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अब यूपी में छात्रों की सुरक्षा होगी सबसे ऊपर...सुरक्षा में नहीं छोड़ी जाएगी कोई कसर!

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उत्तर प्रदेश में सभी विद्यालयों में सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया जा रहा है। जल्द ही इन स्कूलों का सुरक्षा ऑडिट कराया जाएगा, जिसमें भवन, खेल मैदान और प्रयोगशालाओं की सुरक्षा को प्रमुख रूप से परखा जाएगा। साथ ही, हर साल दो बार मॉकड्रिल का आयोजन भी अनिवार्य किया गया है ताकि आपातकालीन स्थितियों में सही तरीके से तैयारी की जा सके। यह निर्देश स्कूल शिक्षा महानिदेशालय द्वारा सभी जिलों को भेजे गए हैं, जिनमें सुरक्षा के मानक तय करने के लिए पीडब्ल्यूडी से सूची भी प्राप्त की गई है।

क्या-क्या होंगे अहम जांच बिंदु?

प्राथमिक विद्यालयों में सुरक्षा को लेकर कई बिंदुओं की सूची तैयार की गई है, जिसमें सबसे पहले स्कूल भवन की स्थिति पर फोकस किया जाएगा। छत और दीवारों में दरार, फाल्स सीलिंग की मजबूती, कक्षा कक्षों के प्लास्टर का सही होना, और प्रवेश-निकास के मार्गों की अवरोधमुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, गलियारों और फर्श की स्थिति भी जांची जाएगी ताकि किसी प्रकार का खतरा न हो।

बिजली संबंधी जोखिमों को कैसे दूर किया जाएगा?

विद्यालयों में बिजली संबंधी सुरक्षा की स्थिति पर भी ध्यान दिया जाएगा। खासकर बिजली के तारों की लटकी हुई स्थिति, शॉर्ट सर्किट के खतरे को रोकने के लिए एमसीबी की व्यवस्था, और एयर कंडीशनिंग व हीटर की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा, कम रोशनी वाले स्थानों को चिन्हित किया जाएगा, ताकि सुरक्षा में कोई कमी न हो। बिजली की जांच हफ्ते में एक बार की जाएगी।

चोटों से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

खेल के मैदानों में छात्रों के सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण बिंदु होंगे। जंग लगी लोहे की रॉड, नुकीले कोने, और अन्य संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए मैदान की स्थिति को जांचा जाएगा। इसके साथ ही अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता और तात्कालिक निकासी मार्गों की सटीकता की भी पुष्टि की जाएगी।

अग्नि, बाढ़ और भूकंप के लिए मॉकड्रिल

आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए भी योजना बनाई गई है। विद्यालयों को आग, बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं के लिए मॉकड्रिल कराने के निर्देश दिए गए हैं। इससे छात्रों और शिक्षकों की तैयारियों को परखा जाएगा और सुरक्षित निकासी की प्रक्रिया को भी सुनिश्चित किया जाएगा।

छात्रों की सुरक्षा में नहीं छोड़ी जाएगी कोई कसर 

स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर एक पहलू, चाहे वह भवन की संरचना हो, बिजली सुरक्षा हो, या खेल के मैदान की स्थिति हो, छात्र और शिक्षक दोनों के लिए सुरक्षित हों। सभी विद्यालयों को यह निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द इस ऑडिट की प्रक्रिया को पूरा करें ताकि सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा सके।

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