ट्रम्प के नये हथियार से दुनिया की बढ़ी टेंशन! क्या टैरिफ में छूट के बदले टेस्ला को एंट्री देंगे पीएम मोदी?
राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने के महज 20 दिन बाद ही डोनाल्ड ट्रम्प ने बड़ा ऐलान कर दिया—शपथ लेते ही कनाडा और मैक्सिको पर 25% तथा चीन पर 10% टैरिफ लगाया जाएगा। उनके इस बयान से वैश्विक बाजार में खलबली मच गई और इन देशों की करेंसी में गिरावट देखने को मिली। 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रम्प ने अपने ऐलान को अमल में लाते हुए एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर कर दिए। हालांकि, कनाडा और मैक्सिको को कुछ शर्तों के आधार पर 30 दिनों की राहत दी गई, लेकिन चीन पर 4 फरवरी से टैरिफ लागू हो गया।
टैरिफ हथियार बना ट्रम्प का ट्रेड मास्टरस्ट्रोक
दूसरे कार्यकाल में भी ट्रम्प टैरिफ को एक कड़े राजनीतिक औजार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे दुनिया के बड़े देशों को अमेरिकी शर्तें मानने पर मजबूर किया जा सके। उनकी इस आक्रामक नीति की जद में अब भारत, ब्राजील और यूरोपीय यूनियन भी आ चुके हैं।
टैरिफ: ट्रम्प का नया हथियार, दुनिया की बढ़ी टेंशन!
टैरिफ पर घमासान
टैरिफ को लेकर दुनियाभर के देश चिंता में हैं, और ट्रम्प इसे अपने आक्रामक एजेंडे का अहम हिस्सा बना चुके हैं। लेकिन आखिर टैरिफ है क्या, और यह इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गया है? खासकर अगर भारत पर टैरिफ लगा तो इसका क्या असर होगा? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।
टैरिफ मतलब-आयात पर टैक्स
सरल शब्दों में, टैरिफ वह टैक्स है जो किसी देश से आने वाले सामान पर लगाया जाता है। यह टैक्स उस कंपनी पर लागू होता है जो सामान को आयात कर रही होती है।
उदाहरण से समझें
मान लीजिए, एक अमेरिकी कंपनी भारत को 10 लाख रुपए की कार भेजती है। अगर भारत ने 25% टैरिफ लगाया है, तो इस कार पर 2.5 लाख रुपए का टैक्स देना होगा। यानी भारत में इसकी कीमत 12.5 लाख हो जाएगी। इससे विदेशी सामान महंगा होता है और स्थानीय बाजार को फायदा मिलता है। अब सवाल यह है कि ट्रम्प इस टैरिफ पॉलिसी को इतने आक्रामक तरीके से क्यों लागू कर रहे हैं? और अगर भारत भी उनके निशाने पर आया तो क्या होगा? आइए, आगे जानते हैं!
टैरिफ पर ट्रम्प इतने आक्रामक क्यों हैं?
अमेरिका का व्यापार घाटा बना वजह-
ट्रम्प का टैरिफ प्रेम कोई नई बात नहीं है। उनके आक्रामक रुख की सबसे बड़ी वजह अमेरिका का बढ़ता व्यापार घाटा है। वे चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियों को मजबूती मिले और व्यापार असंतुलन खत्म हो। 2023 में अमेरिका को चीन से 30.2%, मेक्सिको से 19% और कनाडा से 14.5% व्यापार घाटा हुआ। इन तीन देशों की वजह से अमेरिका को कुल 670 अरब डॉलर (करीब 40 लाख करोड़ रुपए) का घाटा सहना पड़ा। यही कारण है कि ट्रम्प ने सबसे पहले इन पर टैरिफ लगाया।
टैरिफ के दो बड़े फायदे-
1️⃣ सरकार की कमाई बढ़ती है – टैरिफ से सरकार को सीधा रेवेन्यू मिलता है।
2️⃣ स्थानीय कंपनियों को मजबूती मिलती है – विदेशी कंपनियों के सस्ते प्रोडक्ट्स से बचाव होता है।
उदाहरण के लिए, चीन की मोबाइल कंपनियां अगर अमेरिका में सस्ते फोन बेचेंगी तो अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा। लेकिन टैरिफ लगाकर अमेरिका इन फोनों को महंगा कर सकता है, जिससे स्थानीय कंपनियां कॉम्पिटिशन में बनी रहें।
भारत – टैरिफ लगाने में सबसे आगे-
भारत लंबे समय तक दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक रहा है। 1990-91 तक भारत का औसत टैरिफ 125% था, जो उदारीकरण के बाद घटता चला गया। 2024 में यह 11.66% पर आ गया। ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत ने भी टैरिफ दरों में बदलाव किए। 2025 में भारत का एवरेज टैरिफ घटकर 10.65% रह गया, और लग्जरी कारों पर टैरिफ 125% से घटाकर 70% कर दिया गया।
क्या टैरिफ वाकई सही रणनीति है?
