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निबंधात्मक मुद्दे भाग 6 : भारतीय कृषि और एग्री-टेक

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भारतीय कृषि और एग्री-टेक 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार, 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी 20.2 है। सरकार के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कृषि की ओर बदलाव पीएलएफएस के तहत अधिक है। नवीनतम पीएलएफएस रिपोर्ट 2018-19 में कुल रोजगार के 42.5% से 2019-20 में 45.6% तक कृषि में रोजगार में तेज वृद्धि दर्शाती है परन्तु भारतीय कृषि विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों से ग्रसित है जैसे- इसका स्वरूप आजीविका निर्वाह का है, निम्न उत्पादकता, पारंपरिक कृषि संस्कृति, मूल्यवर्धन का आभाव इत्यादि । अतः इनके निदान के लिए विभिन्न उपाय किए गए है जिसमें प्रौद्योगिक हस्ताक्षेप एक प्रमुख पहलु है।

एग्रीटेक मुख्य रूप से कंपनियों और स्टार्टअप उद्यमों के एक पारिस्थितिकी तंत्र को संदर्भित करता है जो उपज, दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से उत्पादों या सेवाओं को वितरित करने के लिए तकनीकी पर पूंजी लगा रहे हैं जिससे समय और लागत दोनों के संदर्भ में किसानों को लाभ प्राप्त हो रहा है। कोलिन्स डिक्शनरी एग्रीटेक को कृषि पद्धतियों में और उसके लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों और प्रौद्योगिकी के रूप में परिभाषित करती है। एग्रीटेक या कृषि प्रौद्योगिकी वह शब्द है जो कृषि में उपज, दक्षता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए तकनीकी नवाचारों के उपयोग की ओर इशारा करता है।

इसमें तेजी से रोपण, संशोधित फसलें जो विभिन्न वातावरणों में अच्छी तरह से बढ़ती हैं, और कटाई प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना शामिल है। कृषि उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने के लिए यह रोबोट, बिग डेटा, एआई या आवश्यक किसी भी तरीके का उपयोग भी हो सकता है। समग्र एग्रीटेक पारिस्थितिकी तंत्र ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान लगभग 85 प्रतिशत की राजस्व वृद्धि की है। अट एंड यंग 2020 के एक अध्ययन में 2025 तक भारतीय कृषि की क्षमता 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें से अब तक केवल एक प्रतिशत पर पहुँच बनाया गया है।

इस बीच, मार्च 2022 में भारतीय उद्योग परिसंघ और बैन एंड कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में आई रिपोर्ट इंगित करती है कि निजी इक्विटी निवेशकों ने उद्योग में प्रणालीगत मुद्दों और इसके सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। 2017 और 2020 के बीच एग्रीटेक स्टार्ट-अप में निजी इक्विटी निवेश 66 बिलियन रुपये था, जो 50 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहा था। इस बीच, मार्च 2022 में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और बैन एंड कंपनी के संयुक्त तत्वाधान में आई रिपोर्ट इंगित करती है कि निजी इक्विटी निवेशकों ने एग्रीटेक उद्योग में प्रणालीगत मुद्दों और इसके सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। 2017 और 2020 के बीच एग्रीटेक स्टार्ट-अप में निजी इक्विटी निवेश 66 बिलियन रुपये था, जो 50 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहा था।

एग्रीटेक भारत के कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और दक्षता में वृद्धि और सुधार कर सकता है जैसे- बाजार लिंकेज : डिजिटल मार्केटप्लेस और भौतिक बुनियादी ढांचे किसानों को इनपुट से जोड़ने के लिए। बायोटेकः पौधे और पशुविज्ञान और जीनोमिक्स पर अनुसंधान । एक सेवा के रूप में खेती: एक भुगतान प्रति उपयोग के आधार पर किराए के लिए कृषि उपकरण । परिशुद्धता कृषि और कृषि प्रबंधन: उत्पादकता में सुधार करने के लिए भू-स्थानिक या मौसम डेटा, आईओटी, सेंसर, रोबोटिक्स आदि का उपयोग; संसाधन और क्षेत्र प्रबंधन, आदि के लिए कृषि प्रबंधन समाधान । 

