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उत्तरप्रदेश का देवरिया जिला भारत के ऐतिहासिक जिलों में से एक है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से यह जिला काफी महत्वपूर्ण है। जिले की भगौलिक स्थिति की बात करे तो इसके उत्तर में कुशीनगर जिला, पूर्व में बिहार, दक्षिण में मऊ जिला व बलिया जिला तथा पश्चिम में गोरखपुर जिला स्थित है। जिला 26 ° 6′ उत्तर और 27 ° 8′ से 83 ° 29′ पूर्व और 84 ° 26′ पूर्वी, देशांतर के बीच स्थित है। 2500 वर्ग किलोमीटर में फैले इस जिले की जनसँख्या 3,100,946 है। जबकि जिले की जनसँख्या घनत्व 1,200/वर्ग किमी और साक्षरता दर 73.53% है।
जिले की स्थापना 1946 में गोरखपुर जिले से विभाजित कर किया गया था।आपको बता दे कि आज जो देवरिया जिला है, इसका पौराणिक नाम देवारण्य था। अंग्रेजी हुकूमत के समय इस जिले का नाम बदल कर देवरिया रखा गया। 'देवरिया' शब्द का मतलब है, आमतौर पर एक ऐसा स्थान जहां मंदिर हैं।
देवरहा बाबा के नाम से प्रसिद्ध है जिला
देवरिया जिला सिद्ध पुरुष और कर्मठ योगी देवरहा बाबा के नाम से भी प्रसिद्ध है। देवरहा बाबा की अनेकों कहानियां है। बताया जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी भी इनसे आशीर्वाद प्राप्त कर चुकी है। यही नहीं पं मदन मोहन मालवीय से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु तक ने भी इनके दर्शन किए है। देवरिया जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर सरयू नदी के किनारे देवसिया गांव में देवरहा बाबा का आश्रम है। जहां बाढ़ के समय को छोड़ कर हमेशा लोग दर्शन के लिए पहुंचते है।
कृषि प्रधान जिला माना जाता है देवरिया
देवरिया जिला खेती- किसानी के लिए अनुकूल है। यहां मुख्य तौर पर गन्ना,धान, गेहूं , मक्का, सरसों, अरहर, मटर, चना इत्यादि की खेती होती हैं। जिले से गंडक और घाघरा नदी बहती हैं, जिससे किसानों को अपनी फसलों के पटवन में काफी मदद मिलती है। जिले की सांस्कृतिक पहलू कि अगर बात करे तो यहां स्थानीय स्तर पर भोजपुरी और हिंदी ही लोग अधिक बोलते है। यहां की ग्रामीण आबादी अपनी अनूठी पहचान के लिए जानी जाती है। जिले में सात विधान सभा क्षेत्र- रुद्रपुर, देवरिया, पथरदेवा, रामपुर कारखाना, भाटपार रानी, सलेमपुर और बरहज हैं। वहीं जिले में दो नगरपालिका परिषद देवरिया और गौरा बरहज है।
यहां से 27 किलोमीटर दूर है कुशीनगर
इस जिले से महज 27 किलोमीटर की दुरी पर ऐतिहासिक कुशीनगर जिला स्थित है। यहीं पर महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्माण प्राप्त हुआ था। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के दृष्टि में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि यहां कई देशोंं के अनेक सुन्दर बौद्ध मन्दिर हैं। जिसके चलते हजारों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। आपको बता दे कि बुद्ध पूर्णिमा पर कुशीनगर में एक माह का मेला भी लगता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 9 May, 2023, 6:39 pm
Author Info : Baten UP Ki