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फेफड़ों की सेहत से जुड़ी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे हर साल लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। खासतौर पर फेफड़ों का कैंसर एक गंभीर वैश्विक समस्या के रूप में उभरा है। आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 1.5 लाख से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आकर जान गंवा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन समस्याओं को काफी हद तक टाला जा सकता है अगर समय रहते सही कदम उठाए जाएं।
धूम्रपान और प्रदूषण हैं फेफड़ों के दुश्मन
शोध बताते हैं कि फेफड़ों की बीमारियों के सबसे बड़े कारकों में से एक धूम्रपान है। लगभग 80% फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी मौतें सीधे तौर पर धूम्रपान से संबंधित हैं। इसके अलावा, वायु प्रदूषण, विशेष रूप से इनडोर प्रदूषण भी फेफड़ों के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, केवल बाहरी प्रदूषण ही नहीं, खराब इनडोर वायु गुणवत्ता भी अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है।
ऑफिस में वेंटिलेशन की कमी: फेफड़ों के लिए खतरनाक
ज्यादातर ऑफिस बंद कमरों में होते हैं, जहां उचित वेंटिलेशन की कमी होती है। इससे वहां ताजी हवा का आदान-प्रदान नहीं हो पाता, जिससे कमरे की हवा दूषित हो जाती है। ऐसी स्थिति में श्वसन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और लंबे समय तक इन हालातों में रहने से फेफड़ों को गंभीर नुकसान हो सकता है। ऑफिस में लंबे समय तक बैठकर काम करने वाले लोगों में फेफड़ों की बीमारियों का जोखिम काफी बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों की राय: इनडोर प्रदूषण से बचें
श्वसन रोग विशेषज्ञों के अनुसार, जिन जगहों पर वेंटिलेशन कम होता है, वहां हवा में हानिकारक सूक्ष्म कणों की मात्रा 100 गुना तक अधिक हो सकती है। ऐसे प्रदूषकों से संपर्क में आने से निमोनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, इनडोर प्रदूषण के तात्कालिक प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे आंखों और गले में जलन, सिरदर्द और चक्कर आना। अस्थमा से पीड़ित लोगों में ये प्रदूषण लक्षणों को और भी खराब कर सकता है।
इनडोर प्रदूषण से किसे अधिक खतरा?
जो लोग अधिकतर समय बंद कमरों या ऑफिस में बिताते हैं, उन्हें इनडोर प्रदूषण से अधिक खतरा होता है। कई लोग जो धूम्रपान नहीं करते थे, लेकिन फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित पाए गए, उनकी हिस्ट्री से पता चला कि वे सेकेंड हैंड स्मोक या इनडोर प्रदूषण का शिकार हुए थे।
इसके अलावा, बच्चों का भी काफी समय स्कूलों में बीतता है, इसलिए उनके लिए भी इनडोर वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वयस्कों में फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 11% मौतें इनडोर प्रदूषण के कारण होती हैं। ऐसे में घरों और ऑफिस में वेंटिलेशन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। घरों और ऑफिस में खिड़कियों के जरिए ताजी हवा आने और दूषित हवा बाहर जाने का प्रबंध करें।
इनडोर प्रदूषण से बचने के उपाय-
फेफड़ों की बीमारियों से बचाव जरूरी-
हर साल 25 सितंबर को 'विश्व फेफड़ा दिवस' मनाया जाता है ताकि लोगों को फेफड़ों की बीमारियों से बचने और उनकी रोकथाम के बारे में जागरूक किया जा सके। अगर आप अपने ऑफिस या घर में लंबे समय तक रहते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि वहां की हवा ताजी हो और फेफड़ों की सेहत को खतरा न पहुंचे। अपनी सेहत का ख्याल रखते हुए नियमित रूप से वेंटिलेशन और इनडोर प्रदूषण पर ध्यान दें, ताकि आप फेफड़ों की बीमारियों से दूर रह सकें।
डिस्क्लेमर:
यह लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। 'बातें यूपी की' लेख में दी गई जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है।
Baten UP Ki Desk
Published : 23 September, 2024, 6:22 pm
Author Info : Baten UP Ki