आनंदीबेन पटेल ने यूपी के राज्यपाल के रूप में एक नया इतिहास रचते हुए सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया। गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री, जिन्होंने 23 जनवरी 2018 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल के तौर पर कार्यभार संभाला, अब मोदी सरकार में सबसे अधिक समय तक राज्यपाल बनने का गौरव प्राप्त कर चुकी हैं। उनके कार्यकाल के दौरान यूपी में कई नेताओं ने छोटा कार्यकाल पूरा किया, जिनमें से कुछ महज 4 दिन तक ही पद पर बने रहे।
आनंदीबेन पटेल का असाधारण कार्यकाल-
आनंदीबेन पटेल ने 29 जुलाई 2019 को यूपी के राज्यपाल पद का कार्यभार संभाला और 29 जुलाई 2024 तक इस पद पर रहीं। उनके नियुक्ति आदेश में ‘5 साल या अगला राज्यपाल नियुक्त होने तक’ लिखा था, जिसके कारण वह अब भी इस पद पर कायम हैं। आनंदीबेन का कार्यकाल पांच साल 166 दिन का हो चुका है, और उन्होंने यूपी के छठे राज्यपाल बैजवाड़ा गोपाल रेड्डी के रिकॉर्ड को तोड़ा, जो 5 साल और 60 दिन तक राज्यपाल रहे थे।
केंद्र में मोदी सरकार के साथ सबसे लंबा कार्यकाल-
आनंदीबेन पटेल को अब तक मोदी सरकार में सबसे लंबे समय तक राज्यपाल रहने का अवसर मिला है। उनका कार्यकाल 23 जुलाई 2025 तक छह साल पूरा करेगा। उन्होंने मध्यप्रदेश में भी लंबे समय तक राज्यपाल का कार्य किया, जहां 2018 से 2019 तक उनका कार्यकाल एक साल 188 दिन का रहा। इसके बाद 2020 में उन्हें मध्यप्रदेश का अतिरिक्त प्रभार दिया गया, जिसे उन्होंने 2021 तक संभाला।
भारत में राज्यपालों का कार्यकाल और चुनौती-
भारत में यूपी के राज्यपाल के पद पर 1950 से अब तक 24 व्यक्ति रह चुके हैं, लेकिन सिर्फ सात राज्यपालों ने ही अपने पांच साल के कार्यकाल को पूरा किया। इनमें से कन्हैया माणकलाल मुंशी, विश्वनाथ दास राव, और बैजवाड़ा गोपाल रेड्डी जैसे दिग्गज शामिल हैं। आनंदीबेन पटेल उन चुनिंदा नामों में शामिल हैं, जिन्होंने यह असाधारण उपलब्धि हासिल की।
महिलाओं और शिक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता-
राज्यपाल के प्रमुख सचिव हेमंत राव के अनुसार, आनंदीबेन का सबसे बड़ा फोकस महिलाओं और छात्रों के उत्थान पर है। वह महिला सशक्तिकरण और बेटियों की शिक्षा को विशेष रूप से महत्व देती हैं। उनके प्रयासों से यूपी के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) में A प्लस और ए ग्रेड प्राप्त हुए हैं।
राजनीतिक नेताओं से आगे आनंदीबेन का कार्यकाल-
मोदी सरकार में यूपी के कई दिग्गज नेताओं को राज्यपाल नियुक्त किया गया था, लेकिन कोई भी अपने कार्यकाल को पूरा करने के बाद दोबारा राज्यपाल नहीं बना। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, केसरीनाथ त्रिपाठी, रामनाथ कोबिंद, और लालजी टंडन जैसे नेता शामिल हैं। जबकि रामनाथ कोबिंद को राष्ट्रपति पद पर आसीन किया गया।
आनंदीबेन की हालिया चर्चा और विवाद-
आनंदीबेन पटेल हाल ही में यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को लेकर चर्चा में आईं। उनके द्वारा अधिकारियों पर नाराजगी जताने के बाद यह मामला दिल्ली तक पहुंचा। इसके अलावा, उन्होंने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक का समर्थन किया, जिससे एबीवीपी और कुछ नेताओं में भी हलचल मच गई। आनंदीबेन पटेल का कार्यकाल यूपी के इतिहास में महत्वपूर्ण बन चुका है, न सिर्फ अपनी लंबाई के कारण, बल्कि उनके कार्यों और नेतृत्व की वजह से भी।