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कल्पना कीजिए, एक ऐसी दुनिया जहां उपकरणों की सटीकता पर संदेह हो, खाने की गुणवत्ता अनिश्चित हो, और सुरक्षा के मानक अनदेखे हों-क्या ऐसा जीवन सहज और सुरक्षित हो सकता है? सौभाग्य से, हम ऐसी दुनिया में नहीं रहते। विश्व मानक दिवस, जिसे हर साल 14 अक्टूबर को मनाया जाता है, इसी कड़ी को सलाम करता है। यह दिन उस अदृश्य धागे को रेखांकित करता है जो हमारे जीवन को सुरक्षित, भरोसेमंद और व्यवस्थित बनाता है। मानक सिर्फ नियमों का ढांचा नहीं, बल्कि वह नींव हैं जिन पर वैश्विक अर्थव्यवस्था, उद्योग, और उपभोक्ता विश्वास टिका होता है। आइए, इस दिन हम उन छोटे-छोटे अदृश्य 'मानकों' को सराहें जो हर कदम पर हमारे अनुभवों की गुणवत्ता और सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।
विश्व मानक दिवस का इतिहास-
विश्व मानक दिवस की शुरुआत 1970 में हुई थी, लेकिन इसका बीजारोपण 1956 में हुआ था, जब लंदन में 25 देशों के प्रतिनिधियों की एक बैठक में एक अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इसके फलस्वरूप 1947 में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) का गठन हुआ। यह संगठन दुनिया भर में उत्पादों और सेवाओं के मानकों को विकसित करने के उद्देश्य से कार्य करता है।
भारतीय मानक ब्यूरो की भूमिका-
भारत में मानकीकरण का काम भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards - BIS) द्वारा किया जाता है। इसकी स्थापना 1947 में की गई थी। पहले इसे भारतीय मानक संस्थान के नाम से जाना जाता था, जिसे 1986 में भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत बदला गया। यह संगठन उपभोक्ताओं की सुरक्षा और उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका काम उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानकीकरण-
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, अंतर्राष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग (IEC), अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO), और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने 2001 में वर्ल्ड स्टैंडर्ड कॉर्पोरेशन की स्थापना की। यह संगठन स्वैच्छिक सहमति-आधारित मानकों को विकसित करने और उन्हें लागू करने का कार्य करता है, ताकि वैश्विक व्यापार और उपभोक्ता सुरक्षा में सुधार हो सके।
मानकीकरण और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का संबंध-
मानकीकरण केवल उद्योगों और व्यापार तक ही सीमित नहीं है। यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे सामाजिक असमानताओं को दूर करना, जलवायु परिवर्तन का सामना करना, और सतत अर्थव्यवस्था के विकास में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। अंतर्राष्ट्रीय मानक संगठन (ISO) द्वारा यह कहा गया है कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निजी और सार्वजनिक भागीदारों के सहयोग और उपलब्ध उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक है। इसके लिए मानकों का विकास, अनुरूपता मूल्यांकन और गुणवत्ता का निर्धारण जरूरी होता है।
विश्व मानक दिवस 2024 की थीम-
हर साल की तरह इस वर्ष भी विश्व मानक दिवस की थीम खास है, जो इस साल के मानकीकरण के विकास और चुनौतियों को दर्शाती है। 2024 की थीम का उद्देश्य है "मानक: स्थिरता और नवाचार की नींव," जिसका मतलब है कि मानक कैसे सतत विकास और तकनीकी नवाचार में मदद कर रहे हैं।
मानक क्यों हैं महत्वपूर्ण?
मानक उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा, और दक्षता सुनिश्चित करते हैं। वे उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाते हैं और वैश्विक व्यापार को आसान बनाते हैं। कुछ प्रमुख कारण जो मानकों को महत्वपूर्ण बनाते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
भारतीय मानक ब्यूरो के कार्य-
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) मानकीकरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, जिनमें शामिल हैं:
वैश्विक अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान-
विश्व मानक दिवस 2024 का मुख्य उद्देश्य मानकों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। मानक उपभोक्ताओं, व्यापारियों, और उद्योगों को एक साझा मंच प्रदान करते हैं, जिससे वे वैश्विक अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान कर सकते हैं। इस साल की थीम भी स्थिरता और नवाचार के महत्व को उजागर करती है, जो भविष्य में और भी महत्वपूर्ण साबित होगी। मानकों का महत्व केवल उत्पादों तक ही सीमित नहीं है, यह हमारे जीवन के हर पहलू में शामिल है—चाहे वह व्यापार हो, पर्यावरण संरक्षण, या उपभोक्ता सुरक्षा।
Baten UP Ki Desk
Published : 14 October, 2024, 1:00 pm
Author Info : Baten UP Ki