गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम से सजी प्रयागराज की धरती हर 12 साल में एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक उत्सव का साक्षी बनती है-महाकुंभ। करोड़ों श्रद्धालु जब इस पवित्र स्थल पर उमड़ते हैं, तो यह केवल एक मेले का आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपराओं का विराट संगम बन जाता है। इस अनोखे आयोजन को और भी सुव्यवस्थित और भव्य बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बार एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान महाकुंभ मेला जनपद नामक अस्थायी जिला बनाया गया है, जो न केवल भीड़ प्रबंधन का केंद्र होगा बल्कि श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का नया आयाम भी स्थापित करेगा।
इतने गावों को मिलाकार बनाया गया ये जिला-
यह अस्थायी जिला 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक चलने वाले महाकुंभ मेले के लिए विशेष रूप से बनाया गया है। प्रयागराज की चार तहसीलों-सदर, सोरांव, फूलपुर और करछना के 67 गांवों को मिलाकर इसे गठित किया गया है। हालांकि, यह जिला मेले की समाप्ति के बाद पुनः प्रयागराज का हिस्सा बन जाएगा।
प्रशासनिक ढांचे की विशेष तैयारी-
इस जिले की कमान संभालने के लिए विजय किरन आनंद को जिलाधिकारी और राजेश द्विवेदी को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया है। इन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के तहत व्यापक प्रशासनिक अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारियों का मुख्य उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
इस अधिनियम के तहत की गई स्थापना-
महाकुंभ मेला जनपद की स्थापना उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण अधिनियम, 2017 के तहत की गई है। इस अधिनियम के तहत मेले की हर व्यवस्था-भीड़ नियंत्रण, सफाई, ट्रैफिक प्रबंधन, आपातकालीन सेवाएं और बुनियादी ढांचे की देखरेख-मेला प्राधिकरण की जिम्मेदारी होगी।
महाकुंभ की भव्यता और अस्थायी जिले की जरूरत-
महाकुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन है। 2025 के महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। शाही स्नान के खास दिनों में लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाते हैं। इतनी बड़ी भीड़ को सुचारू रूप से संभालने के लिए एक अलग प्रशासनिक इकाई का गठन आवश्यक हो जाता है। अस्थायी जिला बनने से प्रशासनिक निर्णय तेजी से लिए जा सकेंगे। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा, ट्रैफिक, आवास, भोजन और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
महाकुंभ मेला जनपद के अधिकार और भूमिका-
अस्थायी जिले को विशेष कानूनी अधिकार दिए गए हैं। इनमें शामिल हैं:
- भीड़ नियंत्रण के विशेष प्रावधान
- भूमि प्रबंधन और आर्थिक नियोजन
- आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई
इस जिले का प्रशासन सुनिश्चित करेगा कि श्रद्धालुओं को हर सुविधा मिले और मेले का आयोजन सुगम और सफल रहे।
महाकुंभ: परंपरा और आधुनिकता का संगम-
महाकुंभ भारतीय परंपराओं और आधुनिक प्रशासनिक क्षमताओं का अद्भुत मेल है। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भारत की विविधता और विशालता का प्रतीक भी है। जैसे ही 13 जनवरी को मेले की शुरुआत होगी, महाकुंभ मेला जनपद अपने दायित्वों को निभाने के लिए पूरी तरह तैयार होगा। और 26 फरवरी को मेले के समापन के साथ यह जिला भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर फिर से प्रयागराज का हिस्सा बन जाएगा।
महाकुंभ 2025 को भव्य और व्यवस्थित बनाने की दिशा-
महाकुंभ मेला जनपद की स्थापना महाकुंभ 2025 को भव्य और व्यवस्थित बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह अस्थायी जिला भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाते हुए, आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करेगा।