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उत्तर प्रदेश की जलवायु

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उत्तर प्रदेश की पूरी जलवायु गर्म है। तराई क्षेत्र में इसमें नमी होती है तथा दक्षिण के पठारी क्षेत्र में यह शुष्क होती है। उत्तर प्रदेश में दो प्रकार के जलवायु प्रदेश पाए जाते हैं- आर्द्र एवं उष्ण क्षेत्र तथा साधारण आर्द्र एवं उष्ण क्षेत्र। आर्द्र एवं उष्ण क्षेत्र में दो उपविभाग पाये जाते हैं- तराई क्षेत्र एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश। साधारण आर्द्र एवं उष्ण क्षेत्र में तीन उप-विभाग हैं- मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र, पश्चिमी मैदानी क्षेत्र तथा बुंदेलखंड का पहाड़ी-पठारी क्षेत्र। कोपेन के अनुसार प्रदेश में शुष्क शीत मानसूनी जलवायु (cwg ) पायी जाती है। उ0प्र0 की जलवायु उष्ण कटिबंधीय एवं मानसूनी है। यहाँ वर्ष में तीन ऋतुएँ घटित होती है- 
1- ग्रीष्म ऋतु
2- वर्षा ऋतु 
3- शीत ऋतु
1- ग्रीष्म ऋतु- सूर्य के कर्क रेखा की ओर बढ़ने के साथ ही प्रदेश का तापमान बढ़ने लगता है तथा जून महीने में तापमान अपने उच्चतम शिखर पर होता है। ग्रीष्म ऋतु में प्रदेश का औसत अधिकतम तापमान 36-39 डिग्री सेंटीग्रेड तक तथा औसत न्यूनतम तापमान 21-23 डिग्री सेंटीग्रेड तक रहता है। इस ऋतु में प्रदेश में अत्यंत गर्म एवं शुष्क हवाएँ (लू), तूफान तथा धूल भरी आंधियाँ चलती हैं। इस ऋतु में सर्वाधिक गर्मी आगरा तथा झाँसी में और न्यूनतम गर्मी बरेली में पड़ती है।

2-वर्षा ऋतु- बंगाल की खाड़ी  से उठने वाला मानसून जून के तीसरे या चौथे सप्ताह में प्रदेश के पूर्वी तथा दक्षिण पूर्वी सिरे से प्रवेश करता है और आगे बढ़ता है। इस मानसून का कुछ भाग वर्षा करते हुए सीधे पश्चिम में निकल जाता है और कुछ भाग उत्तर की ओर बढ़ता है और हिमालय से टकराकर पुनः वापस होता है। इस वापस होते मानसून से प्रदेश के तराई इलाकों में खूब वर्षा होती है। इस मानसून में कुछ वर्षा प्रदेश के पहाड़ी तथा पठारी क्षेत्रें में भी होती है। गोरखपुर क्षेत्र में प्रदेश की सर्वाधिक वर्षा तथा मथुरा में सबसे कम वर्षा होती है। प्रदेश की सम्पूर्ण वर्षा का लगभग 83 सेमी- वर्षा इसी ऋतु में दक्षिण-पश्चिमी मानसून से जून-सितम्बर में हो जाती है। प्रदेश में पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने पर वर्षा की मात्रा में कमी आती जाती है। प्रदेश में मानसून मैदानी क्षेत्र में पूर्व से प्रवेश करता है और उसी मार्ग से लौटता भी है, अतः पूर्वी भाग में वर्षा का प्रारम्भ पहले होता है और वर्षा की अवधि भी लम्बी होती है। यही कारण है कि प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा पूर्वी मैदान के तराई क्षेत्र में (150 सेमी- तक) होती है और पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में सबसे कम वर्षा (84 सेमी- तक) होती है।

3-शीत ऋतु- प्रदेश में नवम्बर महीने से शीत ऋतु शुरू होती है और जनवरी प्रदेश का सर्वाधिक ठण्डा महीना होता है। प्रदेश में शीत ऋतु में तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर कम होता जाता है। शीतकाल में भूमध्यसागरीय क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले चक्रवातों (पश्चिमी विक्षोभ) के पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शीतकाल में वर्षा होती है। यह वर्षा रबी की फसल के लिए बहुत उपयोगी होती है।
 
उत्तर प्रदेश उपोष्णकटिबंधीय जलवायु का अनुभव करता है। राज्य में अधिकांश वर्षा मानसून के मौसम में होती है, जो जून से सितंबर तक रहता है। उत्तर प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा लगभग 1000 मिमी है। उत्तर प्रदेश में वर्षा पैटर्न असमान रूप से वितरित है, कुछ क्षेत्रें में अन्य की तुलना में अधिक वर्षा होती है। गोरखपुर आजमगढ़ और इलाहाबाद जिलों सहित राज्य के पूर्वी और मध्य भागों में पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र की तुलना में अधिक वर्षा होती है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों सहित राज्य के पश्चिमी भाग में तुलनात्मक रूप से कम वर्षा होती है। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में वर्षा पैटर्न विभिन्न कारकों जैसे मानसूनी हवाओं, स्थलाकृति और जल निकायों से निकटता से प्रभावित होता है। राज्य में गंगा, यमुना और घाघरा सहित कई नदियाँ और उनकी सहायक नदियाँ हैं, जो राज्य के विभिन्न क्षेत्रें में वर्षा के वितरण को भी प्रभावित करती हैं।


मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1-उत्तर प्रदेश की जलवायु स्थिति को स्पष्ट करते हुए विभिन्न ऋतुओं का वर्णन करें।


प्रश्न 2-उत्तर प्रदेश में वर्षा वितरण असमान्य है परन्तु यह इसे विशिष्ट भी बनाता है। वर्षा के पूर्व से पश्चिमी वितरण का उल्लेख करते हुए इससे व्युत्पन्न होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए।


प्रश्न 3-उत्तर प्रदेश की जलवायुविक विशेषताएं इसे एक कृषि प्रधान राज्य के रूप में स्थापित करती है। स्पष्ट कीजिए।

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