टैरिफ लगाना एक देश की अर्थव्यवस्था को सुरक्षा देने का तरीका हो सकता है, लेकिन क्या यह लंबे समय तक कारगर रहेगा? ट्रम्प की इस आक्रामक नीति का असर भारत समेत कई देशों पर पड़ सकता है। अब देखना यह है कि दुनिया इस टैरिफ युद्ध का जवाब कैसे देती है!
टैरिफ का तगड़ा खेल: भारत को फायदा या नुकसान?
क्या भारत को मिलेगा बड़ा फायदा?
ट्रम्प के टैरिफ फैसलों से जहां कई देश चिंता में हैं, वहीं भारत के लिए यह एक गोल्डन चांस साबित हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन पर टैरिफ बढ़ने से भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में मांग बढ़ेगी। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट बताती है कि ट्रम्प के पहले कार्यकाल में टैरिफ वॉर से भारत को चौथा सबसे ज्यादा व्यापारिक फायदा हुआ था। FIEO के डायरेक्टर जनरल अजय सहाय के मुताबिक, अमेरिकी बाजार में चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा घटेगी, जिससे भारत को सीधा लाभ होगा।
ट्रम्प के टैरिफ अटैक से भारत कैसे बचा?
अब तक भारत ट्रम्प के टैरिफ हमलों से बचा हुआ है। इसकी वजह है भारत द्वारा कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कम करना। 1 फरवरी के बजट में भारत ने मोटरसाइकिल, सैटेलाइट ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे उत्पादों पर टैक्स घटा दिया।
‘जैसे को तैसा’ टैरिफ – भारत के लिए खतरा?
ट्रम्प ने ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ (जैसे को तैसा) लागू करने का ऐलान किया है। यानी, अगर कोई देश अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी उतना ही टैरिफ लगाएगा। अगर यह नीति भारत पर लागू हुई, तो भारत का अमेरिका में 17% से ज्यादा विदेशी व्यापार प्रभावित हो सकता है।
- अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों का सबसे बड़ा खरीदार है।
- 2024 में अमेरिका ने भारत से 18 मिलियन टन चावल इम्पोर्ट किया।
- टैरिफ बढ़ने से भारतीय सामान महंगा होगा, जिससे उसकी डिमांड घट सकती है।
टैरिफ के बदले टेस्ला को मिलेगी भारत में एंट्री?
टेस्ला की भारत में एंट्री लंबे समय से अटकी हुई है।
- 2021 में इलॉन मस्क ने बेंगलुरु में टेस्ला का रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन हाई टैरिफ की वजह से प्लान रुक गया।
- टेस्ला चाहती थी कि इम्पोर्ट ड्यूटी 100% से घटाकर 40% कर दी जाए, लेकिन भारत सरकार ने मना कर दिया।
- सरकार ने साफ कहा कि अगर टेस्ला भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाए, तो टैक्स छूट पर विचार किया जाएगा।
अब सवाल यह है कि क्या ट्रम्प की टैरिफ नीति के बदले टेस्ला को भारत में छूट मिलेगी? या फिर अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में नया तनाव पैदा होगा? जवाब जल्द ही सामने आएगा।
भारत ने घटाई इम्पोर्ट ड्यूटी, टेस्ला की एंट्री करीब?
आखिरी वक्त पर बदला प्लान-
अप्रैल 2024 में इलॉन मस्क का भारत दौरा लगभग तय था, लेकिन ऐन मौके पर उन्होंने अपनी यात्रा टाल दी और चीन चले गए। इस फैसले ने भारत में टेस्ला की एंट्री को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।
EV सेक्टर में भारत का बड़ा कदम
2024 की शुरुआत में भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) पर इम्पोर्ट ड्यूटी में बड़ा बदलाव किया।
- $40,000 से ज्यादा कीमत वाली विदेशी कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी 125% से घटाकर 70% कर दी गई।
- लिथियम-आयन बैटरियों पर टैरिफ पूरी तरह खत्म कर दिया गया।
मस्क और मोदी की संभावित मुलाकात-
भारत के इस फैसले को टेस्ला की एंट्री से जोड़ा जा रहा है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी जल्द ही इलॉन मस्क से मुलाकात कर सकते हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बदलाव टेस्ला को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर पाएगा, या फिर मस्क कोई नया सरप्राइज देंगे?