कृषि मशीनीकरण और स्वचालनः औद्योगिक स्वचालन सीडिंग, सामग्री हैंडलिंग, कटाई, आदि में मशीनरी, उपकरण और रोबोट का उपयोग करके । कृषि बुनियादी ढांचाः कृषि प्रौद्योगिकियां, जैसे ग्रीनहाउस सिस्टम, इनडोर - आउटडोर खेती ड्रिप सिंचाई और पर्यावरण नियंत्रण, जैसे हीटिंग और वेंटिलेशन, आदि । गुणवत्ता प्रबंधन और उपलब्धताः कटाई के बाद उत्पादन हैंडलिंग, गुणवत्ता की जांच और विश्लेषण, उत्पादन की निगरानी और भंडारण और परिवहन की उपलब्धता का पता । आपूर्ति श्रृंखला तकनीक और आउटपुट मार्केट लिंकेज: फसल के बाद की आपूर्ति श्रृंखला को संभालने और ग्राहकों के साथ खेत के उत्पादन को जोड़ने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म और भौतिक बुनियादी ढांचा । वित्तीय सेवाएं: इनपुट खरीद, उपकरण, आदि के साथ-साथ बीमा या फसल के पुनर्बीमा के लिए क्रेडिट सुविधाएं। सलाहकार/सामग्री: कृषि, मूल्य निर्धारण, बाजार की जानकारी के लिए सूचना प्लेटफॉर्म ऑनलाइन प्लेटफॉर्म |

एग्रीटेक पारिस्थितिकी तंत्र ने भारत में स्टार्टअप की वृद्धि में योगदान दिया है जो टेक मार्केटप्लेस, भंडारण और परिवहन सेवाओं और कृषि विज्ञान सलाहकार सेवाओं जैसे प्रौद्योगिकी आधारित समाधान प्रदान करते हैं, जबकि बड़े पारंपरिक खिलाड़ी परिचालन लागत को कम करना चाहते हैं और अधिक कुशलता से पैमाने का प्रबंधन करने की इच्छा रखते हैं। भारत की एग्रीटेक कंपनियो को भारी मात्रा में निवेश प्राप्त हो रहे हैं। एग्रीटेक स्टार्टअप ग्रामोफोन ने सियाना कैपिटल से एक फंडिंग राउंड में 25 करोड़ रुपये जुटाए हैं इसके साथ ही एग्रीटेक स्टार्टअप वेकूल ने लाइटबॉक्स, एलजीटी लाइटस्टोन और अन्य जैसे निवेशकों से करीब 70.6 मिलियन डॉलर जुटाए हैं। यह भारतीय एग्रीटेक स्टार्टअप्स पर निवेशकों के बढ़ते विश्वास को प्रदर्शित करता है।

वर्धित श्रृंखला के किसी भी चरण में तकनीक के प्रयोग सम्बन्धी नवीन उद्यम से है। आज देश में एक हजार से ज्यादा एग्रीटेक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। वर्तमान में भारत एग्रीटेक स्टार्टअप स्पेस में अमेरिका तथा चीन का प्रतिद्वंदी बन कर उभरा है। ये स्टार्टअप कंपनियां कृषि के क्षेत्र में मशीन लर्निंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों का प्रयोग कर रही हैं। निंजाकार्ट देहात क्रो फार्म जैसी कई स्टार्ट कंपनियां है जिन्होंने भारतीय एग्रीटेक क्षेत्र को नया आयाम प्रदान किया है। भारत में उत्पादन के उपरांत बाजार तक पहुंचने में लगभग 20 से 25% अनाज नष्ट हो जाते हैं। एग्री टेक स्टार्टअप्स इन आंकड़ों को कम कर सकते हैं। भारत में कृषि क्षेत्र अभी भी आर्थिक दर्शष्टिकोण से अनएक्सप्लॉरड है एग्री टेक भारतीय कृषि क्षेत्र के संपूर्ण आर्थिक विकास में सहयोगी हो सकते हैं। एग्री टेक स्टार्टअप्स के सहयोग से फसल उत्पादन से लेकर विपणन तक के मार्ग में तकनीकी का उन्नयन हो सकता है जिससे कृषि में रोबोटिक्स तथा ड्रोन जैसे तकनीक का प्रयोग बढ़ेगा। यह प्रेसीजन फार्मिंग को बढ़ावा देगा। भारतीय कृषि में वित्त की एक महत्वपूर्ण समस्या आ रही है एग्री टेक स्टार्टअप्स की बढ़ती हुई फडिंग से यह समस्या समाप्त हो सकती है। यह भारतीय कृषि की छिपी हुई बेरोजगारी की समस्या को कम कर सकता हैं।यह कृषक आय के दोगुने होने के लक्ष्य में सहायक हो सकता है परन्तु एग्रीटेक से संबंधित विभिन्न चुनौतियां भी है जिसे हम निम्नप्रकार देख सकते है------

