अक्सर जब हमें खांसी होती है, तो हम इसे हल्की सर्दी-जुकाम, एलर्जी या मौसम के बदलाव का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन क्या हो अगर यह खांसी लंबे समय तक बनी रहे, तेज होती जाए और इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखने लगें? यह टीबी का संकेत हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि हम साधारण खांसी और टीबी की खांसी के बीच का अंतर समझें।
साधारण खांसी: हल्का संक्रमण, जल्दी ठीक होने वाली
- यह सर्दी-जुकाम, एलर्जी, धूल-मिट्टी या हल्के वायरल इंफेक्शन के कारण होती है।
- आमतौर पर 1-2 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाती है।
- इसमें गंभीर लक्षण नहीं होते, जैसे बलगम में खून आना या तेजी से वजन कम होना।
- घरेलू उपायों और सामान्य दवाओं से ठीक हो सकती है।
टीबी की खांसी: लक्षणों को नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक
- यह दो हफ्ते से अधिक समय तक बनी रहती है।
- खांसते समय बलगम आता है, जिसमें कभी-कभी खून भी हो सकता है।
- मरीज को रात में पसीना आता है, हल्का बुखार बना रहता है और कमजोरी महसूस होती है।
- भूख कम लगती है और वजन तेजी से घटने लगता है।
- इलाज न मिलने पर यह फेफड़ों के अलावा हड्डियों, किडनी, दिमाग और लिवर को भी प्रभावित कर सकती है।
चिकित्सकों के अनुसार अगर आपकी खांसी 2 हफ्ते से ज्यादा हो गई है और ऊपर बताए गए लक्षण दिख रहे हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें और बलगम की जांच करवाएं।
टीबी से बचाव के असरदार तरीके
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे बचाव संभव है। अगर आप कुछ जरूरी सावधानियां बरतें, तो इस बीमारी से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
टीबी से बचने के लिए अपनाएं ये जरूरी उपाय
✔️ बीसीजी वैक्सीन लगवाएं – बच्चों को टीबी से बचाने के लिए यह टीका जरूर दिलवाएं।
✔️ साफ-सफाई का ध्यान रखें – खांसते या छींकते समय रुमाल या टिशू का इस्तेमाल करें।
✔️ मास्क पहनें – भीड़भाड़ वाली जगहों पर संक्रमण से बचने के लिए मास्क का उपयोग करें।
✔️ पौष्टिक आहार लें – विटामिन और प्रोटीन से भरपूर भोजन आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
✔️ बीमार व्यक्ति से दूरी बनाए रखें – अगर कोई व्यक्ति टीबी से पीड़ित है और इलाज नहीं करा रहा है, तो उसके संपर्क में आने से बचें।
✔️ हवादार जगह पर रहें – टीबी का बैक्टीरिया गंदी, नमी वाली और बंद जगहों में तेजी से फैलता है, इसलिए घर को हवादार और साफ रखें।
✔️ नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं – अगर लंबे समय से खांसी बनी हुई है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
टीबी का इलाज संभव है, बस धैर्य और नियमितता जरूरी है
अगर किसी को टीबी हो जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से ठीक हो सकती है, बशर्ते इलाज समय पर और सही तरीके से किया जाए।
✅ DOTS (Directly Observed Treatment, Short-course) थैरेपी के जरिए टीबी का इलाज किया जाता है।
✅ मरीज को कम से कम 6 महीने तक नियमित रूप से दवाएं लेनी होती हैं।
✅ बीच में दवा छोड़ना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे बैक्टीरिया और ताकतवर हो जाता है और बीमारी दोबारा उभर सकती है।
ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) डे: एक ऐतिहासिक पहल
टीबी दुनिया की सबसे पुरानी और घातक बीमारियों में से एक है। इसे खत्म करने के लिए वैज्ञानिकों ने वर्षों तक शोध किए और महत्वपूर्ण खोजें कीं। 24 मार्च इसी प्रयासों की एक महत्वपूर्ण तारीख है, जिसे विश्व तपेदिक दिवस (World Tuberculosis Day) के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के पीछे की कहानी और भारत में टीबी की मौजूदा स्थिति।
डॉ. रॉबर्ट कोच की ऐतिहासिक खोज
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, 24 मार्च 1882 को जर्मन वैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट कोच ने टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया Mycobacterium Tuberculosis की खोज की थी। यह खोज आगे चलकर टीबी के इलाज और रोकथाम के लिए मील का पत्थर साबित हुई।
✅ 1905 में, डॉ. रॉबर्ट कोच को उनकी इस खोज के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
✅ इस उपलब्धि के सम्मान में, 24 मार्च को "विश्व टीबी दिवस" के रूप में चुना गया।
✅ इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को टीबी के बारे में जागरूक करना और इसके उन्मूलन के लिए प्रयास तेज करना है।

टीबी डे का उद्देश्य और WHO की भूमिका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) हर साल टीबी के बढ़ते प्रभाव, इसके सामाजिक और आर्थिक दुष्प्रभावों पर लोगों को जागरूक करने के लिए इस दिन को मनाता है।
- टीबी के खात्मे के लिए वैश्विक जागरूकता फैलाना।
- समाज में टीबी को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करना।
- समय पर जांच और सही इलाज के लिए लोगों को प्रेरित करना।
- सरकारों और स्वास्थ्य संगठनों को इस बीमारी के उन्मूलन के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
भारत में टीबी: आंकड़े क्या कहते हैं?
भारत टीबी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक है। हर साल लाखों नए मरीज सामने आते हैं, जिससे यह बीमारी देश के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है।
- 2022 में भारत में कुल 21.42 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए।
- तेलंगाना में अकेले 72,878 मामले सामने आए।
- 2022 में राष्ट्रीय स्तर पर टीबी के मामलों में 13% की वृद्धि हुई।
टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, लेकिन यह लाइलाज नहीं है। अगर सही समय पर इसका इलाज किया जाए, तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।