार कर रही है, बल्कि सार्वजनिक जागरूकता अभियान भी शुरू करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, सड़कों की स्थिति में सुधार, यातायात सिग्नल और स्पीड लिमिट का पालन कराने जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं।
सुरक्षा के लिए आम नागरिकों की भागीदारी-
यातायात नियमों का पालन न करना और लापरवाही से वाहन चलाना दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। सरकार और परिवहन विभाग की ओर से नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे यातायात नियमों का कड़ाई से पालन करें। साथ ही, सड़क पर चलते समय सतर्कता बरतने और सुरक्षित ड्राइविंग का अभ्यास करने की भी सिफारिश की जा रही है। यूपी में सड़क हादसे एक गंभीर समस्या हैं, लेकिन सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों के चलते उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में दुर्घटनाओं में कमी आएगी। परिवहन विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों और आम नागरिकों की जागरूकता ही इस दिशा में बदलाव ला सकती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 12 October, 2024, 5:20 pm
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