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पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में क्यों लगी है प्रदर्शन की आग, 151 लोगों ने तोड़ा दम

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पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर ऐसी आग फैली जिसके लपेटे में 151 लोगों ने दम तोड़ दिया। लगभग 2500 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। हैरान करने वाली बात ये है कि मरने और घायल होने का सिलसिला अभी थमा नहीं है और गिनती अभी भी जारी है। कॉलेज-यूनिवर्सिटी बंद हो गई हैं। ट्रेन-मेट्रो सेवाएं ठप हो चुकी हैं। इंटरनेट बंद होने की खबरें भी हैं।लेकिन अचानक इतना सब कुछ कैसे घट गया  क्या है इसके पीछे की कहानी आइए विस्तार से जानते हैं। 

 बांग्लादेश में रिजर्वेशन कोटा-

साल 1972 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग हुए कुछ ही समय हुआ था। तभी बांग्लादेश में रिजर्वेशन कोटा प्रणाली शुरू की गई थी। तबसे इसमें कई बदलाव किये गए। इस प्रणाली में विभिन्न समूहों के लिए 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित थीं। लेकिन इनमें से अधिकांश कोटा स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को ही मिलता था। ये वो सेनानी थे जो पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश विभाजन के समर्थन में लड़ाई लड़ रहे थे। इस कोटा प्रणाली के तहत 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ देश की आजादी की लड़ाई में लड़ने वाले नायकों के परिजनों को 30% आरक्षण दिया गया था। इसका काफी विरोध किया जाने लगा और इसे देखते हुए 2018 में इसे समाप्त कर दिया गया।

क्यों शुरू हुआ बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन?
 

बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन पिछले महीने तब शुरू हुए जब वहां के उच्च न्यायालय ने इस कोटा प्रणाली को पुनः लागू कर दिया। इस पर वहां फिर से आंदोलन शुरू हो गया। आंदोलनकारी बांग्लादेश में कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका मानना है कि कोटा प्रणाली भेदभावपूर्ण है और वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचाती है। बता दें कि हसीना की अवामी लीग पार्टी ने ही बांग्लादेश की स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया था। आंदोलनकारी चाहते हैं कि अब योग्यता आधारित रिजर्वेशन प्रणाली हो।

पीएम प्रदर्शनकारियों की मांगों को किया इनकार-
 

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने किसी भी मांग को स्वीकार करने से इनकार करते हुए प्रदर्शनकारियों को "रजाकार" कहा है, जो एक अपमानजनक शब्द है। इसका प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्होंने 1971 में पाकिस्तानी सेना के साथ सहयोग करके देश के साथ विश्वासघात किया था। इसी बीच कल 21 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने एक अपील पर अपना फैसला भी सुनाया है। फैसले के अनुसार बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भाग लेने वालों के परिजनों को 5 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। 2 फ़ीसदी  कोटा कास्ट माइनॉरिटीज, ट्रांसजेंडर्स और विकलांगों के लिए आरक्षित होगा। यानि ,अब 93 फ़ीसदी सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर आवंटित की जाएंगी। बांग्लादेश में हालिया स्थिति की बात करें तो प्रधानमंत्री हसीना की सरकार ने पूरे देश  में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की है और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बलों की तैनाती का आदेश दिया है।
 
इस मामले पर भारत ने क्या कदम उठाए?

21  जुलाई को विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किये गए अपडेट के अनुसार अब तक कुल 4500 भारतीय स्वदेश वापस लौट चुके हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से बांग्लादेश से भारतीयों को निकाले जाने के संबंध में जारी नवीनतम जानकारी में कहा गया है कि, ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग और हमारे सहायक उच्चायोग भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। वे बांग्लादेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शेष छात्रों और भारतीय नागरिकों के साथ उनके सहायता के लिए नियमित संपर्क में हैं।

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