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उत्तर प्रदेश में चिकित्सा और स्वास्थ्य

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उत्तर प्रदेश में सरकारी और निजी क्षेत्र के सम्मिलित प्रयासों से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं का निरंतर विकास हो रहा है। स्वास्थ्य सेवा के अंतर्गत उन समस्त प्रयासों को सम्मिलित किया जाता है, जिससे जीवन प्रत्याशा, शारीरिक शक्ति व  योग्यता तथा कार्यक्षमता आदि की वृद्धि होती है। स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं आवास की दशाएं, मानव विकास को प्रभावित कर अंततः आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं। सतत विकास लक्ष्य-3 के अंतर्गत सभी के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और आजीवन तंदुरूस्ती को बढ़ावा देना है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश में तीन स्तंभों के रूप में उप स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (शहरी और ग्रामीण) के साथ त्रि-स्तरीय प्रणाली शामिल है।

चुनौतियाँ

  • उत्तर प्रदेश डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। बीते कई सालों से राज्य में डॉक्टरों की कमी है, इस कारण से राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में ही नहीं बल्कि सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं देने और विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करने वाले एसजीपीजीआई में भी एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी है।  
  • नीति आयोग स्वास्थ्य सूचकांक 2021 ने समग्र स्वास्थ्य प्रदर्शन के मामले में उत्तर प्रदेश को सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में स्थान दिया है।
  • प्रदेश सभी स्तरों पर बेड और प्रशिक्षित स्टाफ की कमी से जूझ रहा है।  

राज्य स्वास्थ्य नीति

  • उत्तर प्रदेश की पहली राज्य स्वास्थ्य नीति 2017 में घोषित की गयी, जिसके तहत प्रदेश ने सकल राज्य घरेलू उत्पाद के स्वास्थ्य पर खर्च को 1.4% से बढ़ाकर 2.5% करने की योजना बनाई है।
  • राज्य सरकार प्रशासनिक कार्यों के प्रबंधन के लिए एक अलग सार्वजनिक स्वास्थ्य संवर्ग स्थापित करने पर भी विचार कर रही थी, जबकि डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ नैदानिक संवर्ग के अधीन होंगे।
  • स्वास्थ्य नीति वित्त, सामाजिक और पर्यावरण निर्धारकों, शासन, दवाओं तक पहुंच, निदान और चिकित्सा प्रौद्योगिकियों, मानव संसाधन और सेवा वितरण पर केंद्रित है।

एक जिला-एक मेडिकल कॉलेज योजना
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की दिशा में लगातार प्रयासरत सरकार ने 'एक जिला, एक मेडिकल कॉलेज' की योजना 2021 में बनाई है जिसके तहत सभी 75 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जायेंगे । 75 में से 59 जिलों में मेडिकल कॉलेज बन चुके हैं,  इसके अलावा बचे 16 जिलों में नए मेडिकल कॉलेज पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर बनाए जाएंगे।

हेल्थ एटीएम
लोक स्वास्थ्य को बेहतर करने के दृष्टि से सरकार ने प्रदेश के सभी 4,600 प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हेल्थ ATM की हाईटेक सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है। एक हेल्थ एटीएम 30 से अधिक बीमारियों की तुरंत जांच कर सकता है। इन 30 तरह के टेस्ट की रिपोर्ट प्रिंटआउट, व्हाट्सएप, ई-मेल और एसएमएस के जरिए बहुत कम समय में मरीजों को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही, परीक्षण के परिणाम डॉक्टरों द्वारा टेलीमेडिसिन हब पर साझा किए जाएंगे, जिससे रोगी के समय की बचत होगी।

यूपी मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना
यूपी मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा 1 मार्च 2019 को किया गया था। इस योजना के माध्यम से प्रदेश वासियों को स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान की जाएगी। योजना के तहत  लाभार्थी को 5 लाख रूपए तक का बीमा देने का प्रावधान है।

आरोग्य स्वास्थ्य मेला
इसके तहत प्रत्येक रविवार को सभी नगरीय एवं ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) पर ‘मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला’आयोजित किया जाएगा। इसमें चिकित्सा शिक्षा, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग एवं आयुष विभाग की भी सेवाएं दी जाएंगी।

102 एंबुलेंस टोल फ्री नंबर
यह एक टोल फ्री नंबर (इस नंबर पर कॉल करने पर कोई पैसा नहीं लगेगा) 102 सेवा एक निशुल्क एंबुलेंस सेवा है जो लोगों को 24×7 सेवा प्रदान करती है।

उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रगति 

  • रिपोर्टस  के मुताबिक, जहां 2019 में 14 अस्पतालों में कुल 13,112 सी-सेक्शन किए गए, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 26,583 हो गई।
  • अस्पतालों में ओपीडी या बाह्य रोगी विभाग के प्रवेश, जो 2019 में 56,30,550 थे, 2022 में बढ़कर 85,10,165 हो गए। इन अस्पतालों में की गई बड़ी सर्जरी की संख्या 2019 में 35,290 से कम थी, लेकिन 2022 में बढ़कर 67,867 हो गई। 
  • इसके अतिरिक्त, रोगी विभाग में प्रवेश की संख्या भी 2019 में 4,28,280 से बढ़कर 2022 में लगभग 8,91,081 हो गई।
  • बेहतर स्टाफिंग और अधिक से अधिक निगरानी ने अस्पतालों के पक्ष में काम किया।
  • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017 से पहले यूपी में सिर्फ 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे। 14 नए मेडिकल कॉलेजों को जोड़ने के साथ, सरकार प्रत्येक जिले में एक मेडिकल कॉलेज के केंद्र सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश कर रही है। 
  • प्रदेश सरकार ने  विधानसभा क्षेत्रों में 100 बेड के अस्पताल की उपलब्धता कराये जाने की घोषणा की है । अगले पांच वर्ष में 10,000 नए उपकेंद्र बनाने हैं। बेहतर चिकित्सा सेवाओं के लिए डाक्टरों और नर्सों की पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए। डाक्टर-नर्स का अनुपात 1:1 होने का लक्ष्य रखा है ।
  • प्रदेश सरकार ने 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती का लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • यूपी सरकार ने 2023 -24 बजट में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के लिए 17,325 करोड़ रुपये दिये गये। चिकित्सा शिक्षा के लिए 2 हजार 8 सौ 37 करोड़ की धनराशि जारी की गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के लिए सबसे अधिक 12 हजार 6 सौ 31 करोड़ की धनराशि जारी की गई है ताकि अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सके।

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