उत्तर प्रदेश का कानपुर नोड अब डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। यहाँ 12,800 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों के साथ, कई कंपनियां उत्पादन शुरू कर चुकी हैं। इस विकास ने कानपुर को रक्षा उद्योग में एक मजबूत स्थान दिलाया है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा किए हैं।
छह नोड्स को जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा विकसित उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी) में छह प्रमुख नोड्स—कानपुर, झांसी, लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, और चित्रकूट—को जोड़ा गया है।
इस परियोजना का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को आधुनिक रक्षा विनिर्माण का हब बनाना है। इसके तहत राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बढ़ाने पर फोकस किया गया है।
कानपुर नोड: अग्रणी निवेश का केंद्र
यूपीडा द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, कानपुर नोड ने अब तक 12,803.58 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। स्वीकृत 222.86 हेक्टेयर भूमि में से 210.60 हेक्टेयर भूमि विभिन्न उद्योगों को आवंटित की गई है।
इन्वेस्ट यूपी के सीईओ अभिषेक प्रकाश ने बताया कि कानपुर नोड में कुछ कंपनियों ने उत्पादन शुरू कर दिया है।
अडानी डिफेंस का 1,500 करोड़ का निवेश
कानपुर में सबसे बड़े निवेशों में अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने 1,500 करोड़ रुपये लगाए हैं। इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा एकीकृत गोला-बारूद निर्माण परिसर स्थापित करना है।
18 महीनों के भीतर, इस यूनिट ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है, जो क्षेत्र में रक्षा उद्योग के विकास को गति दे रहा है।
डेल्टा कॉम्बैट की नई इकाई-
कानपुर के डिफेंस कॉरिडोर में डेल्टा कॉम्बैट सिस्टम्स लिमिटेड ने छोटे हथियार और गोला-बारूद निर्माण के लिए 150 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इस कंपनी को भूमि आवंटित की गई है और यह जल्द ही उत्पादन शुरू करेगी।
रोजगार और आर्थिक विकास को मिला प्रोत्साहन
इस कॉरिडोर के कारण कानपुर और अन्य नोड्स में रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
कई बड़ी कंपनियों के निवेश और उत्पादन शुरू होने से न केवल रक्षा उत्पादन को बल मिला है, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्रदान किए गए हैं।
यूपी को मिलेगा डिफेंस हब का दर्जा
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की यह पहल राज्य को आधुनिक रक्षा विनिर्माण का हब बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। यह योजना न केवल निवेशकों को आकर्षित कर रही है, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा योगदान दे रही है।