उत्तर प्रदेश में एन्सेफलाइटिस जैसी गंभीर बीमारी, जो कभी पूर्वांचल के जिलों में बच्चों के लिए मौत का कारण बनती थी, अब अंतिम चरण में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले 7 वर्षों के भीतर इस बीमारी पर नियंत्रण पाया गया है। वहीं, एक समय ऐसा था जब उनके प्रयासों का मजाक भी उड़ाया गया था, खासकर गरीबों को साबुन बांटने को लेकर।
एन्सेफलाइटिस के कहर से हुई सैकड़ों बच्चों की मौत-
1970 के दशक से पूर्वांचल के गोरखपुर, कुशीनगर और आसपास के जिलों में एन्सेफलाइटिस बच्चों पर कहर बनकर टूटती थी। सैकड़ों बच्चों की मौत हो जाती थी और हजारों बच्चे अपंग हो जाते थे। 1996 से ही योगी आदित्यनाथ इस बीमारी के खिलाफ आवाज़ उठाते रहे, लेकिन उन्हें इस पर अंतिम रूप से काम करने का मौका तब मिला जब 2017 में वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
स्वच्छता और जागरूकता अभियान से मिली सफलता-
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में शपथ ग्रहण के बाद एन्सेफलाइटिस को खत्म करने के लिए एक विशेष मिशन शुरू किया। उन्होंने गरीब और प्रभावित क्षेत्रों में जाकर लोगों को स्वच्छता का महत्व समझाया। खासतौर पर मुसहर समुदाय के बीच स्वच्छता अभियान चलाया, जिसके तहत साबुन वितरण और साफ-सफाई के तरीके बताए गए। हालांकि, उनके इन प्रयासों का मजाक उड़ाया गया, लेकिन समय ने साबित कर दिया कि उनका यह कदम कितना कारगर साबित हुआ।
दस्तक अभियान की जागरूकता से मिली जीत-
सीएम योगी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश में वेक्टर और वाटर बॉर्न डिजीज के खिलाफ व्यापक अभियान चलाए गए। “दस्तक अभियान” के तहत हर वर्ष मानसून से पहले एन्सेफलाइटिस के खिलाफ विशेष जागरूकता अभियान चलाया गया। इसके तहत लोगों को बीमारी के लक्षणों, बचाव और स्वच्छता के महत्व के बारे में बताया गया।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं का विस्तार-
गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज, जो कभी एन्सेफलाइटिस का केंद्र था, उसे बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से लैस किया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एन्सेफलाइटिस ट्रीटमेंट सेंटर खोले गए। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एन्सेफलाइटिस अस्पताल और ब्लॉक बनाए गए।
एन्सेफलाइटिस के आंकड़ों में सुधार-
बीते कुछ वर्षों में एन्सेफलाइटिस के मामलों में भारी कमी आई है। साल 2020 से 2024 के बीच एन्सेफलाइटिस और जापानी एन्सेफलाइटिस के मामलों और मौतों में 76% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। 2020 में एन्सेफलाइटिस के 565 मामले और 57 मौतें हुईं थीं, जबकि 2024 में अब तक केवल 60 मामले और 9 मौतें हुई हैं। सरकार की इन कोशिशों के चलते यह बीमारी अब लगभग समाप्ति की कगार पर है।
टीकाकरण कार्यक्रम और सरकार की योजनाएं-
एन्सेफलाइटिस के खिलाफ लड़ाई में जापानी एन्सेफलाइटिस टीकाकरण कार्यक्रम की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 2006 में यह कार्यक्रम शुरू हुआ और 2014 में इसे राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा बना दिया गया।
गंदगी और जलजनित रोग हैं मुख्य कारण-
एन्सेफलाइटिस के मुख्य कारण गंदगी, अशुद्ध पेयजल और जलजमाव हैं। यह बीमारी मच्छर जनित होती है, खासकर जापानी एन्सेफलाइटिस। गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस बीमारी का प्रकोप बहुत अधिक था, लेकिन अब सफाई, स्वच्छता और टीकाकरण के चलते स्थिति काफी बेहतर हो गई है।
मुख्यमंत्री योगी की संवेदनशीलता और प्रयास-
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार प्रयासों और संवेदनशीलता के कारण एन्सेफलाइटिस जैसी घातक बीमारी पर काबू पाया जा सका। अब यह बीमारी उत्तर प्रदेश में अंतिम सांसें गिन रही है और इसके उन्मूलन की घोषणा जल्द ही होने की उम्मीद है।