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उत्तर भारत के कई शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भी कई शहर इस चुनौती का सामना कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस, जो कभी ग्रीन जोन में आता था, अब समय-समय पर ऑरेंज और रेड जोन में पहुंचने लगा है। ऐसे में बनारस में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नई पहल शुरू की गई है।
मियावाकी तकनीक: समाधान की ओर एक कदम
प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से बनारस में कृत्रिम जंगल तैयार किए जाएंगे, जो जापान की प्रसिद्ध मियावाकी तकनीक पर आधारित होंगे। इस तकनीक को जापान के वनस्पतिशास्त्री प्रोफेसर अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था। मियावाकी तकनीक का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में तेजी से घने और जैव विविधता से समृद्ध जंगल बनाना है। इस तकनीक के जरिए कम जगह में अधिक पेड़ लगाए जाते हैं, जो न केवल वायु प्रदूषण को कम करते हैं, बल्कि स्थानीय पर्यावरण को भी सशक्त बनाते हैं।
मियावाकी तकनीक की विशेषताएं
यह तकनीक सामान्य जंगलों की तुलना में 10 गुना तेजी से पेड़ों की वृद्धि सुनिश्चित करती है।
इसके तहत उगाए गए जंगल सामान्य जंगलों की तुलना में 30 गुना ज्यादा घने होते हैं।
इन जंगलों की देखभाल की आवश्यकता न्यूनतम होती है। एक बार पेड़ जड़ें जमा लें, तो वे स्वाभाविक रूप से बढ़ते रहते हैं।
बनारस में मियावाकी तकनीक का उपयोग
बनारस नगर निगम ने मियावाकी तकनीक के जरिए ‘उपवन योजना’ शुरू की है। इस योजना के तहत कंचनपुर और सारंग तालाब के पास 1.5 से 2 एकड़ भूमि में कृत्रिम जंगल लगाए जाएंगे।
प्रमुख बिंदु:
इन जंगलों में नीम, बरगद, पीपल और पाकड़ जैसे लंबे जीवन वाले पेड़ लगाए जाएंगे।
लगभग 20,000 पौधे रोपे जाएंगे, जो प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ हरियाली भी बढ़ाएंगे।
मियावाकी तकनीक के फायदे
तेजी से बढ़ने वाले जंगल: इस तकनीक से जंगल 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं और वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर बेहतर होता है।
घनी हरियाली: यह सामान्य जंगलों की तुलना में 30 गुना ज्यादा घने होते हैं, जिससे जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।
कम देखभाल: एक बार जंगल तैयार हो जाए, तो उसे अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम-
बनारस में मियावाकी तकनीक से तैयार किए जा रहे कृत्रिम जंगल शहरी इलाकों में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक आदर्श कदम हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण को शुद्ध बनाएगी, बल्कि बनारस की सुंदरता और हरियाली को भी बढ़ाएगी। नगर निगम की यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है, जहां प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। मियावाकी तकनीक जैसे वैज्ञानिक उपायों को अपनाकर शहरी क्षेत्रों में हरियाली और स्वच्छता सुनिश्चित की जा सकती है।
Baten UP Ki Desk
Published : 14 December, 2024, 4:36 pm
Author Info : Baten UP Ki