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भारत में ये दोनों कंपनियां मिलकर बनाएंगी हल्के फाइटर प्लेन के इंजन

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भारत सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ने के साथ साथ डिफेंस सेक्टर में भी अपनी मजबूत पकड़ बना रहा है और इसी मुरहिम में अब भारत में ही फाइटर जेट प्लेन के इंजन बनाएं जाएंगे। पहले हल्के लड़ाकू विमान तेजस MK 2 और स्वदेशी एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA)  के पहले दो स्क्वाड्रन के इंजनों का घरेलू स्तर पर प्रोडक्शन किया जाएगा। इसके बाद जनरल इलेक्ट्रिक और HAL साथ मिलकर भारत में 99 इंजन बनाएंगी। इसमें करीब एक अरब डॉलर (8,329 करोड़) की लागत आ सकती है। 

भारत के विमान उद्योग को मिलेगा बढ़ावा-

बता दे कि भारत के लिए एक बड़ी परियोजना है और इससे भारत के विमान उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारत में इंजीनियरिंग और तकनीकी कौशल का विकास होगा। इससे भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। इससे पहले, भारत को इन विमानों के लिए इंजन विदेशों से आयात करने पड़ते थे। अब, इन इंजनों के देश में निर्माण से भारत की विदेशी निर्भरता कम होगी। जनरल इलेक्ट्रिक इन इंजनों में जो टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करेगा, उनमें हीट से बचने के लिए स्पेशल थर्मल कोटिंग भी शामिल हैं। यह तकनीक इन इंजनों को अधिक शक्तिशाली और टिकाऊ बनाएगी। इससे भारत के लड़ाकू विमानों की क्षमता में भी सुधार होगा।

GE एयरोस्पेस और HAL मिलकर बनाएगी इंजन-

वहीं डीआरडीओ प्रमुख डा. समीर वी कामत ने शनिवार को जानकारी देते हुए बताया कि एलसीए मार्क 2 के इंजन और एएमसीए के पहले दो स्क्वाड्रन का उत्पादन अमरीकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की ओर से देश के भीतर एक साथ होगा। इसे लेकर सभी जरूरी मंजूरियां अमेरिका से मिल गई हैं। एचएएल और यूएस की जीई देश में संयुक्त रूप से इन इंजनों का उत्पादन करेंगे। 30 अगस्त को सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने एलसीए मार्क 2 लड़ाकू विमान के डिवेलपमेंट को लेकर मंजूरी दी, जो भारतीय वायुसेना में मिराज 2000, जगुआर और मिग -29 लड़ाकू विमानों की जगह लेंगे।

2027 तक पूरा किया जाएगा प्रोडक्शन-
इसी दौरान एयरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी के चीफ गिरीश देवधरे ने कहा कि एलसीए मार्क 2 फाइटर एयरक्राफ्ट डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट को सरकार से मंजूरी मिली है। इससे डिजाइनर्स के लिए एडवांस्ड 17.5 टन सिंगल-इंजन विमान बनाने का रास्ता साफ होगा। नए एयरक्राप्ट का डिवेलपमेंट 2027 तक पूरा किया जाना है। उन्होंने कहा कि सरकार से प्रोटोटाइप बनाने की मंजूरी मिली हुई है। पहला प्रोटोटाइप सालभर के भीतर शुरू हो सकता है और फ्लाइंग ट्रायल्स व अन्य संबंधित कार्यों के बाद यह प्रोजेक्ट 2027 तक पूरा होना है। डीआरडीओ का मानना है कि यह विमान एवियोनिक्स और क्षमताओं के मामले में राफेल कैटेगरी के एयरक्राफ्ट में आएगा, मगर वजन में हल्का होगा।

 

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