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टीन एजर्स को गूगल पर इतना भरोसा कि समझ रहे हैं शरीर के बदलाव, क्या सही है टेक्नोलॉजी पर इतनी निर्भरता?

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आज के दौर में किशोर अपने शरीर में हो रहे बदलावों को समझने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के बाल रोग विभाग में की गई एक स्टडी में यह खुलासा हुआ कि 10 से 17 साल की उम्र के बच्चे अपने शरीर के परिवर्तन को लेकर कई सवालों से जूझ रहे हैं, जिन्हें वे गूगल के जरिए हल करने की कोशिश करते हैं। 1 मार्च से 31 अगस्त के बीच 200 किशोरों की स्क्रीनिंग में सामने आया कि माता-पिता या शिक्षक से संकोच के चलते, वे इंटरनेट पर भरोसा करने लगे हैं।

सवालों का गूगल पर जवाब ढूंढ रहे किशोर-

किशोर अपने शरीर के विकास से जुड़े सवाल जैसे मासिक धर्म, हार्मोनल बदलाव, शरीर पर बाल उगना आदि को लेकर खुलकर बातचीत करने में असहज महसूस करते हैं। नतीजतन, वे गूगल पर हर छोटी-बड़ी जानकारी खोजने की आदत बना रहे हैं। वे इंटरनेट पर मिलने वाली जानकारी को शत-प्रतिशत सही मानते हैं, हालांकि कई बार यह जानकारी भ्रामक और अधूरी भी होती है।

गूगल पर जानकारी नहीं मिलने से बढ़ रही हताशा-

मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि किशोरों में गूगल से सही जानकारी न मिलने पर हताशा और तनाव बढ़ने लगता है। इसका सीधा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसे बच्चों में भूख न लगना, अनिद्रा, पढ़ाई से दूरी बनाना और सामाजिक जीवन से अलगाव के लक्षण दिखते हैं। इस तरह की समस्या से निपटने के लिए उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।

सख्ती से नहीं, दोस्ताना व्यवहार से बनाएं भरोसा-

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. यशवंत राव का कहना है कि बचपन से जवानी के बीच का समय बच्चों के लिए बेहद संवेदनशील होता है। इस दौरान माता-पिता और शिक्षकों को किशोरों के साथ अधिक संवाद और समझदारी से पेश आना चाहिए। बच्चों पर जरूरत से ज्यादा सख्ती करने से वे और अधिक टेक्नोलॉजी की ओर मुड़ सकते हैं। जरूरी है कि माता-पिता दोस्ताना व्यवहार रखें, उनके सवालों को अनसुना न करें और उनके साथ समय बिताएं।

बच्चों के लिए मार्गदर्शन के सुझाव

  • संवेदनशीलता से समझें बच्चों की भावनाएं:

 बच्चे अपने शरीर के बदलावों को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं। उनकी भावनाओं को समझना और उन्हें सही तरीके से मार्गदर्शन देना आवश्यक है।

  • शारीरिक बदलावों पर खुलकर बात करें:

किशोरों के साथ उनके शारीरिक और मानसिक बदलावों पर खुलकर चर्चा करें ताकि वे गलत जानकारी का शिकार न हों।

  • डिजिटल साक्षरता पर जोर दें:

बच्चों को सिखाएं कि इंटरनेट पर मौजूद हर जानकारी सही नहीं होती। उन्हें सटीक और विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी लेने के लिए प्रेरित करें।

  • समय दें और संवाद करें:

 नियमित रूप से बच्चों के साथ समय बिताएं और उनकी बातें सुनें। इस तरह वे अपनी समस्याओं को लेकर आपसे खुलकर बात करेंगे।

किशोरावस्था में टेक्नोलॉजी का सही उपयोग है महत्वपूर्ण-

किशोरावस्था में टेक्नोलॉजी का सही उपयोग महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को सही दिशा दिखाएं ताकि वे अपने शारीरिक और मानसिक विकास को लेकर आत्मविश्वासी और संतुलित बन सकें।

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