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निबंधात्मक मुद्दे भाग 9 : 'प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना' (राष्ट्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल)

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"प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना"

भारत विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। विकास की इस गति को बनाए रखने के लिए भारत को निवेश बढ़ाने तथा संरचनात्मक सुधार करने की आवश्यकता है। 2024 तक भारत सरकार की बुनियादी अवसंरचना में 100 लाख करोड़ से अधिक निवेश करने की योजना है। निजी एवं विदेशी निवेशक भी निवेश को इच्छुक हैं, उदाहरण के लिए हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री तथा यूएई के निजी निवेशकों ने भारत में निवेश के लिए समझौते किए हैं। इन निवेशों से महत्तम लाभ अर्जित करने के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्कता लंबे समय से बनी हुई थी। यही नहीं संरचनात्मक सुधारों में विभागों के बीच आपसी समन्वय तथा संसाधनों का अपव्यय को कम करने की आवश्यकता भी थी। इन्हीं को देखते हुए प्रधानमंत्री गतिशक्ति  योजना प्रारंभ की गई है।

प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना एक तरह का डिजिटल मंच है जिससे रेल और परिवाहन समेत 16 मंत्रालय जुड़े हैं। इस योजना की शुरुआत 13 अक्टूबर 2021 को की गई थी। बजट 2022-23 में इस योजना को काफी महत्व दिया गया है। यह भारत सरकार की वर्ष 2024 तक बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में 100 ट्रिलियन निवेश करने की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत विश्वस्तरीय सड़कें, मेट्रो परियोजनाओं, अंतर्देशीय जलमार्ग, प्राकृतिक गैस ग्रिड और हवाई अड्डों के निर्माण की योजना है। दरअसल अवसंरचना देश के आर्थिक विकास की रीढ़ होती है और इसका विकास भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में बुनियादी ढांचे का विकास निर्णायक भूमिका निभाएगा परंतु वर्तमान कार्यकारी संरचना इस तरह की है कि उसमें अलग-अलग विभागों में पूर्णतः पृथक रूप से कार्य किया जाता है। इससे किसी भी प्रोजेक्ट के क्लीयरेंस या अन्य तरह के सहयोग को लेकर न केवल जटिलता आती है, बल्कि काफी समय भी लग जाता है। उदाहरण के लिए, एक बार सड़क बनने के बाद, केबल बिछाने या गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए अन्य सरकारी एजेंसियां इसे खोद देती हैं। इससे न केवल असुविधा होती है, बल्कि बड़े पैमाने पर जनता का पैसा अनावश्यक रूप से खर्च होता है।

इस तरह की समस्या से निपटने के लिए प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना का प्रस्ताव रखा गया है ताकि साल 2024-25 तक सभी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के लक्ष्यों को विभागों के पूर्ण समन्वय से पूरा किया जा सके। गति शक्ति योजना का मुख्य उद्देश्य विभागों के समन्वय से खर्च में कमी के साथ साथ त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। अभी तक ऐसा कोई ढांचा नहीं था जो विभागों में ये समन्वय कर सके इसी आवश्यकता को देखते हुए सरकार ने एक डिजिटल मंच के रूप में प्रधानमंत्री गतिशक्ति योजना प्रारंभ की है। इसमें सड़क परिवहन रेल समेत 16 मंत्रालयों को  एक साथ जोड़ा गया है। 

पीएम गति शक्ति परियोजना मास्टर प्लान के 6 स्तम्भ बताए गए हैं, जिनमें व्यापकता, प्राथमिकता, अनुकूलन, तुल्यकालन, विश्लेषणात्मकता और गतिशीलता शामिल हैं।

व्यापकता से तात्पर्य है कि इसमें एक केंद्रीकृत पोर्टल के साथ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सभी मौजूदा और नियोजित पहल शामिल होंगी। प्रत्येक विभाग को अब व्यापक रूप से परियोजनाओं की योजना और निष्पादन के दौरान महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने वाली एक-दूसरे की गतिविधियों की दृश्यता होगी।

प्राथमिकता का अर्थ है कि इसके माध्यम से विभिन्न विभाग क्रॉस-सेक्टोरल इंटरैक्शन के माध्यम से अपनी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में सक्षम होंगे।

अनुकूलन राष्ट्रीय मास्टर प्लान महत्वपूर्ण अंतराल की पहचान के बाद परियोजनाओं की योजना बनाने में विभिन्न मंत्रालयों की सहायता करेगा। माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए योजना समय और लागत के मामले में सबसे इष्टतम मार्ग चुनने में मदद करेगी। पीएम गति शक्ति के सात इंजन हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उनका महत्व इस प्रकार हैं - 

