उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को बिजली के निजीकरण का मुद्दा गरमागरम बहस का केंद्र बना। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि बिजली के निजीकरण के पीछे का मकसद सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना है। विपक्ष के इन हमलों का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल का जोरदार बचाव किया, इसे प्रदेश में बिजली व्यवस्था सुधारने का कारगर कदम बताया।
योगी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं-
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जब प्रदेश में योगी सरकार ने सत्ता संभाली, तब 1.21 लाख मजरों में बिजली नहीं पहुंची थी। वर्तमान कार्यकाल में केवल ढाई वर्षों में 50 हजार से अधिक नए बिजली कनेक्शन दिए गए। उन्होंने बताया कि बिजली क्षेत्र को पीपीपी मॉडल पर विकसित करने का मकसद 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराना है।
मनमोहन सरकार से शुरू हुआ था पीपीपी मॉडल-
ऊर्जा मंत्री ने स्पष्ट किया कि पीपीपी मॉडल की शुरुआत केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने की थी, और यह मॉडल अब कई क्षेत्रों में सफल साबित हो चुका है। आगरा और नोएडा जैसे शहरों में इस मॉडल ने बिजली आपूर्ति में सुधार किया है।
नोएडा मॉडल का दिया उदाहरण-
उन्होंने कहा कि नोएडा की कंपनी द्वारा दी जाने वाली बिजली की दर प्रदेश की औसत दर से 10% कम है। इसके बावजूद वहां उपभोक्ताओं को सरकार से किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं मिलती। यह मॉडल प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कारगर कदम साबित हो सकता है।
बेहतर सेवाओं के लिए उठाया कदम-
अन्य क्षेत्रों में सफल प्रयोग-
ऊर्जा मंत्री ने हाईवे और बस अड्डों में पीपीपी मॉडल के सफल प्रयोगों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यदि सेवाओं में सुधार की गुंजाइश है, तो इसे अपनाने में हर्ज नहीं। टोरेंट जैसी कंपनियों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर चुना गया है।
कर्मचारियों को नहीं होगा नुकसान-
उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकारी, संविदा, और ठेका कर्मियों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर इस प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
पावर एसोसिएशन का विरोध
लाइन हानि के नाम पर बजट आवंटन पर सवाल-
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने बिजली विभाग को भारी बजट आवंटन पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि जब बिजली कंपनियों को निजी क्षेत्र में देने की तैयारी हो रही है, तो भारी धनराशि क्यों दी जा रही है? इसकी जांच की मांग की गई।
निजीकरण को लेकर सरकार की अस्पष्टता-
एसोसिएशन ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार निजीकरण के मुद्दे पर स्पष्ट जवाब नहीं दे रही। जहां विधानसभा में जवाब दिया गया कि डिस्कॉम के निजीकरण पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है, वहीं ऊर्जा मंत्री ने इसे पूरी तरह से नकारना गलत बताया।
कर्मचारियों की चेतावनी-
वंचित वर्ग के लिए जन आंदोलन की तैयारी-
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण की योजना को लेकर अस्पष्टता और विरोधाभासी बयान कर्मचारियों को जन आंदोलन के लिए मजबूर कर रहे हैं। उनका कहना है कि वंचित और पिछड़े वर्ग के कर्मचारी अपनी आवाज उठाने के लिए संगठित होंगे।
क्या है निजीकरण का भविष्य-
ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए आश्वासनों और विरोधाभासी बयान सरकार की नीतियों को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं। हालांकि, पीपीपी मॉडल को अपनाने का मकसद प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देना है, लेकिन इसके विरोध में खड़े कर्मचारी और एसोसिएशन इसे बड़ा मुद्दा बना सकते हैं।