आज दोपहर लगभग 3 बजे सूर्य अपनी यात्रा को धनु राशि से मकर राशि में बदलेंगे, और इसी क्षण से मकर संक्रांति का पर्व आरंभ होगा। इसे उत्तरायण भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन से देवताओं का दिन शुरू होता है और शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाती है। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है, जबकि 2024 में यह 15 जनवरी को पड़ी थी। पिछले कुछ सालों से मकर संक्रांति की तारीख में बदलाव देखने को मिल रहा है। कभी 14 तो कभी 15 जनवरी, और 2101 के बाद यह पर्व 15 या 16 जनवरी को मनाया जाएगा। यह खगोलीय बदलाव हमें समय की गति और आकाशीय घटनाओं के अनोखे संबंधों का अहसास कराता है।
खगोल विज्ञान और ज्योतिषीय गणना का प्रभाव:
- सौर वर्ष और कैलेंडर के अंतर का रहस्य
ज्योतिष गणित के अनुसार सौर वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर में सिर्फ 365 दिन होते हैं। इस अंतर को संतुलित करने के लिए हर साल करीब 6 घंटे "बचा" लिए जाते हैं, जो 4 सालों में मिलकर 1 दिन बनाते हैं। इसे लीप वर्ष में जोड़ा जाता है। इसी वजह से मकर संक्रांति की तारीख कभी 14 तो कभी 15 जनवरी को पड़ती है।
- सूर्य के राशि परिवर्तन का समय बदलना
हर साल सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने का समय भी बदलता है। यदि सूर्य दोपहर से पहले राशि बदले, तो संक्रांति उसी दिन मनाई जाती है। लेकिन यदि यह परिवर्तन शाम या रात में हो, तो पर्व अगले दिन मनाया जाता है।
- 71–72 साल में एक दिन का अंतर
सूर्य के राशि परिवर्तन में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों का परिणाम यह होता है कि लगभग 71–72 साल में मकर संक्रांति की तारीख एक दिन आगे बढ़ जाती है।
21 दिसंबर को उत्तरायण, लेकिन मकर संक्रांति जनवरी में क्यों?
- 21 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण हो जाता है
खगोल विज्ञान के अनुसार, हर साल 21 दिसंबर को सूर्य उत्तरायण हो जाता है, यानी वह दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा की ओर आना शुरू कर देता है।
- मकर संक्रांति पर पर्व क्यों?
प्राचीन समय में जब यह पर्व शुरू हुआ था, तब सूर्य का मकर राशि में प्रवेश और उत्तरायण 21-22 दिसंबर के आसपास होता था। लेकिन मकर संक्रांति की तारीख धीरे-धीरे आगे बढ़ने के कारण अब यह 14-15 जनवरी को मनाई जाती है।
धर्म, ज्योतिष और पंचांग का महत्व:
- धर्म और ज्योतिषीय मान्यताएं-
ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी से देवताओं का दिन शुरू होता है। इस दिन को उत्तरायण भी कहा जाता है।
- पंचांग और अंग्रेजी कैलेंडर का अंतर
हिन्दी पंचांग और अंग्रेजी कैलेंडर में तालमेल न बैठ पाने की वजह से मकर संक्रांति की तारीख में बदलाव होता है। पंचांग के आधार पर त्योहार की तारीख सूर्य के राशि परिवर्तन के समय पर निर्भर करती है।
तिल-गुड़ का पर्व और स्वास्थ्य लाभ:
- तिल-गुड़ क्यों खाया जाता है?
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ खाने की परंपरा स्वास्थ्य और मौसम से जुड़ी है। सर्दियों में तिल और गुड़ शरीर को गर्म रखते हैं और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
डायटीशियन के अनुसार, तिल-गुड़ न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं बल्कि ये हमारी इम्यूनिटी भी बढ़ाते हैं।
भविष्य की मकर संक्रांति-
आने वाले वर्षों में मकर संक्रांति की तारीख और आगे बढ़ेगी। 2101 के बाद यह पर्व 15-16 जनवरी को मनाया जाएगा। यह बदलाव खगोलीय गणनाओं का नतीजा है, जो हमारे धर्म और परंपराओं पर भी अपना प्रभाव डालता है।मकर संक्रांति सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि खगोल विज्ञान, ज्योतिष, और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनूठा संगम है। समय के साथ इसकी तारीख में बदलाव होता रहेगा, लेकिन इसका महत्व और उल्लास हमेशा बना रहेगा।