टेस्ट क्रिकेट का इतिहास 148 साल पुराना है, और इस लंबे सफर में करीब 2,600 से ज्यादा टेस्ट मुकाबले खेले जा चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इतने लंबे अरसे और हजारों मैचों के बीच अब तक सिर्फ दो ही टेस्ट मैच ऐसे हुए हैं जो 'टाई' पर खत्म हुए? तना ही नहीं, इन दो ऐतिहासिक टाई मुकाबलों में से एक में भारतीय क्रिकेट टीम भी शामिल रही है। यह रिकॉर्ड जितना दुर्लभ है, उतना ही रोमांचक भी।
आइए जानते हैं इन दो मुकाबलों की पूरी कहानी, जिनमें आखिरी गेंद तक क्रिकेट का असली रोमांच देखने को मिला।
पहला टाई टेस्ट: ऑस्ट्रेलिया vs वेस्टइंडीज, ब्रिस्बेन (1960)
इस ऐतिहासिक मैच में वेस्टइंडीज ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 453 रन बनाए, जिसमें गैरी सोबर्स ने शानदार 132 रन जड़े। ऑस्ट्रेलिया ने नॉर्म ओ’नील के 181 रनों की पारी के दम पर जवाब में 505 रन बना डाले। दूसरी पारी में वेस्टइंडीज ने 282 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया के सामने रखा 233 रन का लक्ष्य। 92 पर 6 विकेट गिरने के बाद एलन डेविडसन और रिची बेनो ने साझेदारी कर टीम को 226 तक पहुंचाया, लेकिन जैसे ही आखिरी दो विकेट 232 रन पर गिरे — मैच टाई पर खत्म हुआ।
यह था टेस्ट क्रिकेट का पहला टाई मैच।
दूसरा टाई टेस्ट: भारत vs ऑस्ट्रेलिया, चेन्नई (1986)
दूसरा टाई टेस्ट भारत के लिए खास रहा, क्योंकि यह मुकाबला चेपॉक स्टेडियम (चेन्नई) में हुआ। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में डीन जोंस के 210 रन की मदद से 574/7 का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत ने कपिल देव के शतक की बदौलत 397 रन बनाए। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 5 विकेट पर 170 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और भारत को जीत के लिए 348 रनों का लक्ष्य मिला। सुनील गावस्कर ने 90 रन बनाए, रवि शास्त्री अंत तक नाबाद रहे, लेकिन आखिरी ओवर की 5वीं गेंद पर मनिंदर सिंह LBW आउट हो गए — स्कोर बराबर था और मुकाबला टाई।
जब स्कोर बराबर रहा लेकिन मैच ‘ड्रॉ’ घोषित हुआ
क्रिकेट इतिहास में ऐसे दो और मौके भी आए जब स्कोर तो बराबर रहा, लेकिन गेंदें खत्म हो जाने के कारण मैच को ड्रॉ माना गया:
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इंग्लैंड vs जिम्बाब्वे (1996): आखिरी गेंद पर इंग्लैंड को 3 रन चाहिए थे, निक नाइट 2 रन लेने के बाद रन आउट हो गए।
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भारत vs वेस्टइंडीज (2011, मुंबई): भारत को आखिरी गेंद पर 2 रन चाहिए थे, अश्विन 1 रन लेकर रन आउट हुए।
आखिर क्यों इतना दुर्लभ है टाई टेस्ट?
टेस्ट मैच में टाई तब होता है जब चौथी पारी में बैटिंग कर रही टीम का स्कोर सटीक बराबरी पर हो और वह ऑलआउट हो जाए। इतना सटीक और दुर्लभ संयोग लगभग असंभव होता है — और यही वजह है कि 148 साल में ऐसा सिर्फ दो बार हुआ है।
ये हैं क्रिकेट इतिहास के वो पल, जिनमें सांसें थम गई थीं
टेस्ट मैच भले ही धीमा फॉर्मेट माना जाता हो, लेकिन इन दो मुकाबलों ने साबित कर दिया कि क्रिकेट में थ्रिल, ड्रामा और रोमांच की कोई कमी नहीं। भारत का हिस्सा बनना इस ऐतिहासिक सूची को और भी यादगार बना देता है।