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100 साल बाद अब यूपी दोहराएगा ये इतिहास, अब यूपी में होगा विश्वयुद्धों में धाक जमाने वाली इस रिवाल्वर का निर्माण

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किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा कि एक ऐसा हथियार, जो 100 साल पहले इतिहास का हिस्सा बन चुका था, फिर से जीवित होगा। और वो भी उत्तर प्रदेश से! जी हां, हम बात कर रहें है वेब्ले-455 रिवाल्वर की, जिसने कभी विश्वयुद्धों में अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। अब यही रिवाल्वर फिर से बनेगी और इसे सीधे अमेरिका भेजा जाएगा। 

उत्तर प्रदेश से होगी वेब्ले-455 की वापसी-

बात साल 1887 की है, जब ब्रिटेन की शस्त्र कंपनी वेब्ले ने पहली बार इस रिवाल्वर को बाजार में उतारा। ये वो दौर था, जब ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज कभी नहीं डूबता था। वेब्ले-455 एक एंटीक रिवाल्वर थी, जिसे ब्रिटिश सेना ने कई बड़े युद्धों में इस्तेमाल किया। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, ये हथियार हर सैनिक के लिए महत्वपूर्ण था। ये इतना प्रसिद्ध हुआ कि 1924 तक इसका उत्पादन जारी रहा और इसे युद्धों में लगातार प्रयोग किया गया। 1887 से 1924 तक, इसका निर्माण किया गया और 1.25 लाख पीस बनाए गए थे। इसका इस्तेमाल 1887 से 1963 तक ब्रिटिश सेना और अन्य जगहों पर हुआ। आयरलैंड के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारत-चीन युद्ध तक, हर जगह इसका नाम जुड़ा हुआ है।

 100 साल बाद फिर से बनेगी वेब्ले-455 रिवाल्वर-

अब, 100 साल बाद, इस रिवाल्वर का निर्माण उत्तर प्रदेश में होगा। वेब्ले ने भारत की स्याल मैन्यूफैक्चर प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की है। इस रिवाल्वर की तकनीक ब्रिटेन से आएगी, लेकिन इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश में किया जाएगा। यह पहली बार है जब उत्तरप्रदेश से अमेरिका को हथियार निर्यात किया जाएगा।

अमेरिका से मिला 10,000 पीस का आर्डर-

अमेरिका ने उत्तर प्रदेश में बनने वाले वेब्ले-455 रिवाल्वर के 10,000 पीस का आर्डर दिया है।अमेरिका के साथ-साथ दक्षिण अमेरिका, ब्राजील और यूरोप के 16 देशों में भी इसकी भारी मांग है। खास बात यह है कि भारत में इस रिवाल्वर को 455 बोर होने के कारण प्रतिबंधित किया गया है, लेकिन विदेशों में इसकी डिमांड दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

वेब्ले-455 रिवाल्वर की ये हैं खासियतें-

इस रिवाल्वर की खासियत की बात करें तो इसका वजन 1.1 किलो है और इसकी लंबाई 11.25 इंच। 6 इंच लंबा बैरल इसे एक सटीक हथियार बनाता है। ये प्रति मिनट 20 से 30 राउंड फायर कर सकती है, और इसकी प्रभावी फायरिंग रेंज 46 मीटर तक है। चाहे वो प्रथम विश्वयुद्ध हो या द्वितीय विश्वयुद्ध, इस रिवाल्वर ने हर बड़े युद्ध में अपनी पहचान बनाई।

अमेरिका से मिले बड़े आर्डर के बाद, अब और भी कई देशों से इसके लिए आर्डर आने की संभावना है। उत्तर प्रदेश, जो अब तक खेती और संस्कृति के लिए जाना जाता था, अब शस्त्र निर्माण के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाने जा रहा है। बता दें कि इसके आलावा भी यूपी के अलीगढ़ और कानपुर में भी डिफेन्स कॉरिडोर में फैक्ट्री का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। जिससे यहां बने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल देश की सेना करेगी। वेब्ले-455 के निर्माण के साथ, उत्तर प्रदेश के लिए नए दरवाजे खुल रहे हैं। 

 

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