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अब प्रयागराज से सीखेगा पूरा देश! महाकुंभ बना अर्थव्यवस्था का इंजन...

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उत्तर प्रदेश में आयोजित होने वाले महाकुंभ जैसे भव्य धार्मिक आयोजन अब सिर्फ आस्था का नहीं, अर्थव्यवस्था का भी केंद्र बनते जा रहे हैं। योगी सरकार ने इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए 11 जिलों में गहन अध्ययन कराने का फैसला किया है, जिससे यह समझा जा सके कि महाकुंभ जैसे आयोजनों का राज्य की अर्थव्यवस्था पर कितना गहरा प्रभाव पड़ता है।

इन जिलों में होगा आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन

अध्ययन के दायरे में आने वाले जिले हैं — प्रयागराज, वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, लखनऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र, चित्रकूट, आगरा, सीतापुर और महाकुंभ नगर। इन क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन, होटल व्यवसाय, ट्रांसपोर्ट, स्थानीय उद्योग और रोजगार पर पड़े प्रभाव का विस्तृत डेटा एकत्र किया जा रहा है।

महाकुंभ बनेगा विकास का ब्लूप्रिंट

यूपी सरकार का मानना है कि यह स्टडी यह दिखाएगी कि कैसे महाकुंभ जैसे आयोजन न सिर्फ लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करते हैं, बल्कि स्थानीय व्यापार और सेवाओं को भी नई गति देते हैं। अध्ययन का विशेष फोकस जल सेवाओं, पर्यटन सुविधाओं, लोकल व्यापार और रोजगार सृजन पर रहेगा। राज्य सरकार का इरादा है कि प्रयागराज मॉडल से सीखकर अन्य धार्मिक शहरों को भी इसी तर्ज पर विकसित किया जा सके। इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आर्थिक विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे।

परंपरा में छिपा है प्रगति का रास्ता

एक अधिकारी के अनुसार, "हम सिर्फ आस्था को नहीं, अवसरों को भी देख रहे हैं। प्रयागराज ने जो उदाहरण पेश किया है, वह बाकी धार्मिक शहरों के लिए प्रेरणा बन सकता है।" महाकुंभ अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि का जरिया भी बनता जा रहा है। और अगर यह मॉडल सफल रहा, तो भारत के कई धार्मिक शहरों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकती है।

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