ब्रेकिंग न्यूज़

प्रतियोगी छात्रों की मांग के आगे झुका UPPSC 'वन शिफ्ट वन डे' पर बनी सहमति आयोग के सचिव कुछ ही देर में करेंगे घोषणा परीक्षा की तिथियां नए सिरे से हो सकती है निर्धारित

AIDS से भी खतरनाक है इस शहर की हवा! प्रदूषण ने बनाया सांस लेना मुश्किल...

Blog Image

पिछले कुछ समय से दिल्ली के लोग ऐसी धुंधली सुबह का सामना कर रहे हैं, जिसमें प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। राजधानी के कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर ‘गंभीर’ की श्रेणी में पहुँच गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है।

दिल्ली और एनसीआर में बढ़ता वायु प्रदूषण-

दिल्ली के अधिकांश इलाकों में AQI 400 के पार पहुँच चुका है। AQI का 400 से ऊपर का स्तर ‘गंभीर’ माना जाता है, जो बताता है कि वहाँ की हवा में सांस लेना लोगों के लिए घातक हो सकता है। ये प्रदूषित स्थिति सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अन्य इलाकों में भी बनी हुई है। प्रदूषण की इस गंभीर स्थिति के कारण कई उड़ानों को भी डायवर्ट करना पड़ा है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारक PM2.5-

इस प्रदूषण के मुख्य कारणों में PM2.5 कणों का बढ़ता स्तर शामिल है। PM2.5 वे सूक्ष्म कण हैं जो इंसानी बाल से भी करीब 100 गुना छोटे होते हैं। ये कण हमारी सांस के साथ शरीर के अंदर पहुँच जाते हैं और हमारे फेफड़ों, हृदय और अन्य अंगों पर बुरा प्रभाव डालते हैं। PM2.5 के कारण कई गंभीर बीमारियाँ जैसे अस्थमा, श्वसन संबंधित समस्याएँ और हृदय रोग उत्पन्न होते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।

भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों में भी गंभीर प्रदूषण-

प्रदूषण की यह समस्या केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति में पहुँच गया है। लाहौर में AQI कभी 1900 तक पहुँच गया था, जबकि मुल्तान में यह 250 को पार कर चुका है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका का AQI भी 100 से ऊपर रहता है। दक्षिण एशिया, जिसमें भारत, पाकिस्तान, और बांग्लादेश शामिल हैं, तेजी से प्रदूषण का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है।

प्रदूषण का स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव

यह समझना बेहद जरूरी है कि वायु प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर कितना गंभीर असर डाल सकता है। स्वास्थ्य संबंधी जर्नल 'लैंसेट' की 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 16.7 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई। हर साल दुनिया भर में करीब 70 लाख लोग प्रदूषित हवा के कारण मारे जाते हैं। यह संख्या AIDS जैसी गंभीर बीमारियों से भी अधिक है, जिसमें लगभग 6.3 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं।

प्रदूषण के कारण घट रही है औसत आयु-

शिकागो यूनिवर्सिटी की एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक, अगर दुनियाभर में PM2.5 का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक सीमित रहे तो लोगों की उम्र में औसतन 1.9 साल की वृद्धि हो सकती है। लेकिन भारत में यह स्थिति और भी खराब है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के कारण हर व्यक्ति की औसत उम्र 3.6 साल तक घट सकती है। दिल्ली में यह प्रभाव सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, जहाँ वायु प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र में लगभग 7 साल 8 महीने की कमी आ सकती है।

अन्य राज्यों में भी प्रदूषण का गहरा असर

दिल्ली के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी प्रदूषण के कारण उम्र पर प्रभाव देखा गया है। उत्तर प्रदेश में यह लगभग 5.9 साल, बिहार में 5.5 साल, हरियाणा में 5.2 साल और पंजाब में 4.6 साल तक कम हो सकता है। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि पूरे देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है।

क्या है प्रदूषण से बचाव के उपाय?

वर्तमान हालात को देखते हुए जरूरी है कि हम वायु प्रदूषण से बचने के उपायों पर गंभीरता से विचार करें। कुछ प्रमुख कदम उठाकर हम इस समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित कर सकते हैं:

  • पेड़-पौधे लगाना: प्रदूषण को नियंत्रित करने में पेड़-पौधों की बड़ी भूमिका है। हमें ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर हरा-भरा वातावरण बनाना चाहिए।

  • प्रदूषण को कम करने के प्रयास: औद्योगिक और वाहनों से निकलने वाले धुएं को कम करने के उपाय अपनाने चाहिए। सरकार और नागरिक दोनों को मिलकर प्रदूषण रोकने के प्रयास करने चाहिए।

  • मास्क का उपयोग: वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनना चाहिए, खासकर जब हवा में PM2.5 का स्तर अधिक हो।

  • बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान: बच्चों और बुजुर्गों को घर के अंदर ही रखना चाहिए, क्योंकि प्रदूषण का इन पर अधिक असर होता है।

जहरीली हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा-

दिल्ली की जहरीली हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी है, जो AIDS जैसी घातक बीमारी से भी ज्यादा जानलेवा हो सकती है। अगर जल्द ही इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। हम सभी को मिलकर एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि हम और आने वाली पीढ़ियाँ शुद्ध और साफ हवा में सांस ले सकें।

अन्य ख़बरें

संबंधित खबरें