बड़ी खबरें

'ये दशक उत्तराखंड का है', पीएम मोदी बोले- प्रगति के लिए नए रास्ते खुले हैं 19 घंटे पहले उदयनिधि स्टालिन को 'सुप्रीम' राहत; सनातन धर्म संबंधी बयान को लेकर नई प्राथमिकी नहीं होगी दर्ज 19 घंटे पहले विद्युत विभाग ने महाकुंभ मेले को 211 करोड़ से उजाला कर कमाए 28 करोड़, बांटे गए थे 4.25 लाख कनेक्शन 19 घंटे पहले यूपी में महापुरुषों के नाम शुरू होंगी दस योजनाएं 19 घंटे पहले

उत्तर प्रदेश के सिंचित क्षेत्र और सिंचाई संसाधन

उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है यहां बड़ी फैक्ट्रियां और कल कारखाने भले ही बहुत अधिक मात्रा में न हो पर इस राज्य ने भारत की भुखमरी और अनाज की समय को दूर करने में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है। इस योगदान का सबसे बड़ा कारण रहा है- यहाँ का किसान और कृषि क्षेत्र। गंगा और यमुना नदी तंत्र द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी ने यहां के मैदानों को उपजाऊ बना दिया और यह क्षेत्र भारत के सबसे ज्यादा अन्न उत्पादक क्षेत्रों में शामिल हो गया। इस तरह की स्थिति को बनाये रखने के लिए उत्तर प्रदेश में एक विकसित सिंचाई तंत्र मौजूद है।

इस प्रदेश के कुल बुवाई क्षेत्र यानी cultivated area का लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित यानी irrigated क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो की राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। कृषि उत्पादन में वृद्धि के निमित्त कृषको को स्वनियंत्रित, सामयिक व मितव्ययी निजी लघु सिंचाई साधनों को तीव्र गति से उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से लघु सिंचाई विभाग की स्थापना भी की गयी है। जिसके जरिये प्रदेश में लघु सिंचाई द्वारा वर्तमान में कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र का 77.90 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित किया जा रहा है। हालांकि प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं में भारी क्षेत्रीय विषमताएं भी हैं। जैसे- पश्चिमी क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं अधिक विकसित हैं जबकि बुंदेलखंड का क्षेत्र सूखे की मार झेलता है। पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुओं और नलकूपों के माध्यम से सिंचाई की जाती है जबकि बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई के लिए टैंक और तालाब आदि का प्रयोग किया जाता है। जिले वार देखे तो मेरठ बागपत बुलंदशहर हापुड़ और शामली जैसे क्षेत्रों में शुद्ध सिंचित क्षेत्र शुद्ध बुवाई क्षेत्र का 100 प्रतिशत है जबकि महोबा और सोनभद्र जैसे जिलों में यह प्रतिशत गिरकर 30 प्रतिशत तक आ जाता है।

उत्तर प्रदेश में भूजल और सतही जल दोनो का सिंचाई के लिए व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जाता है। भूजल का उपयोग कुओं नलकूपों सबमर्सिबल पंप आदि के द्वारा किया जाता है जबकि सतही जल को बड़ी नदी तंत्रों से निकलने वाली नहरों और तालाबों के माध्यम से किया जाता है। नलकूपों की अगर बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में पर्सियन कुएं,पंपिंग सेट,विद्युत नलकूप,डीजल नलकूप,आर्टिजन नलकूप आदि आते हैं। इनमे ज्यादातर निजी स्वामित्व के नलकूप शामिल हैं। अब सरकार प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना और प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत ग्रिड कनेक्टेड सोलर पंप के प्रयोग को जोर देकर बढ़ा रही है तथा इस पर सरकार की तरफ से सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। उत्तर प्रदेश के कुल सिंचित क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र कुएं और नलकूप सिंचाई क्षेत्र के अंतर्गत आता है। नहरों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का हिस्सा लगभग 15 प्रतिशत के आस पास का है।

 

अन्य ख़बरें