महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारा संविधान महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करता है, जिससे वे स्वतंत्र, सुरक्षित और समान रूप से आगे बढ़ सकें। लेकिन, आज भी कई महिलाएं अपने संवैधानिक अधिकारों से अनजान हैं। इस महिला दिवस पर आइए जानते हैं वे विशेष प्रावधान, जो हर महिला को जानने और अपनाने चाहिए।
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) – कोई भेदभाव नहीं!
संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है, चाहे वह महिला हो या पुरुष। किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। खास बात यह है कि अनुच्छेद 15(3) के तहत महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष कानून बनाए जा सकते हैं, ताकि वे समाज में समान अवसर पा सकें।
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) – अपनी शर्तों पर जिएं!
हर महिला को स्वतंत्रता का अधिकार है—अपनी बात रखने, कहीं भी आने-जाने, अपने पसंदीदा पेशे को अपनाने और अपनी शर्तों पर जीवन जीने का। अगर कोई उनकी स्वतंत्रता छीनने की कोशिश करता है या धमकाता है, तो वे कानूनी कार्रवाई कर सकती हैं।
शोषण के खिलाफ अधिकार (अनुच्छेद 23-24) – जबरन मजदूरी और तस्करी पर रोक!
महिलाओं के खिलाफ किसी भी प्रकार के शोषण, जबरन मजदूरी या मानव तस्करी को संविधान गैरकानूनी मानता है। 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से मजदूरी कराना पूरी तरह अवैध है।
सम्मान और गरिमा का अधिकार (अनुच्छेद 21) – सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन!
हर महिला को सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार है। यदि कोई उनके शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो वे कानूनी मदद ले सकती हैं। यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना जैसे अपराधों पर सख्त कानून हैं।
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मातृत्व और श्रम अधिकार (अनुच्छेद 42) – मातृत्व का सम्मान!
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को विशेष सुविधाएं मिलनी चाहिए। नौकरी करने वाली महिलाओं को मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) और सुरक्षित कार्यस्थल का अधिकार है, ताकि वे बिना किसी भय के काम कर सकें।
मतदान और राजनीतिक अधिकार (अनुच्छेद 243D और 243T) – राजनीति में भागीदारी!
महिलाओं को न केवल मतदान का अधिकार है, बल्कि वे चुनाव लड़कर भी नेतृत्व कर सकती हैं। पंचायतों और नगर पालिकाओं में 33% आरक्षण का प्रावधान है, जिससे महिलाएं राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा सकें।