बड़ी खबरें

IPL 2024 के 63वें मैच में आज गुजरात और कोलकाता के बीच होगा मुकाबला, शाम 7:30 बजे से अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा मैच 16 घंटे पहले कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल (ESIC) ने सीनियर रेजिडेंट के पदों पर निकाली भर्ती, 15 मई 2024 तक कर सकते हैं अप्लाई 16 घंटे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने स्टेनोग्राफर और अनुवादक की निकाली भर्ती, 26 मई 2024 है आवेदन की अंतिम तारीख 16 घंटे पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने कंसल्टेंट, जूनियर कंसल्टेंट और एसोसिएट कंसल्टेंट के पदों के लिए निकाली भर्तियां, 20 मई 2024 तक कर सकते हैं अप्लाई 16 घंटे पहले सीबीएसई बोर्ड ने 12वीं का जारी किया रिजल्ट, 87.98 फीसदी पास हुए छात्र 14 घंटे पहले लोकसभा के चौथे चरण में 3 बजे तक 52.60 फीसदी मतदान 11 घंटे पहले चौथे चरण में दोपहर 3 बजे तक बंगाल में सर्वाधिक मतदान, जम्मू-कश्मीर में रफ्तार सबसे सुस्त 11 घंटे पहले यूपी में तीन बजे तक 48.41% मतदान, सबसे अधिक धौरहरा तो कानपुर में सबसे कम 9 घंटे पहले काशी पहुंचे पीएम मोदी, मालवीय प्रतिमा पर माल्यार्पण कर शुरू किया रोड शो 9 घंटे पहले पीएम के रोड शो में उत्साहित समर्थक, शंख और शहनाई की गूंज 7 घंटे पहले चौथे चरण में शाम 5 बजे तक 62% से ज्यादा मतदान, पश्चिम बंगाल में 75 प्रतिशत से अधिक वोटिंग 7 घंटे पहले

सीतापुर जिले का इतिहास

Blog Image

उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिला का प्राचीन इतिहास है। इस जिले की स्थापना को लेकर बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने भगवान श्रीराम की पत्नी सीता के नाम पर इस शहर को स्थापित किया था। इस जिले का इतिहास काफी पौराणिक है. जिले के उत्तर में लखीमपुर खीरी जिला, दक्षिण में लखनऊ जिला, पूर्व में बहराइच जिला, पश्चिम में हरदोई जिला तथा दक्षिण-पश्चिम में बाराबंकी जिला स्थित है। जिले का क्षेत्रफल 5,743 वर्ग किमी तो जनसंख्या लगभग 4,483,992 है। 9 विधानसभा क्षेत्र वाले इस जिले में साक्षरता दर 74.04% है।

आजादी के लड़ाई में अहम योगदान 

सीतापुर जिला पौराणिक और धार्मिक रूप से तो जाना ही जाता है, लेकिन इस जिले का महत्वपूर्ण योगदान भारत के आजदी की लड़ाई में भी रहा है। आपको बता दें कि साल 1921 में सीतापुर के हजारों लोगों ने महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था। महात्मा गांधी भी इस जिले में आकर लोगों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की थी। इस कार्यक्रम में उस समय देश के बड़े नेता मोतीलाल नेहरू, मोहम्मद अली और जवाहर लाल नेहरू भी मौजूद थे।

महर्षि वेद व्यास ने की थी पुराणों की रचना  

सीतापुर जिला का महत्व धार्मिक और पर्यटन के दृष्टि से काफी अहम है। इसी भूमि पर ऋषि वेदव्यास द्वारा पुराणों की रचना की गई. इस जिले में स्थित प्रसिद्ध  तपोस्थली नैमिषारण्य का अपना इतिहास है। नैमिषारण्य का नाम नैमिष नामक वन की वजह से रखा गया। इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि यहां पर 88 हजार ऋषियों को वेदव्यास के शिष्य सूत ने महाभारत तथा पुराणों की कथाएँ सुनाई थीं। साथ में ये भी मान्यता है कि जब ब्रम्हाजी धरती पर मानव जीवन की सृष्टि करना चाहते थे, तब उन्होंने यह उत्तरदायित्व इस धरती की प्रथम युगल जोड़ी – मनु व सतरूपा को दिया। तदनंतर मनु व सतरूपा ने नैमिषारण्य में ही 23 हजार वर्षों तक साधना की थी। 

नैमिषारण्य वो स्थान है, जहां पर ऋषि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपने वैरी देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान की थीं। यहां पर महापुराण लिखे गए थे और पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी। इस धाम का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। साधु-संतों के इस तपोभूमि के अनगिनत इतिहास हैं। पवित्र ग्रंथ रामायण में ये जिक्र है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ को पूरा किया था और महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश से भी उनकी मुलाकात यहीं पर हुई थी। इस स्थान का महाभारत काल से भी जुड़ा प्रसंग है। बताया जाता है कि युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां पर आये थे। नैमिषारण्य तपोस्थली पर आकर्षण के कई केंद्र है। हनुमान गढ़ी, शिवाला भैरो जी मंदिर, भेतेश्वरनाथ मंदिर, व्यास गद्दी, हवन कुंड, ललिता देवी का मंदिर, नारदानन्द सरस्वती आश्रम-देवपुरी मंदिर, रामानुज कोट, शेष मंदिर, क्षेमकाया मंदिर और अहोबिल मंठ सहित अन्य कई केंद्र हैं।  

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा जिला 

सीतापुर जिला को अब यूपी सरकार पर्यटन के लिहाज से वैश्विक स्तर पर बढ़ावा दे रही है। इसी को ध्यान में रख कर यहां  वेद विज्ञान अध्ययन केन्द्र की स्थापना हो रही है। यहां के महमूदाबाद का किला काफी प्रसिद्ध है, इसके बनावट को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। यह जिला दरी उद्योग के लिए भी जाना जाता है। यहां की दरी विश्व में प्रसिद्ध है। 

अन्य ख़बरें