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प्रोटीन की थाली से वंचित है ग्रामीण परिवार! स्वास्थ्य पर पड़ रहा गहरा असर

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स्वस्थ जीवन जीने के लिए संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या बेहद जरूरी हैं। आप जो खाते हैं और जैसी जीवनशैली अपनाते हैं, वही आपके संपूर्ण स्वास्थ्य की दिशा तय करती है। विशेषज्ञ लगातार ऐसे भोजन की सलाह देते हैं जिससे शरीर को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। लेकिन हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने पोषण की गंभीर स्थिति की ओर संकेत किया है -खासकर ग्रामीण भारत में।

रिपोर्ट का खुलासा: ग्रामीण भारत में प्रोटीन की भारी कमी

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट और दो अन्य संस्थानों द्वारा किए गए अध्ययन में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि ग्रामीण भारत के लोगों के आहार में प्रोटीन की मात्रा बेहद कम है। यह कमी ना सिर्फ पोषण स्तर को प्रभावित कर रही है, बल्कि इससे गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ रहा है।

प्रोटीन तो उपलब्ध है, फिर क्यों नहीं खा रहे लोग?

रिपोर्ट के अनुसार:

  • ग्रामीण इलाकों में प्रोटीन युक्त खाद्य जैसे दालें, डेयरी उत्पाद, अंडे और मांस उपलब्ध हैं।

  • गरीबी की मार झेल रहे कुछ परिवारों को छोड़कर, अधिकांश लोग इनका सेवन कर सकते हैं।

  • सबसे बड़ा कारण है – जागरूकता की कमी। लोग यह नहीं जानते कि प्रोटीन उनके लिए कितना जरूरी है।

गांवों का भोजन: सिर्फ पेट भरना नहीं, पोषण भी जरूरी

विशेषज्ञों ने देश के छह राज्यों के नौ जिलों में अध्ययन किया। पाया गया कि ग्रामीण परिवारों का भोजन मुख्य रूप से चावल और गेहूं जैसे अनाजों पर आधारित है, जो कुछ हद तक प्रोटीन तो देते हैं, लेकिन इनमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड नहीं होते। इसका मतलब है – भोजन तो है, पर जरूरी पोषण नहीं।

  • अभाव के कारण: आर्थिक तंगी, पारंपरिक मान्यताएं और पोषण की जानकारी की कमी।

प्रोटीन: सेहत का संरक्षक

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो:

  • एक संतुलित आहार में 20-25% प्रोटीन, 65% कार्बोहाइड्रेट और 10-15% वसा होनी चाहिए।

  • प्रोटीन शरीर की मांसपेशियों, हड्डियों, त्वचा और अंगों को मजबूती देता है।

  • यह एंजाइम्स और हार्मोन के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाता है।

प्रोटीन की कमी से हो सकते हैं ये दुष्प्रभाव:

  • बालों का झड़ना

  • मांसपेशियों की कमजोरी

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट

  • संक्रमण और बीमारियों का बढ़ता खतरा

  • बच्चों में विकास रुकना और कुपोषण

आपके शरीर को कितने प्रोटीन की ज़रूरत है?

डायटीशियंस बताते हैं:

  • औसतन हर व्यक्ति को 0.75 ग्राम प्रति किलो वजन के अनुसार प्रोटीन चाहिए।

  • 50 साल की उम्र के बाद यह ज़रूरत 1 ग्राम प्रति किलो वजन हो जाती है।

उदाहरण:

अगर किसी व्यक्ति का वजन 75 किलोग्राम है, तो उसे प्रतिदिन लगभग 60-62 ग्राम प्रोटीन चाहिए।

किन चीज़ों से पूरी करें प्रोटीन की ज़रूरत?

सस्ते और असरदार स्रोत:

  • दालें और चना

  • दूध और पनीर

  • अंडा

  • हरी सब्जियाँ

  • बादाम और मूंगफली

पशु बनाम पौध आधारित प्रोटीन:

हालांकि मीट और अंडा प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत हैं, लेकिन नए शोध बताते हैं कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन सेहत के लिए अधिक लाभकारी हो सकता है – खासकर दिल और किडनी के स्वास्थ्य के लिए।

समाधान क्या है? – पोषण के प्रति जागरूकता

ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ खाद्य सामग्री की उपलब्धता नहीं, बल्कि पोषण शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है। अगर लोगों को समझाया जाए कि प्रोटीन क्यों ज़रूरी है, तो वे अपने सीमित साधनों में भी बेहतर आहार चुन सकते हैं। प्रोटीन की कमी केवल स्वास्थ्य समस्या नहीं, यह एक राष्ट्रीय पोषण संकट है। इस पर ध्यान देना, नीतियां बनाना और जन-जागरूकता बढ़ाना आज की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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