24 नवंबर को हुए बवाल के बाद संभल में पुलिस प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो गया है। जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी के निर्माण कार्य की शुरुआत हो चुकी है। शुक्रवार को मस्जिद के सामने खाली मैदान में जमीन की खोदाई करवाई गई। इसके बाद शनिवार सुबह विधिवत भूमि पूजन किया गया।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक-
इस पुलिस चौकी का नाम 'सत्यव्रत पुलिस चौकी' रखा जा सकता है। अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चंद्र ने बताया कि यह नाम संभल के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित किया गया है। यह चौकी न केवल सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान भी करेगी।
पुश्तैनी जमीन का दावा, प्रशासन ने किया खारिज-
कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस चौकी के लिए चुनी गई जमीन पर अपनी पुश्तैनी जमीन होने का दावा किया। हालांकि, एसडीएम ने इन दावों को खारिज कर दिया। एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने स्पष्ट किया कि यह चौकी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनाई जा रही है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे-
24 नवंबर की घटना के बाद सुरक्षा के मद्देनजर शहर में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का कार्य तेजी से हो रहा है। डीएम ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं ताकि पूरे शहर की निगरानी सुनिश्चित हो सके।
चंदौसी में मिली अनोखी बावड़ी: राजा चंद्रविजय सिंह का दावा
तीन मंजिला बावड़ी: उत्तरी भारत का दुर्लभ उदाहरण-
चंदौसी में मिली तीन मंजिला बावड़ी ने क्षेत्र में चर्चा का माहौल बना दिया है। इस बावड़ी को लेकर पूर्व सांसद राजा चंद्रविजय सिंह ने दावा किया है कि यह उनके परिवार की मिल्कियत है। उन्होंने बताया कि यह बावड़ी उनके पूर्वज राजा कृष्ण कुमार सिंह द्वारा निर्मित कृष्ण निवास कोठी के परिसर में स्थित है।
राजा का सुझाव: पुरातत्व विभाग करे जीर्णोद्धार-
राजा चंद्रविजय सिंह ने पुरातत्व विभाग से आग्रह किया है कि इस ऐतिहासिक बावड़ी का जीर्णोद्धार किया जाए। उनका कहना है कि इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है, जिससे चंदौसी वासियों को लाभ होगा।
प्राचीन धरोहरों के संरक्षण पर जोर-
प्रेस वार्ता के दौरान राजा ने प्रशासन से पुराने रिकॉर्ड खंगालने की अपील की, ताकि बावड़ी की ऐतिहासिक सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का एक अमूल्य हिस्सा है।
संस्कृति और सुरक्षा का संगम-
संभल और चंदौसी की ये घटनाएं एक ओर सुरक्षा के नए मानदंड स्थापित कर रही हैं, तो दूसरी ओर क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं।