उत्तर प्रदेश का MSME MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) सेक्टर देश की आर्थिक तरक्की में एक नई कहानी लिख रहा है। पारंपरिक उद्योगों से लेकर तकनीकी नवाचारों तक, यह सेक्टर राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है। नाबार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025-26 तक इस सेक्टर की विकास दर 52% तक पहुंचने का अनुमान है, जो इसे देश में सबसे तेज़ी से उभरते उद्योगों में शामिल करता है।
यूपी के MSME सेक्टर को 1.5 लाख करोड़ की अतिरिक्त फंडिंग
पिछले वित्त वर्ष में छोटे उद्यमियों ने 2.91 लाख करोड़ रुपये का लोन लिया था, और अब यह आंकड़ा आगामी वर्ष में 4.45 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त फंडिंग से यूपी के एमएसएमई को नया संजीवनी बल मिलने वाला है। यह न सिर्फ उद्योगों की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि लाखों नए रोजगार अवसरों की भी राह खोलता है। उत्तर प्रदेश में छोटे उद्योगों की यह तेज़ रफ्तार विकास की एक नई दास्तान लिखने के लिए तैयार है।
पारंपरिक क्लस्टरों से एमएसएमई को नई उड़ान
उत्तर प्रदेश में पारंपरिक औद्योगिक क्लस्टरों की बढ़ती उपस्थिति ने एमएसएमई सेक्टर को अप्रत्याशित रफ्तार दी है। देश की 6.33 करोड़ एमएसएमई इकाइयों में से 14% यूपी में स्थित हैं। यह सेक्टर 1.4 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दे चुका है, जिसमें 18 लाख नए रोजगार सिर्फ पिछले वर्ष में जुड़े हैं।
'एक जिला, एक उत्पाद' योजना से उद्योगों को नई दिशा
प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को गति देने के लिए ‘एक जिला, एक उत्पाद’ (ODOP) योजना बेहद सफल साबित हुई है। साथ ही, युवाओं के लिए कौशल विकास और नई एमएसएमई नीति ने इस सेक्टर में बड़ा बदलाव किया है। छोटे उद्योगों के निर्यात पर भी ध्यान दिया गया है, जिससे हस्तशिल्प, प्रसंस्कृत मीट, चर्म उत्पादों, सॉफ्टवेयर, बीपीओ, इलेक्ट्रॉनिक्स और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
निर्यात ऋण में ऐतिहासिक वृद्धि
निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए ऋण प्रवाह को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्ष 2025-26 में निर्यात के लिए 5,627 करोड़ रुपये के लोन की संभावना जताई गई है, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा होगा।
स्वरोजगार को बढ़ावा देगा 'मुख्यमंत्री युवा उद्यमी अभियान'
राज्य सरकार 'मुख्यमंत्री युवा उद्यमी अभियान' के तहत युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इससे तकनीकी और निर्माण इकाइयों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की संभावना है।
ऋण प्रवाह की नई दिशा: कृषि और एमएसएमई पर ज़ोर
उत्तर प्रदेश में ऋण प्रवाह अब तक मुख्य रूप से फसल उत्पादन तक सीमित था, लेकिन कृषि क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास और एमएसएमई सेक्टर को अधिक ऋण दिए जाने की जरूरत है। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक पंकज कुमार का कहना है कि इन क्षेत्रों में निवेश से राज्य सरकार के दस खरब डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी।
यूपी में एमएसएमई इकाइयों का आँकड़ा
✅ कुल एमएसएमई इकाइयां: 96 लाख
✅ सूक्ष्म इकाइयां: 89.64 लाख
✅ छोटी इकाइयां: 36 हजार
✅ बड़ी इकाइयां: 6 लाख
सरकार का मजबूत संकल्प, मुख्यमंत्री की सीधी निगरानी
एमएसएमई मंत्री राकेश सचान के अनुसार, यह सेक्टर प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। मुख्यमंत्री खुद एमएसएमई सेक्टर की निगरानी कर रहे हैं और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने के लिए लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। बैंकों से लोन स्वीकृति की संख्या बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश का एमएसएमई सेक्टर तेज़ी से बढ़ रहा है और आने वाले वर्षों में राज्य के आर्थिक परिदृश्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है।