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भारत सरकार ने WhatsApp चैट और Instagram अकाउंट्स की जांच के बाद 250 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति का खुलासा किया है। इस डिजिटल जांच के दौरान कई अहम खुलासे हुए:
WhatsApp चैट्स से 90 करोड़ रुपये की क्रिप्टो संपत्ति का पता चला।
200 करोड़ रुपये के फर्जी बिल और हवाला नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ।
Instagram प्रोफाइल के जरिए महंगी गाड़ियों और बेनामी संपत्तियों के असली मालिकों का खुलासा हुआ।
Google हिस्ट्री से उन ठिकानों की पहचान हुई, जहां गैरकानूनी कैश छिपाया गया था।
WhatsApp चैट्स तक सरकार को कैसे मिली पहुंच?
WhatsApp चैट्स एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होती हैं, यानी इन्हें सीधा WhatsApp सर्वर से एक्सेस नहीं किया जा सकता। लेकिन अगर किसी का फोन जब्त कर लिया जाए, तो जांच एजेंसियां उसमें मौजूद डेटा को एक्सेस कर सकती हैं। यानी अगर आप किसी जांच के दायरे में आते हैं, तो आपकी पूरी डिजिटल गतिविधि सरकार की निगरानी में आ सकती है।
सरकार को डिजिटल सर्विलांस का अधिकार
साल 2018 में गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर 10 सरकारी एजेंसियों को डिजिटल सर्विलांस का अधिकार दिया था। इन एजेंसियों को टैक्स चोरी, टेरर फंडिंग और दूसरे गंभीर अपराधों की जांच के लिए डिजिटल डेटा एक्सेस करने का हक मिला। अब सरकार इनकम टैक्स बिल 2025 लाने की तैयारी कर रही है, जिसमें डिजिटल सर्विलांस को और मजबूत करने का प्रावधान है।
क्या होगा नए इनकम टैक्स बिल 2025 में?
इस कानून के तहत:
सरकार को सोशल मीडिया अकाउंट्स, ई-मेल, क्लाउड डेटा और डिजिटल लेनदेन को ट्रैक करने का अधिकार मिल जाएगा।
WhatsApp, Instagram और Telegram जैसे प्लेटफॉर्म्स भी जांच के दायरे में आएंगे।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल पेमेंट्स पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
क्या डिजिटल सर्विलांस प्राइवेसी का उल्लंघन है?
यह कानून पारित हो गया तो कई सवाल उठ सकते हैं:
बिना वारंट डिजिटल डेटा एक्सेस करना प्राइवेसी का उल्लंघन होगा, जो कि एक मौलिक अधिकार है।
क्या इस कानून का राजनीतिक दुरुपयोग हो सकता है? कई एक्सपर्ट्स को डर है कि कहीं इसका इस्तेमाल विरोधियों की जासूसी के लिए न किया जाए।
आम नागरिकों पर असर: अगर सरकार हर डिजिटल गतिविधि पर नजर रखेगी, तो यह लोगों की स्वतंत्रता और निजता के लिए खतरा बन सकता है।
क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट्स?
साइबर कानून विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल डेटा एक्सेस करने के लिए सरकार को एक संतुलित नीति अपनानी होगी।
सरकार को डिजिटल निगरानी और नागरिकों की प्राइवेसी के बीच संतुलन बनाना होगा।
कानूनों में स्पष्टता होनी चाहिए कि किन मामलों में डिजिटल डेटा एक्सेस किया जा सकता है।
डिजिटल सुरक्षा को लेकर कड़े सुरक्षा मानक और निगरानी तंत्र की जरूरत होगी।
डिजिटल निगरानी बनाम प्राइवेसी: इनकम टैक्स बिल 2025 पर सवाल
डिजिटल युग में सरकार की जांच एजेंसियां अब सोशल मीडिया और डिजिटल ट्रांजैक्शन्स के जरिए टैक्स चोरी और फाइनेंशियल फ्रॉड पर शिकंजा कस रही हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सरकार का यह कदम नागरिकों की गोपनीयता के अधिकार का हनन करेगा? यह देखने वाली बात होगी कि इनकम टैक्स बिल 2025 संसद में पास होता है या इसमें संशोधन किए जाते हैं।
Baten UP Ki Desk
Published : 31 March, 2025, 2:00 pm
Author Info : Baten UP Ki