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यूपी के लोकगीत - भाग 1

लोक गीत जिसे साधारण भाषा में कहे तो आम जनमानस द्वारा गाए जाने वाले गीत, यानी जिनमे बहुत ज्यादा कठोर नियमों का पालन नहीं होता, ये गाने में सरल सुलभ और आम जनमानस की ठेठ बोलियों में होते हैं। इनमे अपनी मधुरता होती है साथ ही क्षेत्रीय भाषा की धमक होती है, एक अपनापन होता है और इन्हे अलग-अलग विषयों में गाया जाता है। जैसे- जब बच्चा पैदा होता है तो उत्साह गीत, जब उसका विवाह होता है तो विवाह गीत ,जब कोई त्योहार होता है तो इसके लिए अलग गीत  होते हैं। इन्ही गीतों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है ।

कजरी

इन गीतों में सबसे पहला नाम आता है-कजरी। कजरी सावन के महीने में गाया जाने वाला पूर्वी उत्तर प्रदेश का लोकगीत है इसे भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में गाया जाता है। ऐसा माना जाता है की इसकी उत्पत्ति मिर्जापुर के क्षेत्र से हुई और यहाँ के लोग माता विंध्यवासनी की उपासना में ये गीत गाते थे। कजरी गीत में श्रृंगार रस की प्रधानता होती है। यह अर्ध-शास्त्रीय गायन की विधा के रूप में विकसित हुई संगीत शाखा है। कजरी गीतों में न केवल सावन की वर्षा ऋतु का वर्णन बल्कि प्रेयसी और पत्नियों के  विरह-वर्णन तथा राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं का भी वर्णन मिलता है। जैसे ध्रुपद में वाणी और ख्याल गायकी में घराने होते हैं थी उसी तरह कजरी में अखाड़े होते हैं जिनकी अपनी अपनी विशेषताएं होती हैं। इन अखाड़ों में अक्खड़ अखाड़ा, बैरागी अखाड़ा, पंडित शिवदास अखाड़े आदि प्रमुख है। कजरी की प्रसिद्ध गायकों वा गायिकाओं में मालिनी अवस्थी, शारदा सिन्हा, विंध्यवासिनी देवी आदि गायिकाओं का नाम प्रमुख है ।

सोहर

लोकगीतों की इसी कड़ी में अगला नाम आता है सोहर का।  सोहर मुख्य रूप से अवध क्षेत्र का लोकगीत है लेकिन इसे भी समूचे उत्तरप्रदेश में ही गया जाता है।  सोहर को उत्तरप्रदेश में बच्चे के जन्म के समय गाया जाता है और यह एक उल्लास का गीत है  इसमें बच्चे के जन्म के समय के क्रियाकलापों को गीत में पिरोकर गाया जाता है  सोहर का उपयोग कृष्ण जन्मोत्सव और राम जन्मोत्सव के समय भी किया जाता है सोहर वैसे तो अवध क्षेत्र का ही गीत है पर इसे बिहार और मिथिलांचल के क्षेत्रों में भी खूब गया जाता है इसे अवधी भोजपुरी और मैथिली भाषाओं में गाया जाता है बिहार क्षेत्र में सोहर को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भिकारी ठाकुर को दिया जाता है महेंद्र मिसिर, शारदा सिन्हा और मालिनी अवस्थी जैसे लोक गायक और गायिकाओं ने सोहर को देश स्तरीय ख्याति दिलाई है। सोहर आज भी उत्तर प्रदेश में गाये जाने वाले लोकगीतों के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है। इसका स्वरुप क्षेत्र के हिसाब से बदलता रहता है। 

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