उत्तर प्रदेश की जेलों में लगातार बढ़ती भीड़ पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। नई जेलों का निर्माण और पुरानी जेलों की क्षमता में विस्तार से प्रदेश की जेल व्यवस्था में सुधार की उम्मीदें जगी हैं। आने वाले दो वर्षों में जेलों की ओवरक्राउडिंग की समस्या को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।
साढ़े चार हजार बंदियों को मिलेगी जगह-
अगले तीन महीनों में अमेठी और महोबा में दो नई जेलों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। बरेली की पुरानी जिला जेल को मरम्मत और नए निर्माण के बाद फिर से शुरू किया जाएगा। इन तीनों जेलों में साढ़े चार हजार बंदियों को रखने की क्षमता होगी। इसके साथ ही मार्च 2026 तक कुशीनगर, जौनपुर, हाथरस और हापुड़ में चार नई जिला जेलों का निर्माण भी पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
साढ़े आठ हजार बंदियों की अतिरिक्त क्षमता होगी तैयार-
दो वर्षों में कुल सात नई जेलें बनेंगी, जिनकी कुल क्षमता साढ़े आठ हजार बंदियों की होगी। इसके अलावा, पुरानी जेलों में भी नई बैरकों का निर्माण कर उनकी क्षमता बढ़ाई जा रही है। प्रदेश में वर्तमान में 75 जेलें हैं, जिनमें 76,015 बंदियों को रखने की क्षमता है। हालांकि, मौजूदा समय में इनमें 90,639 बंदी निरुद्ध हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि जेलों में ओवरक्राउडिंग एक बड़ी समस्या है।
जेलों में घटेंगी आपराधिक घटनाएं, सुधरेगी सुरक्षा-
बागपत जेल में कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या, चित्रकूट जेल में गैंगवार और माफिया अतीक अहमद के केस जैसे मामले प्रदेश की जेल व्यवस्था पर सवाल खड़े करते रहे हैं। लेकिन, नई जेलों और अत्याधुनिक तकनीक की मदद से जेलों के भीतर निगरानी मजबूत होगी। जेल कर्मियों को कुख्यात अपराधियों पर नजर रखने और बंदियों के बीच टकराव को रोकने में मदद मिलेगी। इससे सुरक्षा व्यवस्था में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
पुरानी जेलों में नई बैरकों का निर्माण-
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, जेलों की क्षमता बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आगामी एक वर्ष में 24 जेलों में 30 बंदियों की क्षमता वाले 57 नई बैरक बनाई जाएंगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 34 जेलों में 84 और बैरक का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, हाई सिक्योरिटी बैरकों का निर्माण भी जारी है, जो खतरनाक अपराधियों की निगरानी को और पुख्ता बनाएगा।
गरीब बंदियों की रिहाई से मिली राहत-
सरकार ने गरीब और विचाराधीन बंदियों की जमानत राशि जमा कराकर उनकी रिहाई का विशेष अभियान भी चलाया। इससे जेलों में बंदियों की संख्या में कमी आई है।
भविष्य की जेलें: अत्याधुनिक तकनीक से लैस-
नई जेलों के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। जेलों में सीसीटीवी कैमरे, डिजिटल निगरानी और हाई सिक्योरिटी बैरकों के निर्माण से जेलों में सुरक्षा व्यवस्था को नए आयाम मिल रहे हैं।
ओवरक्राउडिंग से मुक्त होंगी जेलें-
जेलों की क्षमता बढ़ाने के साथ ही सरकार जेलों के भीतर की स्थिति को सुधारने के लिए प्रयासरत है। दो वर्षों में नए निर्माण कार्य और तकनीकी सुधारों से प्रदेश की जेलें ओवरक्राउडिंग से मुक्त हो जाएंगी। यह कदम न केवल जेल व्यवस्था को सुधारने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि बंदियों के बीच अपराध के मामलों में भी कमी आएगी।