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निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस बीमारी की है गंभीर स्थिति, हर साल जा रहीं है 50 लाख जानें...

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दुनियाभर में स्ट्रोक की समस्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इसकी सबसे भयानक मार कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों पर पड़ रही है। इन देशों में स्ट्रोक के कारण 86% मौतें और 89% दिव्यांगता समायोजित जीवन वर्ष दर्ज किए गए हैं। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर करती है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक असमानताओं की गहराई को भी दर्शाती है। सीमित संसाधनों और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण यह संकट दिन-ब-दिन विकराल होता जा रहा है।

1990 से 2019: आंकड़ों में डरावनी वृद्धि- 

विश्‍व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 1990 से 2019 तक:

  • स्ट्रोक की घटनाओं में 70% वृद्धि हुई है।

  • स्ट्रोक से मौतों में 43% का इज़ाफा हुआ है।

  • स्ट्रोक की व्यापकता में 102% की वृद्धि दर्ज की गई है।

  • दिव्यांगता समायोजित जीवन वर्ष में 143% का इज़ाफा हुआ है।

हर साल करीब 50 लाख लोग स्ट्रोक से अपनी जान गंवाते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में लोग स्थायी रूप से दिव्यांग हो जाते हैं।

वायु प्रदूषण और बढ़ता तापमान: प्रमुख जिम्मेदार

कम और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • अत्यधिक वायु प्रदूषण: जिन देशों में वायु प्रदूषण अधिक है, वहां स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है।

बढ़ते तापमान और भयंकर गर्मी: 1990 के बाद से भयंकर गर्मी के कारण स्ट्रोक से स्वास्थ्य खराब होने और समय से पहले मौतों में 72% वृद्धि हुई है।

खराब आहार और अस्वास्थ्यकर आदतें-

स्ट्रोक के बढ़ते मामलों में खराब आहार और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की भी बड़ी भूमिका है।

  • प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन

  • सब्जियों का कम उपयोग

  • धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन ये सभी आदतें स्ट्रोक का खतरा बढ़ाती हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुंच-

सामाजिक-आर्थिक असमानताएं और स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित पहुंच स्ट्रोक के बोझ को और बढ़ा देती हैं। इन देशों में:

  • निदान और उपचार की सुविधाओं की कमी।

  • पुनर्वास के प्रयासों में बाधा।

पिछले 17 सालों में 50% का इज़ाफा-

वैश्विक स्ट्रोक फैक्टशीट के अनुसार, पिछले 17 वर्षों में स्ट्रोक के मामलों में 50% वृद्धि दर्ज की गई है। अब, हर चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होने की संभावना जताई गई है।

मस्तिष्क की जरूरतें और बढ़ती उम्र का प्रभाव-

जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के अनुसार, मस्तिष्क को सही तरीके से कार्य करने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की निरंतर आपूर्ति की जरूरत होती है। खून की आपूर्ति थोड़े समय के लिए भी बाधित होने पर गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, मध्यम और निम्न आय वाले देशों में बढ़ती उम्र की आबादी भी स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि का महत्वपूर्ण कारण है।

समाधान की दिशा में कदम-

स्ट्रोक से निपटने के लिए प्राथमिकता के आधार पर निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: निदान और उपचार के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे का निर्माण।

  • स्वच्छ वायु के लिए प्रयास: वायु प्रदूषण कम करने के लिए ठोस कदम।

  • आहार और जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार और धूम्रपान व शराब से बचाव।

स्ट्रोक के बढ़ते खतरे पर ध्यान देना और सही समय पर कदम उठाना बेहद जरूरी है। इससे न केवल जानें बचाई जा सकती हैं, बल्कि लाखों लोगों को बेहतर जीवन देने की दिशा में भी मदद मिलेगी।

 

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