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आमतौर पर, जब हम मानसून की बारिश की बात करते हैं, तो हमारी कल्पना होती है कि पूरे शहर या इलाके में समान रूप से बारिश हो रही है। लेकिन, इस साल का मानसून कुछ और ही कहानी कह रहा है। इस साल का मानसून यूपी और देश के अन्य हिस्सों में कई रहस्यमयी बदलाव लेकर आया है। बादल तो हैं, लेकिन उनका स्वभाव अब कुछ अलग ही है। गरजना जैसे वो भूल ही गए हैं। और बारिश, वो भी अब जगह-जगह छोटी-छोटी पॉकेट्स में सिमट गई है। यानी एक नए पैटर्न ने जन्म ले लिया जिसे नाम दिया गया है “पॉकेट रेन”। यह एक ऐसी घटना है जिसमें एक छोटे से क्षेत्र में बारिश होती है, जबकि आसपास के अन्य इलाकों में बिलकुल भी बारिश नहीं होती, या बहुत कम होती है।
कब होती है पॉकेट रेन ?
उदाहरण के तौर पर अगर हम कानपुर शहर को ले लें तो इस पूरे मानसून में केवल दो दिन ही पूरे शहर में समान बारिश हुई है। जुलाई में केवल एक दिन मूसलाधार बारिश हुई और उस दिन बादल भी खूब गरजे। लेकिन बाकी समय, बारिश छोटे-छोटे क्षेत्रों में सिमटी रही। यह घटना तब होती है जब किसी विशेष क्षेत्र में वातावरण में मौजूद नमी और तापमान, बारिश के लिए पूरी तरह से अनुकूल हो जाते हैं। इस तरह के बारिश होते हैं क्यूम्यलोनिंबस बादल के कारण। ऐसे बादल सीधे ऊपर की ओर विकसित होते हैं, बनते हैं और एक छोटे से क्षेत्र में बारिश लेकर आते हैं। लेकिन बाकी के आस-पास के क्षेत्रों में ऐसा नहीं होता है इन स्थितियों का अभाव होता है, इसलिए वहां बारिश नहीं होती।
क्यों कम हो गया बादलों का गरजना ?
अब बात करते हैं बादलों के गरजने की, जो इस साल कम हो गई है। मौसम विज्ञानी कहते हैं कि जब बादलों का निगेटिव चार्ज वाला हिस्सा पॉजिटिव चार्ज वाले हिस्से से टकराता है, तो तेजी से गर्जना होती है और साथ ही आकाशीय बिजली भी गिरती है। लेकिन इस साल, बादलों की लंबाई सिमट कर 40-60 किलोमीटर तक रह गई है, जो आमतौर पर 100 किलोमीटर या उससे अधिक होती थी। इस वजह से बादलों का स्वभाव बदल गया है और वो ज्यादा गरज नहीं रहे हैं।
क्या होते हैं पॉकेट रेन के कारण?
क्या-क्या होते हैं प्रभाव ?
"पॉकेट रेन" (Pocket Rain) एक ऐसा शब्द है जो किसी विशेष छोटे क्षेत्र में अचानक, अल्पकालिक, और तीव्र बारिश के संदर्भ में उपयोग किया जाता है। यह घटना मौसम के अनियमित और अस्थायी परिवर्तनों का परिणाम हो सकती है, जहां सामान्य बारिश के बजाय किसी छोटे क्षेत्र में भारी वर्षा होती है। इसके कई प्रभाव हो सकते हैं:
जलभराव और बाढ़:
छोटे इलाके में भारी बारिश से जलभराव और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। खासकर शहरी क्षेत्रों में जहां जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होती, यह एक गंभीर समस्या बन सकती है।
यातायात बाधा:
अचानक होने वाली बारिश से सड़कें पानी से भर जाती हैं, जिससे यातायात जाम और दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
कृषि पर प्रभाव:
अगर पॉकेट रेन कृषि क्षेत्रों में होती है, तो फसलों को अत्यधिक पानी मिलने से उनकी जड़ों में सड़न और पौधों की क्षति हो सकती है।
भूस्खलन का खतरा:
पहाड़ी क्षेत्रों में पॉकेट रेन से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है, जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
स्थानीय जलवायु परिवर्तन:
पॉकेट रेन स्थानीय जलवायु में अचानक परिवर्तन का संकेत हो सकता है, जो बड़े पैमाने पर मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है।
जनजीवन में अस्थायी अव्यवस्था:
पॉकेट रेन से जनजीवन में अस्थायी अव्यवस्था पैदा हो सकती है, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन में देरी, कार्यक्रमों का रद्द होना, और दैनिक गतिविधियों में रुकावट।
Baten UP Ki Desk
Published : 31 August, 2024, 3:41 pm
Author Info : Baten UP Ki