भारत के अधिकांश कृषक निरक्षर हैं। ऐसे में भारतीय कृषको से तकनीकी रूप से कृषि की उम्मीद नहीं की जा सकती । भारत में कृषि का मशीनीकरण मात्र 40% है (आर्थिक समीक्षा 2019-20 ) भारत में किसानी तथा सरकार के मध्य बिचौलियों की एक बड़ी कड़ी उपलब्ध है। जो किसान की तात्कालिक आवश्यकता को पूर्ण कर उसे अधिक लाभ से वंचित कर देते हैं। अधिकांश छोटे और सीमांत किसान प्रौद्योगिकी के प्रति अनुकूल नहीं होते हैं। अधिकांश किसान क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण से पर्याप्त रूप से शिक्षित नहीं हैं जिसके फलस्वरूप कृषक -स्टार्टअप्स के प्रति अधिक जागरूक नहीं है। जिनसे वे वास्तविक लाभ प्राप्त नहीं कर पाते भारत की डिजिटल डिवाइड तथा डिजिटल निरक्षरता एग्री-स्टार्टअप्स की गति में बड़ी  अवरोधक है।

भारत का लगभग 65% से अधिक भूमि सिचाई के स्थान पर मानसून पर निर्भर है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन क उपोत्पाद के रूप में मानसून में विचलन भी देखा है। एक मजबूत डाटा संरक्षण अधिनियम के आभाव में कृषक के दुरूपयोग की सम्भावना बढ़ सकती है। इसके साथ ही साथ साइबर सुभेद्यता भी इस समस्या को बढ़ा देती है। एग्री-स्टार्टअप्स के साथ भी यह समस्या जुडी हुई है। भारत में डाटा स्पीड, सस्ते नेट की कमी जैसी समस्याएं भी विद्यमान हैं।

उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में अभी तक 2G संचार तकनीकी नहीं पहुंच सकी है। यह स्थिति एग्री-स्टार्टअप्स की पहुंच को सीमित करती है। अधिकांश छोटे और सीमांत किसान प्रौद्योगिकी के प्रति अनुकूल नहीं होते हैं। अधिकांश किसान क्षमता निर्माण के दृष्टिकोण से पर्याप्त रूप से शिक्षित नहीं हैं और इस प्रकार के महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों में इन किसानों की अनदेखी कर दी जाती है। प्रारम्भिक अवस्था में ऑनलाइन विपणन तथा कृषि में तकनीकी उन्नयन के प्रति कृषको में विश्वास की कमी रहती है।

निसंदेह एग्रीटेक का बढ़ना भारतीय कृषि के उन्नयन के लिए आवश्यक है। एग्री टेक स्टार्टअप्स की मौजूदा स्थिति यह दर्शाती है कि एग्रीटेक में अत्यंत संभावनाएं विद्यमान हैं जो कृषि आय को बढ़ा सकती हैं। नीति आयोग के 75 डॉक्यूमेंट में एग्रीकल्चर से एग्रीप्रेन्यूर की तरफ बढ़ने का सुझाव दिया है। जिसे एग्री स्टार्टअप्स वास्तविकता प्रदान कर रही हैं।

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