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अब कुछ इस तरह दिखेगें मौसम की भविष्यवाणी के जादुई रंग...

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आपने मौसम विभाग की ओर से जारी की गई तस्वीरें और हेडलाइंस अक्सर देखी होंगी, जिनमें येलो, ऑरेंज, और रेड अलर्ट की जानकारी दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन रंगों की अपनी एक खास अहमियत होती है? जिस तरह ट्रैफिक सिग्नल में लाल, पीला और हरा रंग हमें बताते हैं कि कब रुकना है, कब सावधानी बरतनी है और कब आगे बढ़ना है, ठीक उसी तरह मौसम चेतावनी प्रणाली में इन रंगों का उपयोग किया जाता है। मौसम विभाग के अलर्ट सिस्टम में ये रंग न सिर्फ स्थिति की गंभीरता को बताते हैं, बल्कि ये सुनिश्चित करते हैं कि लोग सही समय पर सावधानी बरतें। आइए, समझते हैं मौसम की चेतावनी में इन रंगों का क्या महत्व है और ये हमें कैसे आने वाले मौसम से जुड़े खतरे के बारे में जागरूक करते हैं। 

येलो अलर्ट - सचेत रहें-

येलो अलर्ट का मतलब है कि आपको अपने इलाके और रूटीन के बारे में सचेत रहना चाहिए। इसका उद्देश्य लोगों को सतर्क करना होता है। जब यलो अलर्ट जारी किया जाता है, तो इसका मतलब है कि फिलहाल कोई गंभीर खतरा नहीं है, लेकिन मौसम की स्थिति को देखते हुए आपको सावधानी बरतने की ज़रूरत है। उदाहरण के लिए, अगर आपके क्षेत्र में हल्की बारिश या बादल छाए रहने का अनुमान है, तो आपको अपनी गतिविधियों और यात्रा के बारे में सतर्क रहना चाहिए।

ऑरेंज अलर्ट - तैयार रहें-

जब मौसम विभाग ऑरेंज अलर्ट जारी करता है, तो इसका मतलब होता है कि मौसम की स्थिति को देखते हुए आपको और अधिक सतर्क और तैयार रहने की आवश्यकता है। इस अलर्ट का मतलब है कि मौसम के हालात खराब हो सकते हैं और इसका असर जनजीवन पर पड़ सकता है। आपको अपनी यात्रा योजनाओं, कामकाज और बच्चों की स्कूल जाने की व्यवस्था के बारे में सोचकर तैयारी करनी होगी। उदाहरण के लिए, यदि आपके इलाके में भारी बारिश या तेज हवा का अनुमान है, तो आपको अपनी यात्रा योजनाओं को पुनर्विचार करने की सलाह दी जाती है और जरूरत के अनुसार तैयारी करनी होती है।

रेड अलर्ट - एक्शन का वक्त-

रेड अलर्ट सबसे गंभीर चेतावनी होती है और यह तब जारी किया जाता है जब मौसम की स्थिति बहुत ही गंभीर हो। इसका मतलब है कि जान और माल की सुरक्षा के लिए तुरंत एक्शन लेने का समय आ गया है। जब रेड अलर्ट जारी होता है, तो प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाता है और आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अगर रेड अलर्ट गर्मी के मौसम में जारी किया जाता है, तो लोगों को घर में रहने और बाहर जाने से बचने की सलाह दी जाती है। इसी तरह, यदि बाढ़ या तूफान के लिए रेड अलर्ट जारी होता है, तो लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाता है और राहत कार्य शुरू किए जाते हैं।

आपदाओं से पहले की तुलना में बेहतर बचाव-

रंगों के आधार पर चेतावनी प्रणाली के चलते कई आपदाओं से पहले की तुलना में बेहतर बचाव संभव हो सका है। यह प्रणाली 2016 में शुरू हुई थी और यूके के मौसम विभाग के बाद भारत समेत कई देशों ने इसे अपनाया। इस प्रणाली में हरे रंग का कलर कोड सामान्य स्थिति को दर्शाता है, इसलिए इसे चेतावनी के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाता।

रंगों के आधार पर चेतावनी-

प्रणाली बहुत प्रभावी है, लेकिन कुछ देशों में चेतावनी देने के अलग तरीके भी अपनाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, स्वीडन में मौसम विभाग चेतावनी देने के लिए मौसम की स्थिति को क्लास 1, क्लास 2, और क्लास 3 के अनुसार बताता है। क्लास 1 का मतलब सतर्कता, क्लास 2 का मतलब मौसम का खराब होना, और क्लास 3 का मतलब बहुत गंभीर मौसम और जान-माल के नुकसान की संभावना होती है।

कब हुई थी IMD की स्थापना?

भारत में मौसम सबंधी सभी जानकारिया IMD द्वारा जारी की जाती है। IMD की स्थापना 1875 में हुई थी। यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय यानी Ministry of Earth Science- MoES की एक एजेंसी है। यह मौसम संबंधी अवलोकन, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान के लिये ज़िम्मेदार प्रमुख एजेंसी है।

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