18वीं लोकसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार, 20 दिसंबर को समाप्त हो गया। यह सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था और पूरे 26 दिनों तक चला। कुल 20 बैठकों में, संसद ने लगभग 105 घंटे की कार्यवाही पूरी की। इस सत्र में न केवल विधायी प्रक्रियाओं पर जोर दिया गया, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद भी देखने को मिले। कानून निर्माण के साथ-साथ राजनीतिक संघर्ष, हंगामे और तीखी बहसों ने इस सत्र को यादगार बना दिया। आइए विस्तार से जानते हैं इस शीतकालीन सत्र के उथल-पुथल की पूरी कहानी...
लोकसभा और राज्यसभा का प्रदर्शन
- लोकसभा की प्रोडक्टिविटी: 54%
- राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी: 41%
सत्र के दौरान कुल 4 बिल पेश किए गए, लेकिन इनमें से कोई भी पारित नहीं हो सका।
सबसे चर्चित बिल: वन नेशन-वन इलेक्शन
- सत्र में 129वें संविधान (संशोधन) बिल को पेश किया गया, जो "एक देश, एक चुनाव" की अवधारणा से जुड़ा है।
- बिल की समीक्षा के लिए 39 सदस्यीय जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) का गठन।
- लोकसभा से 27 और राज्यसभा से 12 सांसद इसमें शामिल।
- JPC को संसद के अगले सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट देनी होगी।
सत्र में बड़े मुद्दे और हंगामे
- अडाणी मुद्दा: सत्र की शुरुआत में विपक्ष ने इस पर जोरदार हंगामा किया।
- मणिपुर और किसानों का मुद्दा: इन विषयों पर विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरा।
- अंबेडकर विवाद: सत्र के अंत में अंबेडकर पर बयानबाजी से माहौल गरमा गया।
धक्का-मुक्की और विवाद
- 19 दिसंबर को संसद गेट पर हुई धक्का-मुक्की के कारण सत्र में हलचल मच गई।
- आरोप: भाजपा ने राहुल गांधी पर अपने सांसदों को घायल करने का आरोप लगाया।
- प्रतिक्रिया: प्रियंका गांधी ने इसे झूठा मामला बताया।
- FIR: राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज।
- जांच: इस घटना की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी जाएगी।
सत्तापक्ष और विपक्ष की तकरार
- भाजपा का आरोप: कांग्रेस ने डॉ. अंबेडकर का मुद्दा उठाकर सत्ता पक्ष को बदनाम करने की कोशिश की।
- कांग्रेस का आरोप: भाजपा ने अंबेडकर के बयान पर ध्यान भटकाने के लिए हिंसा की साजिश रची।
स्पीकर का निर्देश
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों को संसद भवन के गेट पर प्रदर्शन करने से सख्ती से मना किया। उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने की अपील की और कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।
सत्ता पक्ष और विपक्ष का पक्ष
भाजपा के सांसदों का बयान:
- निशिकांत दुबे: राहुल गांधी ने सांसदों के साथ दुर्व्यवहार किया।
- राजनाथ सिंह: अस्पताल में घायल सांसदों से मुलाकात।
कांग्रेस का रुख:
- प्रियंका गांधी ने राहुल के खिलाफ FIR को ध्यान भटकाने की साजिश बताया।
- प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर फासीवादी सोच का आरोप लगाया।
गृहमंत्री अमित शाह का विवादित बयान-
अमित शाह अपने भाषण के दौरान डॉ बीआर आंबेडकर की विरासत पर बोल रहे थे। अमित शाह ने कहा कि आजकल आंबेडकर का नाम लेना एक फ़ैशन बन गया है। उन्होंने कहा...
"अब ये एक फ़ैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता"
अमित शाह के पूरे भाषण के एक अंश को लेकर काफ़ी विवाद हुआ। अमित शाह के इस बयान पर कांग्रेस पार्टी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आपत्ति जताई।
संसद शीतकालीन सत्र की 10 बड़ी झलकियां:
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वन नेशन-वन इलेक्शन की गूंज:
केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित वन नेशन-वन इलेक्शन से जुड़ा बिल संसद में पेश किया। इस पर चर्चा के लिए लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 12 सदस्यों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित की गई। -
सत्ता और विपक्ष की तीखी झड़पें:
सत्र की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार जारी रही। राहुल गांधी पर भाजपा ने दो सांसदों को गिराने और घायल करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में केस दर्ज कराया। जवाब में कांग्रेस ने भाजपा सांसदों पर मल्लिकार्जुन खड़गे को चोटिल करने की शिकायत दर्ज की। -
राहुल गांधी बनाम भाजपा:
कांग्रेस ने दावा किया कि राहुल गांधी पर यह केस संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर का सम्मान बचाने की उनकी लड़ाई के चलते दर्ज किया गया। -
सांसदों की अस्पताल यात्रा:
संसद परिसर में हुई धक्का-मुक्की में भाजपा सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हो गए। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। राजनाथ सिंह ने अस्पताल जाकर उनका हालचाल लिया। -
आंबेडकर पर बयान बना बवाल का कारण:
अमित शाह के डॉ. आंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर विपक्ष ने संसद में जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने भाजपा पर बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। -
अमित शाह का पलटवार:
शाह ने कहा कि कांग्रेस ने उनकी वीडियो क्लिप को काटकर गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस्तीफे की मांग को खारिज करते हुए कांग्रेस पर "सच को झूठ से ढकने" का आरोप लगाया। -
प्रधानमंत्री की सख्त टिप्पणी:
पीएम मोदी ने अमित शाह का समर्थन करते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष झूठ फैलाकर अपने राजनीतिक हित साधने की कोशिश कर रहा है। -
कांग्रेस और भाजपा की आरोप-प्रत्यारोप की जंग:
कांग्रेस ने भाजपा पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा ने विपक्ष पर संविधान निर्माताओं का अपमान करने का। -
लोकसभा स्पीकर की सख्ती:
ओम बिरला ने सांसदों को चेतावनी देते हुए संसद भवन के किसी भी गेट पर प्रदर्शन करने पर रोक लगाई। उन्होंने कहा कि संसद की गरिमा को बनाए रखना सभी सांसदों की जिम्मेदारी है। -
कांग्रेस को सहयोगियों का साथ नहीं मिला:
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने बार-बार कार्यवाही स्थगित होने पर नाराजगी जताई। इन दलों ने अडानी और जॉर्ज सोरोस जैसे मुद्दों पर कांग्रेस का साथ देने से भी इनकार कर दिया।
सत्र से जुड़े विवाद और निष्कर्ष
शीतकालीन सत्र में लगातार हंगामे, विवाद और आरोप-प्रत्यारोप छाए रहे। "एक देश, एक चुनाव" का बिल चर्चा का मुख्य विषय रहा, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका। शीतकालीन सत्र में जहां सत्ता और विपक्ष के बीच जुबानी जंग और शारीरिक झड़पें चर्चा में रहीं, वहीं संसद की गरिमा को बनाए रखने के लिए नए सिरे से सोचने की जरूरत भी उभरकर सामने आई।