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ये चीजें बच्चों की मानसिकता पर कर रही हैं गहरा असर...

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भारत के शहरी क्षेत्रों में सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन गेमिंग का बच्चों पर गहरा प्रभाव दिखाई देने लगा है। यह डिजिटल दुनिया बच्चों के स्वभाव, धैर्य, और जीवनशैली को तेजी से बदल रही है, जिसमें कई नकारात्मक पहलू सामने आ रहे हैं। हाल ही में लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पैरेंट्स ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताएँ साझा कीं, जो बताता है कि यह बदलाव केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि बच्चों की मानसिकता और व्यवहार पर भी अपना असर छोड़ रहा है।

बच्चों की बढ़ती स्क्रीन टाइम: क्या कहते हैं आंकड़े?

लोकल सर्कल्स के सर्वे में यह सामने आया कि 47% माता-पिता के बच्चे प्रतिदिन 3 घंटे या उससे अधिक समय सोशल मीडिया, वीडियो, ओटीटी, और ऑनलाइन गेमिंग में बिताते हैं। वहीं, 10% पैरंट्स ने बताया कि उनके बच्चे 6 घंटे से भी अधिक समय डिजिटल प्लैटफॉर्म पर बिताते हैं। सर्वे में कुछ अन्य दिलचस्प आंकड़े भी मिले:

  • 3-6 घंटे: 37% बच्चों का समय इसी श्रेणी में आता है।
  • 1-3 घंटे: 39% बच्चे इतने समय तक डिजिटल प्लैटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
  • 1 घंटे तक: 9% बच्चों का उपयोग सीमित है।
  • कम समय: 5% बच्चों का डिजिटल स्क्रीन टाइम काफी कम है।
    (सर्वे में 13,285 लोगों ने भाग लिया)

माता-पिता की चिंता: क्या बच्चों के लिए चाहिए पैरेंटल कंट्रोल?

सर्वे के अनुसार, 66% पैरेंट्स चाहते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया, ओटीटी, और गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म्स पर पैरेंटल कंट्रोल अनिवार्य हो। इस विषय पर लोगों की राय विभिन्न प्रकार से सामने आई:

  • 66% पैरंट्स सहमति देते हैं कि बच्चों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होनी चाहिए।
  • 20% पैरंट्स का सुझाव है कि बिना सहमति के सोशल मीडिया यूज करने के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष होनी चाहिए।
  • 4% पैरंट्स सहमत हैं कि मौजूदा न्यूनतम आयु 13 वर्ष बरकरार रहनी चाहिए।
  • 10% पैरंट्स ने इस पर स्पष्ट राय नहीं दी।
    (इस खंड में 13,174 पैरंट्स ने सर्वे में भाग लिया)

डेटा सुरक्षा और बच्चों की सुरक्षा: नई नीतियों की मांग-

सर्वे के नतीजों से यह भी पता चला कि 66% पैरंट्स चाहते हैं कि सरकार आधार प्रमाणीकरण के जरिए यह सुनिश्चित करे कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया, ओटीटी, और ऑनलाइन गेमिंग के लिए माता-पिता की सहमति लेना अनिवार्य हो। इससे बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी और उनके डिजिटल अनुभव को सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

बच्चों की डिजिटल आदतों पर माता-पिता की भूमिका-

इस सर्वे के परिणाम यह स्पष्ट करते हैं कि सोशल मीडिया और डिजिटल मनोरंजन पर बच्चों की बढ़ती निर्भरता को रोकने के लिए माता-पिता और सरकार दोनों को महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। डिजिटल युग में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए पैरेंटल कंट्रोल और डेटा सुरक्षा जैसे उपाय जरूरी हो गए हैं।

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