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ICMR की आई डराने वाली रिपोर्ट! हर साल बढ़ रही इस बीमारी से मौतें, इलाज में देरी बनी सबसे बड़ी चुनौती

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भारत में कैंसर मरीजों की बढ़ती मृत्यु दर को लेकर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की नई रिपोर्ट ने गंभीर चिंताएं जताई हैं। यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पत्रिका 'द लांसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया' में प्रकाशित हुआ है, जिसमें खुलासा हुआ कि कैंसर का पता चलने के बाद 64.8% मरीज समय से पहले दम तोड़ रहे हैं।

महिलाओं में तेजी से बढ़ रही कैंसर मृत्यु दर

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों की दर तेजी से बढ़ रही है। सालाना 1.2% से 4% की वृद्धि के साथ यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है।

देर से निदान और इलाज तक सीमित पहुंच बनी बड़ी समस्या

इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑन्कोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र टोपरानी ने बताया कि देर से निदान और सही समय पर इलाज तक पहुंच न मिलना कैंसर मृत्यु दर के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं।

  • साल 2000 में कैंसर से होने वाली समयपूर्व मौतों की संख्या 4.9 लाख थी, जो 2022 में बढ़कर 9.17 लाख हो गई।
  • 87% की बढ़ोतरी के साथ यह आंकड़ा भारत में कैंसर के खिलाफ जंग की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम, पुरुषों में मुख कैंसर का सबसे ज्यादा खतरा

अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे अधिक पाया जा रहा है
🔹 स्तन कैंसर - 13.8%
🔹 मुख कैंसर - 10.3%
🔹 ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर - 9.2%
🔹 श्वसन कैंसर - 5.8%
🔹 इसोफेजियल (अन्नप्रणाली) कैंसर - 5%

वहीं, पुरुषों में मुख कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा पाया गया।
🔹 मुख कैंसर - 15.6%
🔹 श्वसन कैंसर - 8.5%
🔹 ग्रासनली (इसोफेजियल) कैंसर - 6.6%
🔹 कोलोरेक्टल कैंसर - 6.3%

श्वसन और अन्नप्रणाली कैंसर की मृत्यु दर सबसे अधिक

विशेषज्ञों ने बताया कि श्वसन और अन्नप्रणाली कैंसर के हर 100 मामलों में 93 मरीजों की मौत हो रही है, जो इस बीमारी की भयावहता को दर्शाता है।

क्या है समाधान?

विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दी निदान, जागरूकता और बेहतर इलाज की सुविधा इस स्थिति में सुधार ला सकती है। सरकार और चिकित्सा संस्थानों को मिलकर स्क्रीनिंग कैंप, जागरूकता कार्यक्रम और कैंसर ट्रीटमेंट को और अधिक किफायती और सुलभ बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। आईसीएमआर की रिपोर्ट भारत में कैंसर के बढ़ते खतरे की गहरी चिंता को उजागर करती है। देर से निदान और सही इलाज तक सीमित पहुंच इस समस्या को और गंभीर बना रही है। समय पर जांच और प्रभावी उपचार ही इस खतरे से बचने का सबसे कारगर उपाय है।

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