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बच्चों के हाथों में काम नहीं किताबें जरूरी हैं..

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(Special Story) मानव जीवन में बाल अवस्था या यूं कहें कि बचपन एक ऐसा समय है जिसमें मनुष्य अपना सर्वांगीण विकास होता है और यह जीवन की वह अवधि है जिसके दौरान उसके आने वाले जीवन की नींव में शिक्षा रूपी तराशी हुई ईंट रखी जाती हैं जिससे उसका भविष्य उज्जवल हो सके। लेकिन कभी-कभी जीवन की सच्चाई इतनी कालिख भरी होती है जिसमें करोड़ों बच्चों का भविष्य भी काला हो जाता है। गरीबी की वजह से या फिर कई और कारणों से बच्चों के हाथों से किताबें छीनकर कम उम्र में ही काम में लगा दिया जाता है। आज भी करोड़ों बच्चे बाल श्रम के दलदल में फंसे हुए हैं। इसीलिए पढ़ाई-लिखाई से दूर होकर बाल मजदूरी में लगे बच्चों को रोकने के लिए दुनियाभर में हर साल 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) मनाया जाता है।

कब से हुई इसे मनाने की शुरूआत?

पहली विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने का प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की ओर से रखा गया था, जिसका उद्देश्य बाल श्रम को रोकना था। साल 2002 में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस की स्थापना की गई थी। अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ के 187 सदस्य देश हैं। ILO ने विश्व में श्रम की स्थितियों में सुधार के लिए कई सम्मेलनों को पारित किया है। साथ ही, यह काम के घंटे, मजदूरी और अनुकूल वातावरण से जुड़े मामलों पर भी समय-समय पर जरूरी गाइडलाइन्स देता रहता है।

क्या कहते हैं आंकड़े ?

एक शोध के मुताबिक, विश्व स्तर पर हर दस में से एक बच्चा काम करने के लिए मजबूर है। अफ्रीका में बाल श्रम में लगे बच्चों की कुल संख्या 7.2 करोड़ है जो दुनिया में सबसे ऊपर है। वहीं, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 6.2 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। 

बाल श्रम में सबसे ऊपर है अफ्रीका-

अफ्रीका में बाल श्रम में लगे बच्चों की कुल संख्या 7.2 करोड़ है जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 6.2 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं। अफ्रीका और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में दुनिया भर में बाल श्रम में लगे हर दस बच्चों में से लगभग नौ बच्चे हैं। शेष बाल श्रमिक आबादी अमेरिका (1.1 करोड़), यूरोप और मध्य एशिया (60 लाख) और अरब राज्यों (10 लाख) में विभाजित है। अमेरिका में पांच फीसदी बच्चे, यूरोप और मध्य एशिया में चार फीसदी और अरब राज्यों में तीन फीसदी  बच्चे बाल श्रम में हैं।

इस दिन को कैसे मनाते हैं?

इस दिन बाल श्रम को खत्म करने और बच्चों को शोषण से बचाने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। यह सरकारों, नियोक्ताओं, श्रमिकों, सिविल सोसाइटी और लोगों को बाल श्रम से मुक्त दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस साल का विश्व बाल श्रम दिवस के सबसे बुरे रूपों पर कन्वेंशन (1999, संख्या 182) को अपनाने की 25वीं वर्षगांठ मनाने पर आधारित है। यह बाल श्रम के खिलाफ काम करने वाले सभी लोगों को इस पर दो मौलिक कन्वेंशन - कन्वेंशन संख्या 182 और रोजगार या कार्य में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु से संबंधित कन्वेंशन संख्या 138 (1973) के कार्यान्वयन में सुधार करने की भी याद दिलाने का दिन है।

किन देशों में कितना है बाल श्रम का प्रतिशत 

बाल श्रम में बच्चों का प्रतिशत, कम आय वाले देशों में सबसे अधिक है, वास्तव में उनकी संख्या मध्यम आय वाले देशों में अधिक है। कम और मध्यम आय वाले देशों में सभी बच्चों का नौ फीसदी और उच्च-मध्यम आय वाले देशों में सभी बच्चों का सात फीसदी बाल श्रम में हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय आय समूह में बाल श्रम में बच्चों की पूर्ण संख्या के आंकड़ों से पता चलता है कि बाल श्रम में 8.4 करोड़ बच्चे, जो बाल श्रम में सभी बच्चों का 56 फीसदी है, वास्तव में मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं और अतिरिक्त 20 लाख उच्च आय वाले देशों में रहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता-

संयुक्त राष्ट्र ने सतत विकास लक्ष्य 8.7 को अपनाने के साथ, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों ने 2025 तक बाल मजदूरी के सभी रूपों को समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, वर्तमान में 16 करोड़ बच्चे बाल मजदूरी में लगे हुए हैं। यानि दुनिया भर में दस में से लगभग एक बच्चा बाल मजदूरी में लगा हुआ है।

क्या है इस साल की थीम?

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2024 की थीम है- "आइए अपनी प्रतिबद्धताओं पर कार्य करें : बाल श्रम समाप्त करें" (Let's Act On Our Commitments: End Child Labour)। हर साल इस मौके पर अलग-अलग प्रकार से थीम रखी जाती है। थीम के माध्यम से व्यक्ति, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

BY Ankit Verma 

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