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भारतीयों का मजबूत हो रहा विज्ञान पर भरोसा, 68 देशों में दूसरे पायदान पर भारत...दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों में है भरोसे की कमी

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भारत में विज्ञान को लेकर विश्वास की लहर तेजी से बढ़ रही है। एक वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, विज्ञान पर जनता का भरोसा भारत में मिस्र के बाद दुनिया के दूसरे सबसे उच्चतम स्थान पर है। जबकि वैश्विक स्तर पर यह विश्वास मध्यम स्तर पर देखा गया है, 68 देशों के लोगों ने इस सर्वे में अपनी राय दी, जिनमें वैश्विक दक्षिण के कम शोध वाले देश भी शामिल हैं। इस रिपोर्ट ने विज्ञान के प्रति भारतीयों की मजबूत आस्थाओं को और भी उजागर किया है।

वैज्ञानिकों पर भरोसा: सर्वे के निष्कर्ष-

स्विट्जरलैंड की प्रमुख शोधकर्ता विक्टोरिया कोलोग्ना के नेतृत्व में किया गया यह सर्वेक्षण, कोरोना महामारी के बाद पहली बार आयोजित हुआ। इसमें कुल 72,000 लोगों ने हिस्सा लिया। रिपोर्ट में यह पाया गया कि अधिकांश देशों में विज्ञान और वैज्ञानिकों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है। वैश्विक दृष्टि से ऑस्ट्रेलिया पांचवे, न्यूजीलैंड नौवे और अमेरिका 12वें स्थान पर हैं।

विश्वसनीयता की कोई कमी नहीं-

रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वैज्ञानिकों के प्रति विश्वास में किसी तरह के संकट का कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। विक्टोरिया ने कहा कि अधिकांश देशों में जनता का वैज्ञानिकों पर विश्वास अपेक्षाकृत अधिक है, और लोग चाहते हैं कि वैज्ञानिक समाज और राजनीति में एक सक्रिय भूमिका निभाएं। लगभग 78% लोगों ने वैज्ञानिकों को योग्य, 57% ने ईमानदार और 56% ने समाज के कल्याण के प्रति चिंतित माना।

दक्षिणपंथी विचारधारा और विज्ञान का संबंध-

सर्वे में एक दिलचस्प पहलू सामने आया है—विशेषकर पश्चिमी देशों में, दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग विज्ञान पर उतना विश्वास नहीं करते, जितना कि वामपंथी विचारधारा वाले लोग। 83% लोगों ने यह माना कि वैज्ञानिकों को आम जनता से संवाद करना चाहिए, जबकि 52% ने कहा कि उन्हें नीति निर्धारण प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए।

विज्ञान पर विश्वास बढ़ा, लेकिन मतभेद बने-

यह सर्वे विज्ञान और वैज्ञानिकों के प्रति विश्वास में बढ़ोतरी की पुष्टि करता है, खासकर भारत जैसे देशों में, जहां यह विश्वास मजबूत हो रहा है। हालांकि, दक्षिणपंथी और वामपंथी विचारधाराओं के बीच विज्ञान पर विश्वास का अंतर अभी भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे भविष्य में और शोध की आवश्यकता है।

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