सड़कें : सड़कें वे धमनियां हैं जिनके माध्यम से अर्थव्यवस्था स्पंदित होती है। सड़क बुनियादी ढांचा का केंद्र बिन्दु है जो भारत की उत्पादकता और कृषि और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए रोडवेज बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे रेलवे के निर्माण के लिए फिट (दुष्कर भूभाग होने के कारण) नहीं हैं।

रेलवे: रेलवे भारत में प्रचलित यात्रा साधनों के बीच परिवहन के सबसे किफायती साधन के रूप में कार्य करता है। भारतीय रेलवे भारत में सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है। यह सड़क की तुलना में छह गुना अधिक ऊर्जा कुशल और चार गुना अधिक किफायती है।

हवाई अड्डे: हवाईअड्डे विकास केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य करते हैं, स्पिलओवर और ट्रिकलडाउन प्रभावों के परिणामस्वरूप पूरेक्षेत्र का विकास करते हैं। हवाई परिवहन भौतिक बाधाओं से मुक्त है और आपदाओं के दौरान इनका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है क्योंकि बचाव कार्यों के लिए ट्रेनें और सड़कें अप्रभावी होती हैं।

बंदरगाहः जल परिवहन भारी वस्तुओं के निर्यात और आयात का एक आसान और सस्ता साधन है। इस संदर्भ में बंदरगाहों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। बंदरगाह जलमार्ग में एक ऐसा स्थान है जहां एक जहाज सामान लोड करने और उतारने के लिए रुक सकता है। जो भूमि और समुद्री व्यापार के लिए नोडल बिंदु हैं।

जन परिवहनः जन परिवहन ही पारगमन चैनल के साथ लोगों की अधिक कुशल आवाजाही की अनुमति देता है। बेंगलुरु, दिल्ली आदि जैसे महानगरों में मानव उत्पादन घंटो की संख्या में वृद्धि करता है। शहरीकरण की बढ़ती दर के कारण बड़े पैमाने पर का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

जलमार्गः जल परिवहन प्रणाली गतिशीलता और कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है और कम पर्यावरणीय पदचिह्न और लागत के साथ जमीनी स्तर पर रोजगार पैदा करती है। यह समय माल कार्गो के परिवहन की लागत के साथ-साथ राजमार्गों पर भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं को भी कम करता है।

लॉजिस्टिक इन्फ्रास्ट्रक्चरः यह रोजगार के ढेर सारे अवसर पैदा करता है। बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लॉजिस्टिक सेक्टर में 2022 तक 30 लाख नए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है। लॉजिस्टिक्स उद्योग के विकास से परिवहन क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिला है।

तुल्यकालन से तात्पर्य है कि वर्तमान में अलग-अलग मंत्रालय और विभाग प्राय: स्वतन्त्र रूप में काम करते हैं। परियोजना के नियोजन एवं क्रियान्वयन में समन्वय का अभाव होता है जिसके परिणामस्वरूप विलम्ब होता है। पीएम गतिशक्ति प्रत्येक विभाग की गतिविधियों के साथ-साथ शासन की विभिन्न स्तरों को उनके बीच काम में समन्वय सुनिश्चित करके समग्र रूप से समन्वयित करने में मदद करेगी।

विश्लेषणात्मकता की विशेषता योजना को सेटेलाइट आधारित और विश्लेषणात्मक उपकरणों के साथ एक ही स्थान पर संपूर्ण डेटा प्रदान करेगी, जिससे निष्पादन एजेंसी को बेहतर समझ प्राप्त होगी। 

गतिशीलता से तात्पर्य सभी मंत्रालय और विभाग अब जीआईएस प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्रॉस-सेक्टोरल परियोजनाओं की प्रगति की कल्पना, समीक्षा और निगरानी करने में सक्षम होंगे, क्योंकि उपग्रह इमेजरी समय-समय पर जमीनी प्रगति देगी और परियोजनाओं की प्रगति को अद्यतन किया जाएगा। पोर्टल पर नियमित रूप से यह मास्टर प्लान को बढ़ाने और अद्यतन करने के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों की पहचान करने में मदद करेगा।

इसके समक्ष कुछ चुनौतियां भी है जैसे- कोविड संकट पश्चात परिदृश्य में मांग की दर धीमी होना, निजी निवेश में कमी, भूमि अधिग्रहण का मुद्दा, प्रशासनिक गतिहीनता, परियोजना प्रक्रिया में विलम्ब इत्यादि। जिन्हें सम्बोधित करने की आवश्यकता है। 

अवसंरचना किसी भी अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा होती है और इसलिए इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। पीएम गति शक्ति सही दिशा में एक कदम है। हालांकि, इसे उच्च सार्वजनिक व्यय से उत्पन्न संरचनात्मक और व्यापक आर्थिक स्थिरता संबंधी चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता है। जिससे हम उन्नत और अवसंरचना और 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे।

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