डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से एच-1बी वीजा को लेकर अटकलें तेज थीं। ट्रंप समर्थक इस वीजा का विरोध कर रहे थे, लेकिन एलन मस्क और विवेक रामास्वामी जैसे प्रमुख हस्तियों ने इसका समर्थन किया। अब ट्रंप के ताजा बयान से भारतीयों को राहत मिली है, क्योंकि उन्होंने एच-1बी वीजा को समर्थन देने का संकेत दिया है। भारतीयों के लिए यह बड़ी खबर है, क्योंकि एच-1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को ही मिलता है।
ट्रंप ने दिया एच-1बी वीजा का समर्थन-
मंगलवार को व्हाइट हाउस में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने ओरेकल के सीटीओ लैरी एलिसन, सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन, और ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन के साथ चर्चा की। एच-1बी वीजा पर पूछे गए सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा, "मुझे इसके दोनों पक्ष अच्छे लगते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि हमारे देश में सक्षम लोग आएं।" उन्होंने कहा, "यह सिर्फ इंजीनियरों की बात नहीं है, बल्कि हर स्तर पर योग्य लोग यहां आने चाहिए।"
ट्रंप ने समझाया एच-1बी वीजा का महत्व-
ट्रंप ने कहा, "मैं इस कार्यक्रम को अच्छी तरह समझता हूं और इसका इस्तेमाल करता हूं। हमें अपने व्यवसायों के विस्तार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले लोगों की जरूरत है।" उन्होंने वाइन विशेषज्ञों से लेकर उच्च गुणवत्ता वाले वेटरों तक का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें सर्वश्रेष्ठ लोगों को अमेरिका में लाना होगा।
एच-1बी वीजा: क्या है और क्यों है खास?
एच-1बी वीजा एक विशेष गैर-प्रवासी वीजा है, जिसे अमेरिकी कंपनियों द्वारा उन विदेशी पेशेवरों को दिया जाता है जो अपने विशेष कौशल के लिए जाने जाते हैं। यह वीजा खासतौर पर उन क्षेत्रों में काम करने वालों के लिए होता है, जहां अमेरिका में कुशल कर्मचारियों की कमी होती है।
- एच-1बी वीजा धारक को अमेरिकी कंपनियों में काम करने का अवसर मिलता है, और यह वीजा आमतौर पर छह साल तक वैध होता है। इस अवधि के दौरान, वीजा धारक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो उन्हें स्थायी निवास का रास्ता देता है।
- भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच यह वीजा बेहद लोकप्रिय है, क्योंकि अमेरिका में उनकी भारी मांग रहती है। इस वीजा के जरिए, धारक अपने परिवार—पत्नी और बच्चों—को भी अपने साथ अमेरिका ले जा सकते हैं, जिससे यह न केवल व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक जीवन को भी समृद्ध बनाता है।
- एच-1बी वीजा के खत्म होने पर, धारक अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे उनके अमेरिकी सपने को साकार करने का मार्ग प्रशस्त होता है।
एच-1बी वीजा: कब और क्यों हुई इसकी शुरुआत?
एच-1बी वीजा की शुरुआत 1990 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश के कार्यकाल में हुई थी, जब इसे इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 101 (A) (15)(H) के तहत पेश किया गया। इसका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को उन विदेशी पेशेवरों को काम पर रखने की अनुमति देना था, जिनकी विशेष दक्षताओं की देश में कमी थी। यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिभाओं को अपने साथ जोड़ने का अवसर देता है, खासकर तकनीकी और आईटी क्षेत्रों में, जहां विदेशी कर्मचारियों की मांग अधिक है। एच-1बी वीजा ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है, और इसका लाभ भारतीय पेशेवरों ने सबसे अधिक उठाया है।
एच-1बी वीजा की अवधि: कितनी होती है और क्या हैं विकल्प?
एच-1बी वीजा की प्रारंभिक अवधि आमतौर पर तीन साल की होती है, लेकिन इसे छह साल तक बढ़ाने का विकल्प भी होता है। यह वीजा धारकों को अमेरिकी कंपनियों में लंबे समय तक काम करने का मौका देता है, जिससे वे अपने करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। जब वीजा की अवधि समाप्त हो जाती है, तो धारक के पास अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन करने का अवसर होता है। यह प्रक्रिया उन्हें स्थायी रूप से अमेरिका में बसने और अपने अमेरिकी सपने को साकार करने का मौका देती है।