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यूपी पुलिस की छोटी चौकी का बड़ा बिजनेस आईडिया! जानिए क्या है पूरा मामला

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उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नरही थाना स्थित यूपी-बिहार बॉर्डर पर ट्रकों से अवैध वसूली मामले में योगी सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। दो पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी और सीओ समेत 18 पुलिसकर्मियों के निलंबन के साथ ही जिले के पुलिस अधीक्षक और एएसपी को भी पद से हटा दिया गया है। वहीं, इस मामले में 7 पुलिसकर्मियों समेत 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। आइए विस्तार से समझते हैं क्या है पूरा मामला?

क्या है पूरा मामला?
 
 बीती 24 जुलाई को रात करीब नौ बजे पुलिस की तीन टीम लेकर डीआईजी आजमगढ़ से और एडीजी जोन दो टीम लेकर वाराणसी से निकले थे। रात एक बजे टीम भरौली तिराहा पहुंची, मगर तय योजना के अनुसार एक भी वाहन नहीं रुका और बक्सर की ओर बढ़ गए। तय किया गया था कि अवैध वसूली करने वालों को रंगेहाथ पकड़ा जाएगा।बक्सर की ओर से वापस आते समय रात दो बजे पुलिस टीमें फिर भरौली तिराहा पहुंची। पुलिस टीम ने देखा कि एक सिपाही बक्सर की ओर से आ रहे बालू लदे ट्रकों से पैसा ले रहा था तो उसे पकड़ लिया गया। भरौली तिराहा पर पकड़े गए सिपाही ने पुलिस को बताया कि जो वाहन गाजीपुर की ओर जाते हैं, उनसे नरही थाने की पुलिस कोरंटाडीह चौकी पर अवैध वसूली करती है। इसके बाद डीआईजी, एडीजी जोन और एक इंस्पेक्टर एक ट्रक में भरौली तिराहा से सवार हुए। पांच किलोमीटर चलने के बाद कोरंटाडीह चौकी के सामने सादे कपड़ों में दो लोग ट्रकों से वसूली करते दिखे। उनका ट्रक भी पहुंचा तो उसे रुकवा कर 500 रुपये की मांग की गई। इस पर वह, एडीजी जोन और इंस्पेक्टर ट्रक से कूदे और एक सिपाही को पकड़ लिया। छापा मारने के लिए गई टीम में 90 फीसदी स्टाफ आजमगढ़ का था।

तैनाती के लिए विभाग में लगती थी बोली -

इस पुरे मामले की छापेमारी के दौरान ट्रकों से अवैध रूप से वसूली करते दो पुलिसकर्मियों को मौके से गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ वसूली कर रहे16 दलालों को भी पकड़ा गया। बता दें कि जिस कोरंटाडीह चौकी पर यह वसूली की जाती थी वह बलिया जिले के नरही थाना क्षेत्र के अंतर्गत आती है। छापेमारी में पकड़े गए दलालों ने एडीजी को बताया कि वह थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी के कहने पर ट्रकों से वसूली करते थे। प्रति ट्रक से 500-500 रुपए वसूली करता था। इसमें से 400 रुपए थानाध्यक्ष पन्नेलाल, जबकि 100 रुपए पिकेट ड्यटी पर रहने वाले सिपाही को दिया जाता था। उनका हिसाब थानाध्यक्ष महीने में करते थे। जानकारी के अनुसार यहां पर तैनाती के लिए विभाग में बोली लगती है या फिर किसी उच्चाधिकारी के यहां से सीधे कमांडर के पास सूची भेज दी जाती है। पन्नेलाल पिछले 18 महीने से इस थाने पर तैनात थे। इस बीच कई थानों के थानाध्यक्ष बदले गए, लेकिन उनके ऊपर महकमा के किसी अधिकारी ने हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा सका।

पद से हटाए गए एसपी और एएसपी

इस पूरे मामले में सीएम योगी ने सख्त एक्शन लिया है। दो पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी के बाद जिले के एसपी और एएसपी पर भी इसकी गाज गिरी है और उन्हें पद से हटा दिया है। इतना ही नहीं उस इलाके के सीओ को भी सस्पेंड कर दिया है। यह तो हुई इस पूरे बिजनेस आईडिया की कहानी।

सिस्टम पर खड़े हो रहे सवाल-

लेकिन यह घटना अपने आप में पुरे सिस्टम पर कई तरह के सवाल खड़े करती नजर आ रही है...जैसे-यह इतना बड़ा अवैध वसूली रैकेट सिर्फ क्या सिर्फ बलिया में चल रहा है? इस वसूली से आ रहे करोड़ो रुपए सिर्फ एक जिले के अधिकारी ही डकार रहे थे? जीरो टोलेरेंस निति पर काम करने वाली सरकार के स्थानीय सांसद और विधायकों को इसकी खबर नहीं थी? क्या महज इस एक खुलासे से पुलिस पर भ्र्ष्टाचार के लगे आरोप खत्म हो जाएंगे?

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