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UN शांति सेना क्यों नहीं भेज देता हिन्दुओं की रक्षा के लिए?

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बांग्लादेश में हालात इन दिनों बेहद खराब होते जा रहे हैं, खासकर हिंदू अल्पसंख्यकों के लिए। यह स्थिति तब और बिगड़ गई जब इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद कट्टरपंथी गुटों ने हिंदू समुदाय पर हमले और तेज़ कर दिए हैं। भारत में इस पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और इस विवाद का केंद्र ममता बनर्जी का बयान बन गया है।

ममता बनर्जी का बयान-

ममता बनर्जी ने कहा, "जब भी बांग्लादेश से कोई नाव हमारी सीमा में आती है, तो हम नरमी दिखाते हैं। लेकिन वहां की सरकार बदलते ही अल्पसंख्यकों पर हिंसा होती है। प्रधानमंत्री मोदी को इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाना चाहिए और वहां शांति सेना भेजने की मांग करनी चाहिए।"

सांसद शशि थरूर का बयान-

ममता बनर्जी की इस मांग पर कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा कि शायद ममता बनर्जी को यूएन शांति सेना के कामकाज और तैनाती के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। शशि थरूर की यह प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है, क्योंकि शांति सेना की तैनाती यूं ही नहीं होती। इसके लिए एक पूरी प्रक्रिया और प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है।

यूएन शांति सेना की तैनाती की प्रक्रिया-

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की तैनाती का काम विशेष परिस्थितियों में होता है। शांति सेना की नींव 1948 में रखी गई थी, जिसका उद्देश्य इजरायल और अरब देशों के बीच शांति बनाए रखना था। इसके बाद इसका दायरा बढ़ा और आज इसमें 120 से अधिक देशों के सैनिक तैनात हैं, जिनमें भारतीय सैनिक भी शामिल हैं। हालांकि, यूएन शांति सेना युद्ध नहीं लड़ती है। इन सैनिकों का मुख्य उद्देश्य शांति बनाए रखना होता है, और वे किसी भी प्रकार की लड़ाई में भाग नहीं लेते। उनका काम निष्पक्ष रहकर शांति स्थापना के प्रयासों में योगदान देना होता है। यदि इन सैनिकों पर या नागरिकों पर हमला होता है, तो शांति सेना उसे रोकने के लिए तैयार रहती है।

शांति सेना की तैनाती की शर्तें-

यूएन शांति सेना का काम किसी भी देश में तभी शुरू होता है जब उस देश से अनुमति मिलती है। यानी, शांति सेना को किसी भी देश में भेजने से पहले उस देश की सरकार से सहमति लेना आवश्यक होता है। जब शांति सेना को तैनात किया जाता है, तो संयुक्त राष्ट्र और होस्ट देश के बीच एक स्टेटस ऑफ फोर्सेस एग्रीमेंट (SOFA) होता है। इस समझौते में शांति सैनिकों की कानूनी स्थिति, उनकी जिम्मेदारियां, और उनके काम की सीमा तय की जाती है। यदि कभी होस्ट देश को लगता है कि शांति सेना उसके मामलों में हस्तक्षेप कर रही है, तो उसे वापस बुलाने का अधिकार है।

भारत का योगदान-

भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन का हिस्सा 24 अक्टूबर 1945 से है और अब तक 2,75,000 सैनिकों का योगदान कर चुका है। वर्तमान में भारतीय सेना के लगभग 6,000 सैनिक विश्व के विभिन्न हिस्सों में तैनात हैं, जैसे अबेई, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, लेबनान, पश्चिमी एशिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और पश्चिमी सहारा में। भारत को 2025-2026 के लिए संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना आयोग का सदस्य भी चुना गया है।

शांति सेना पर आरोप-

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को लेकर कई बार आरोप भी लगाए गए हैं। कुछ देशों का यह दावा रहा है कि शांति सैनिक अमेरिका या सुरक्षा परिषद के अन्य देशों के लिए जासूसी करते हैं। उदाहरण के लिए, 2000 में इजरायल ने यूनिफिल के शांति सैनिकों पर आरोप लगाया था कि वे हिजबुल्लाह के लिए जानकारी भेज रहे थे। इसके अलावा, कांगो में तैनात शांति सैनिकों पर यौन शोषण और दुर्व्यवहार जैसे आरोप भी लगाए गए हैं। यूएन ने माना है कि कुछ सैनिकों ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है।

क्या बांग्लादेश में शांति सेना की तैनाती संभव है?

अब सवाल यह उठता है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए शांति सेना भेजी जा सकती है या नहीं? इसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि क्या बांग्लादेश की सरकार इसकी अनुमति देती है। अगर बांग्लादेश इस मुद्दे पर शांति सेना की तैनाती के लिए सहमत होता है, तो संयुक्त राष्ट्र शांति सेना को वहां भेजा जा सकता है, अन्यथा यह संभव नहीं होगा। इसलिए, ममता बनर्जी की मांग में एक महत्वपूर्ण कमी है। शांति सेना को किसी भी देश में भेजने के लिए उस देश की सहमति आवश्यक है, और बांग्लादेश की सरकार द्वारा कोई आधिकारिक अनुरोध ही ऐसा कदम उठाने का कारण बनेगा।

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा-

इस समय बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बन चुका है, लेकिन इसका समाधान यूएन शांति सेना के जरिए तुरंत नहीं किया जा सकता। इसके लिए बांग्लादेश की सरकार की अनुमति और संयुक्त राष्ट्र के प्रोटोकॉल का पालन जरूरी है। इस स्थिति में भारत की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, जो शांति मिशन में योगदान दे रहा है।

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