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EVM विवाद पर फैसला, अनुच्छेद 370 को समर्थन से लेकर केजरीवाल की जमानत तक, जानिए 51वें सीजेआई की पूरी कहानी...

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भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को पद ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। दिल्ली के एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत से की और उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी पहचान बनाई।

ऐतिहासिक फैसले: EVM विवाद से लेकर केजरीवाल को जमानत तक

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते हुए जस्टिस खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे। 26 अप्रैल को जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में हेरफेर की संभावनाओं को खारिज किया और बैलेट पेपर पर लौटने की मांग को अस्वीकार कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र के फैसले को भी समर्थन दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले में अंतरिम जमानत देने का फैसला भी उनकी पीठ ने सुनाया।

न्यायिक पृष्ठभूमि: एक समर्पित परिवार का हिस्सा-

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ। उन्होंने लॉ की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से की। 2004 में वे दिल्ली के स्थायी वकील बने और 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडहॉक जज के तौर पर नियुक्त हुए। बाद में उन्हें स्थायी जज का पदभार सौंपा गया। जस्टिस खन्ना ने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील और न्याय मित्र के रूप में भी कई प्रमुख मामलों में कार्य किया।

न्याय की प्राथमिकताएं: लंबित मामलों पर फोकस

मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस खन्ना का प्रमुख उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाना और लंबित मामलों की संख्या घटाना है। उनका मानना है कि न्यायिक प्रणाली को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। जस्टिस खन्ना के पिता, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस देवराज खन्ना थे, और उनके चाचा जस्टिस एचआर खन्ना सुप्रीम कोर्ट के एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश रहे, जो 1976 में आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमति जताकर चर्चाओं में आए थे।

सुप्रीम कोर्ट में यात्रा: प्रोन्नति और जिम्मेदारियों का सफर

18 जनवरी 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत किया गया। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए वे कई महत्वपूर्ण संस्थानों का हिस्सा बने, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष और नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष। इसके अलावा, वे भोपाल की नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं।

सेवानिवृत्ति की ओर: एक संक्षिप्त कार्यकाल

जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, जिसके बाद वे इस प्रतिष्ठित पद से सेवानिवृत्त होंगे। उनके छोटे मगर प्रभावशाली कार्यकाल में कई अहम फैसले आ सकते हैं, जिनसे भारतीय न्यायपालिका का चेहरा बदल सकता है।

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